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प्रयागराज हिंसा: 21 महीने जेल-घर पर चला बुलडोजर, रिहा होने पर क्या बोले जावेद मोहम्मद?

NSA समेत 8 मामलों में जावेद मोहम्मद को जमानत मिलते-मिलते 21 महीने लगे.

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"12 जून को जेल की बैरक में जब टीवी ऑन हुआ तो मैंने देखा कि मकान के बाहर पुलिस का दस्ता मौजूद था. मकान तोड़ने की कार्रवाई जारी थी. मैं कुछ देर टीवी देखता रहा, फिर वहां से हट गया और जाकर लेट गया. मैं गहरे अफसोस में था."

इलाहबाद हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद 10 जून 2022 को प्रयागराज में हुई हिंसा में मुख्य आरोपी बनाए गए जावेद मोहम्मद 16 मार्च 2024 को जेल से रिहा कर दिए गए. नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) समेत 8 मामलों में जावेद मोहम्मद को जमानत मिलते-मिलते 21 महीने लगे. इन मामलों में जावेद मोहम्मद के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं मिले. क्विंट हिंदी से बातचीत में जावेद मोहम्मद ने उनपर दर्ज हुए केस, घर पर बुलडोजर की कार्रवाई और 2022 की प्रयागराज हिंसा के आरोपों पर खुलकर बातचीत की.

क्या था पूरा मामला?

10 जून 2022 को उत्तर प्रदेश के दो शहरों कानपुर और प्रयागराज में प्रदर्शन हुए. ये प्रदर्शन बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के पैगम्बर मोहम्मद (सल्ल.) पर दिए गए आपत्तिजनक बयान के विरोध में हुए थे. प्रयागराज में प्रदर्शन के दौरान अटाला में हिंसा हुई. इस हिंसा के अगले ही दिन 11 जून 2022 को पुलिस ने राजनीतिक और सामाजिक रूप से सक्रिय जावेद मोहम्मद को 'मास्टरमाइंड' बताते हुए गिरफ्तार कर लिया था. गिरफ्तारी के एक दिन बाद प्रयागराज प्रशासन ने जावेद मोहम्मद के मकान पर बुलडोजर चला दिया. इस बुलडोजर कार्रवाई को कई मीडिया संस्थानों ने टीवी पर लाइव दिखाया था. बुलडोजर कार्रवाई के बाद जावेद का परिवार बेघर हो गया था. जावेद मोहम्मद पर 16 जुलाई 2022 को पुलिस ने नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) भी लगाया.

"मकान पर हुई कार्रवाई गलत थी"

जावेद मोहम्मद अपने मकान पर हुई कार्रवाई के सवाल पर कहते हैं-

"हमारे मकान को गैर कानूनी तरीके से तोड़ा गया है. एक दिन पहले जब मुझे मालूम हुआ कि प्रशासन मकान तोड़ने की बात कह रहा है तो यकीन नहीं हुआ था. न तो मेरा हिंसा में कोई हाथ था, न ही मकान मेरे नाम पर है. मकान मेरी पत्नी की जमीन पर बना हुआ है. जब उन्होंने मकान तोड़ने की कार्रवाई शुरू की तो मैंने इस कार्रवाई को टीवी पर देखा, मुझे बहुत अफसोस हुआ."

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"जैसे-जैसे बेल मिलती जाती थी, वो एक-एक केस बढ़ाते जाते थे"

न्यायपालिका में अपने विश्वास को जताते हुए जावेद मोहम्मद बताते हैं ""मुझ पर काफी अत्याचार हुआ. मेरे मकान को भी गैर कानूनी तरीके से तोड़ दिया गया. हालांकि, मेरे करीबी लोगों ने मेरे ऊपर लगे आरोपों और पुलिस की कहानी को कभी सच नहीं माना. लोगों के संदेश मुझे मिलते रहे, मेरे करीबी मेरे साथ खड़े रहे. जिसके कारण मुझे जेल में इतने लंबे समय तक रहने की हिम्मत मिली. क्योंकि जैसे ही पुलिस को लगता था कि इस केस में मुझे बेल मिल सकती है, वो नया केस लगा देते थे."

प्रयागराज हिंसा के आरोप पर क्या बोले जावेद?

प्रयागराज के अटाला इलाके में जून 2022 में हुई हिंसा के आरोपों पर जब जावेद मोहम्मद से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा-

"हिंसा के बाद मुझे जब पुलिस ने थाने बुलाया था तो कुछ तस्वीरें दिखाई थी और पत्थरबाजी कर रहे लोगों को पहचानने के लिए कहा था. लेकिन मेरा घर हिंसा वाली जगह से 3 किमी दूर था इसलिए मैं उन्हें पहचान नहीं सका. पुलिस किसी तरह सारे आरोप मुझपर मढ़ना चाहती थी और ऊपर दिखाना चाहती थी कि उन्होंने मुख्य आरोपी को पकड़ लिया है. मैं सामाजिक स्तर पर काफी सक्रिय था, इसलिए उन्होंने मुझे निशाना बनाया."

क्या जावेद मोहम्मद की जमानत में अखिलेश यादव ने मदद की?

इस सवाल पर जावेद मोहम्मद ने कहा कि जब कोई भी राजनीतिक दल के अल्पसंख्यक नेता ने जेल के दौरान हमारी मदद नहीं की, उस समय अखिलेश यादव ने एक टीम को मुझसे मिलने के लिए भेजा था. उन्होंने कानूनी मदद की बात कही थी. मेरे लिए अखिलेश यादव ने ट्वीट भी किया था. जेल से आने के बाद मैं उनका शुक्रिया अदा करने के लिए उनसे मिलने गया था.

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