कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी (Adhir Chowdhury) द्वारा राष्ट्रपति को राष्ट्रपत्नी (Rashtrapatni) संबोधित करने के बाद दोनों सदनों में बवाल हो गया. बीजेपी नेता स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने अधीर रंजन समेत सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को भी मामले में घेरते हुए माफी मांगने को कहा.
इसके बाद इस बात की चर्चा शुरू हो गई कि राष्ट्रपति अगर महिला हो तो उन्हें कैसे संबोधित किया जाना चाहिए और देश के पहले व्यक्ति को राष्ट्रपति ही क्यों बुलाया जाता है. दरअसल इसपर संविधान सभा में भी बहस हो चुकी है.
इससे पहले भी राष्ट्रपति शब्द पर आपत्ति जताई जा चुकी है. कई लोगों का मानना है कि राष्ट्रपति अगर पुरुष है तब यह शब्द ठीक है लेकिन अगर इस पद पर महिला हो तब संबोधन में बदलाव होना चाहिए. कुछ लोग इसे इस तरह से भी जोड़ कर देखते हैं कि अगर एक पुरुष-महिला के जोड़े में पति शब्द पुरुष के लिए है तो उस हिसाब राष्ट्रपति शब्द भी स्वाभाविक रूप से पुरुष के लिए ही होगा. सोशल मीडिया पर कई लोग लिखते हैं कि पुरुष प्रधान देश होने की वजह से ऐसी समस्या हुई है.
प्रतिभा पाटिल के समय भी छिड़ी थी बहस
कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के समय में जब प्रतिभा पाटिल देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनी थीं तब फिर यह बहस छिड़ गई थी. तब भी 'राष्ट्रपत्नी' - इस शब्द को उठाया गया था लेकिन इसे किसी ने तवज्जो नहीं दी, इसके अलावा सुझावों में 'राष्ट्रमाता' शब्द भी था लेकिन तब कई महिला कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध किया था और कहा था कि इससे पितृसत्तात्मक सोच और लिंग भेद को बढ़ावा मिलेगा.
जून, 2007 के शिवसेना के मुखपत्र सामना में बाला साहेब ठाकरे ने कहा था कि, "मुझे नहीं लगता कि इसमें पति या पत्नी लगाने की जरूरत है. प्रतिभाताई को राष्ट्राध्यक्ष बुलाया जाना चाहिए."
'राष्ट्रपति' शब्द पर संविधान सभा में क्या बहस हुई थी?
संविधान बनाने से पहले संविधान सभा का गठन हुआ था जिसमें कई विषयों पर लंबी-लंबी चर्चाएं और बहस हुई थी. इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार जब राष्ट्रपति को कैसे संबोधित किया जाए ये सवाल सामने आया तो दिसंबर 1948 में बहस के दौरान एचवी कामथ ने जवाहरलाल नेहरू द्वारा 4 जुलाई, 1947 को पेश किए गए प्रस्ताव को लेकर पूछा था कि क्यों न अनुच्छेद 41 ‘संघ का प्रमुख राष्ट्रपति होगा’ को ‘भारत का एक राष्ट्रपति होगा’ में बदल दिया गया.
अम्बेडकर ने कामत को समझाया कि इसमें कोई पूर्वाग्रह शामिल नहीं है. परिवर्तन केवल इसलिए हुआ, क्योंकि जो समिति अंग्रेजी में संविधान का मसौदा तैयार कर रही है, उसने शब्दों के चयन की जिम्मेदारी उन लोगों पर छोड़ दी थी, जो हिंदी और हिंदुस्तानी में संविधान का मसौदा तैयार कर रहे थे. अम्बेडकर ने तब संविधान सभा को बताया था, ‘संविधान के हिंदुस्तानी मसौदे में प्रेसिडेंट शब्द का इस्तेमाल किया गया है, जबकि हिंदी में प्रधान शब्द का इस्तेमाल किया गया है. और मुझे अभी-अभी बताया गया है कि संविधान के उर्दू मसौदे में सरदार शब्द का इस्तेमाल किया गया है.’
कामत ने पूछा था, "मैं डॉ अम्बेडकर से जानना चाहता हूं कि आज संविधान के मसौदे में जो लेख आया है, उसमें से राष्ट्रपति शब्द को क्यों हटा दिया गया है? क्या इसलिए कि हमने अब कुछ भारतीय या हिंदी शब्दों के प्रति एक नई नापसंदगी विकसित कर ली है…और संविधान के अंग्रेजी मसौदे में जहां तक संभव हो उनसे बचने की कोशिश कर रहे हैं."
उन्होंने तब बताया था कि राष्ट्रपति शब्द ने सामान्य स्वीकार्यता प्राप्त की थी, क्योंकि इस शब्द का इस्तेमाल स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कांग्रेस संगठन के प्रमुख का वर्णन करने के लिए किया जाता था.
व्याकरण में पति शब्द का मतलब
हिंदी डिक्शनरी के अनुसार पति शब्द का मतलब स्वामि (मालिक) होता है यानी किसी चीज का मालिक. जब कोई शब्द पति के साथ जुड़ जाता है तो अर्थ ...का स्वामि निकाला जाता है. जैसे सभापति, करोड़पति, लखपति या राष्ट्रपति इनका अर्थ पति-पत्नी के संदर्भ में नहीं देखा जाना चाहिए.
लेकिन यह बात भी है कि समाज में कई ऐसे शब्दों का इस्तेमाल भी किया जाता है लिंग भेद को बढ़ावा देते हैं या जो पुरुष प्रधान समाज में ज्यादा इस्तेमाल में आते हैं. जैसे बैट्समैन, कैमरामैन और भी कई, लेकिन अब इन शब्दों में भी परिवर्तन आ गया है जैसे बैट्समैन अब बैटर है और कैमरामैन अब कैमरापर्सन.