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सुरेखा सीखरी: 'बालिका वधू' से बनीं घर-घर की 'दादी सा', लंबी उपलब्धियों की लिस्ट

Surekha Sikri का शुक्रवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया.

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तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता रहीं दिग्गज अदाकारा सुरेखा सीकरी (Surekha Sikri) का शुक्रवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. 1945 में नई दिल्ली में जन्मी सीकरी ने 1971 में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से स्नातक किया. फिल्म और टेलीविजन में अपना करियर तलाशने के लिए मुंबई जाने से पहले उन्होंने एक दशक से अधिक समय तक एनएसडी की रिपेरेट्री कंपनी के साथ काम किया.

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आइए एक नजर डालते हैं सुरेखा सीकरी की कुछ यादगार फिल्मों और टीवी शो पर:

किस्सा कुर्सी का

सुरेखा सीकरी ने इस राजनीतिक नाटक के साथ एक्टिंग की शुरुआत की थी. फिल्म इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी की राजनीति पर एक व्यंग्य है. सीकरी ने फिल्म में एक नकारात्मक भूमिका निभाई और उनके प्रदर्शन को दर्शकों ने खूब सराहा.

मम्मो

मम्मो में फ़य्यूजी के रूप में सुरेखा सीकरी की भूमिका ने उन्हें दूसरा राष्ट्रीय पुरस्कार दिलाया. मम्मो श्याम बेनेगल की ट्राइलॉजी की पहली फिल्म थी, जिसमें सरदारी बेगम (1996) और जुबैदा (2001) शामिल थीं. फिल्म को समीक्षकों द्वारा सराहा गया था.

ज़ुबैदा

सीकरी ने श्याम बेनेगल द्वारा निर्देशित फिल्म में फ़य्यूजी के रूप में अपनी भूमिका दोहराई. उनके शक्तिशाली प्रदर्शन ने चरित्र को अमर बना दिया.

बधाई हो

इस फिल्म के लिए सुरेखा सीकरी ने अपना तीसरा राष्ट्रीय पुरस्कार जीता. उन्होंने बधाई हो में नीना गुप्ता की सास का किरदार निभाया था. पब्लिक ने इस रोल को काफी पसंद किया, और उनके डायलॉग पर काफी ठहाके भी लगाए.

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बालिका वधू

सुरेखा सीकरी ने बालिका वधू में कल्याणी देवी सिंह उर्फ ​​ददीसा की भूमिका निभाई, इस सीरियल में दादीसा आनंदी (अविका गोर) को पसंद नहीं करती, और अपने पोते जगदीश (अविनाश मुखर्जी) को लेकर काफी चिंता में रहती है. हालांकि बाद में दादीसा आनंदी के लिए हर मोड़ पर खड़ी नजर आईं. एक ब्रेक के बाद सुरेखा सीकरी की टेलीविजन पर वापसी बालिका वधू सीरियल से हुई.

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