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MP: हुक्का बार में अरेस्ट लड़के-लड़कियों की फोटो झूठे सांप्रदायिक दावे से वायरल

Madhya Pradesh के भोपाल में एक हुक्का बार से 26 लड़के और 7 लड़कियों को गिरफ्तार किया गया था.

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सोशल मीडिया पर कई लड़कों और लड़कियों की एक फोटो वायरल हो रही है. इसके साथ दावा किया जा रहा है कि इन्हें Madhya Pradesh के एक हुक्का बार से छापे के दौरान गिरफ्तार किया गया है और इनमें 15 मुस्लिम लड़के और 15 हिंदू लड़कियां हैं.

हालांकि, हमने पाया कि वायरल फोटो के साथ शेयर किया जा रहा है दावा सही नहीं है. ये फोटो मध्य प्रदेश के भोपाल में जुलाई 2020 में हुई एक छापे की है. इस दौरान कुल 33 लोगों को IPC की कई धाराओं में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें 26 लड़के और 7 लड़कियां थीं.

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भोपाल पुलिस के पीआरओ ने हमने बताया कि गिरफ्तार की गई 7 लड़कियों में से 1 हिंदू समुदाय से थी. इसके अलावा, जिन लड़कों को गिरफ्तार किया गया था वो हिंदू और मुस्लिम, दोनों समुदायों से थे.

दावा

फोटो के साथ ये दावा किया जा रहा है, ''मध्यप्रदेश के जिस हुक्का बार पर कल छापा पड़ा था , उसमें 30 लोग पकड़ाए हैं , 15 लड़के और 15 लड़कियां । सब लड़कियां खाते पीते घर की हैं , लेकिन देखने वाली बात ये है कि सभी लड़के मुसलमान हैं और सभी लड़कियां हिन्दू हैं , एक भी मुस्लिम लड़की नहीं है । यदि किसी को इस बारे में कुछ सोचना हो तो थोड़ा संतुलित दिमाग लगाकर सोचे .. वरना जो चल रहा है, वो तो है ही ।"

कई फेसबुक यूजर्स ने इस फोटो को शेयर किया है. हमें ये दावा टेलीग्राम पर भी दिखा.

इस तरह के और भी पोस्ट के आर्काइव आप यहां और यहां देख सकते हैं.

इस दावे को कुछ ट्विटर यूजर्स ने भी शेयर किया है. इनके आर्काइव आप यहां और यहां देख सकते हैं.

पड़ताल में हमने क्या पाया

वायरल फोटो को गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर, हमें ऐसी कुछ न्यूज रिपोर्ट्स मिलीं, जिनमें हुक्का बार में क्राइम ब्रांच के छापे के बारे में बात की गई थी. इन रिपोर्ट्स में इसी फोटो को इस्तेमाल किया गया था.

Dainik Bhaskar की रिपोर्ट के मुताबिक, ये घटना मध्य प्रदेश के भोपाल में हुई थी, जहां कुछ युवा किसी नावेद खान का जन्मदिन मना रहे थे.

रिपोर्ट में ये भी बताया गया था कि पुलिस ने यहां से कुल 33 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें से 26 लड़के और 7 लड़कियां थीं. ये घटना 24 जुलाई 2020 को हुई थी और तब शहर में Covid-19 लॉकडाउन लागू था.

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हमने भोपाल पुलिस के पीआरओ नवीन कुमार से संपर्क किया. उन्होंने क्विंट से इस बात की पुष्टि की कि शेयर की जा रही फोटो पिछले साल की गई छापेमारी की थी. उन्होंने ये भी कहा कि हाल में भोपाल में ऐसी कोई छापेमारी नहीं हुई है.

कुमार ने हमें बताया कि भोपाल पुलिस के फेसबुक पेज पर सभी आरोपियों के नाम वाली घटना की एक प्रेस रिलीज प्रकाशित की गई थी. पिछले साल जुलाई की फेसबुक पोस्ट में वायरल तस्वीर भी थी.

प्रेस रिलीज में बताए गए नामों से पता चलता है कि 26 लड़कों और 7 लड़कियों को आईपीसी की अलग-अलग धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया था, न कि 15 लड़के और लड़कियों को. नामों से हमें ये भी पता चला कि गिरफ्तार किए गए सभी लड़के एक ही समुदाय के नहीं थे.

कुमार ने इस बात की भी पुष्टि की कि इस घटना में कोई भी सांप्रदायिक एंगल नहीं है. उन्होंने बताया कि ऐसा ही एक दावा पिछले साल भी वायरल हुआ था.

मतलब साफ है कि भोपाल में छापेमारी की एक घटना की पुरानी फोटो को इस झूठे सांप्रदायिक दावे से शेयर किया जा रहा है कि फोटो में दिख रही सभी लड़कियां हिंदू और सभी लड़के मुस्लिम थे.

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