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कोई इधर भगाता है, कोई उधर, देखिए कर्नाटक में मजदूरों की दुर्दशा  

पूरे देश में लॉकडाउन लगा हुआ है,भारी तादाद में प्रवासी मजदूर अभी भी शहरों में फंसे हुए हैं

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कोरोना वायरस से निपटने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लगा हुआ है,भारी तादाद में प्रवासी मजदूर अभी भी शहरों में फंसे हुए है. मजदूरों की घर वापसी के लिए केंद्र और राज्य सरकारें जो भी दावा करें, लेकिन प्रवासी मजदूर अब भी पैदल आने-जाने को मजबूर हैं.

लगातार 6 दिनों से सफर कर रही ओडिशा की रहने वाली जमुना, अपने 4 महीने के बच्चे के साथ हाईवे किनारे बैठी मिली. उनके साथ उनके पति और चार और लोग भी हैं. उन्होंने लगभग 100 किलोमीटर का सफर तय किया है, मगर मंजिल अभी बहुत दूर है.

अपने बैग से निकालकर कुछ डॉक्यूमेंट दिखाते हुए जमुना ने कहा ,

लगभग एक महीने से हमलोग कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. ऑनलाइन भी अप्लाई किये थे. मगर कुछ नहीं हुआ. मजबूर होकर हमलोग ने पैदल जाने का फैसला किया .”

उन्होंने आगे कहा ओड़िशा के लिए कोई स्पेशल ट्रेन नहीं है, इसलिए दूसरा कोई रास्ता नहीं है.

जमुना के केस में ट्रेन नहीं है, मगर दूसरे लोगों ने बताया कि ट्रेन होने के बाद भी उन्हें टिकट ही नहीं मिल रहा. कर्नाटक में करीब 3 लाख प्रवासीय मजदूरों ने स्पेशल ट्रेन के लिए राजिस्ट्रेशन कराया है, जिनमें से कुछ ही लोगों को टिकट मिल पाया है.

लंबे समय से फंसे होने के चलते अब प्रवसियों का सब्र टूट रहा है. मजदूर कहते हैं सरकार की बेरुखी ने उन्हें सड़क पर ला दिया है.

नोट: इस खबर को करने के दौरान क्विंट ने जमुना को ट्रेन में जगह दिलवाने की कोशिश की. हमने अधिकारियों से बात की, जिन्होंने ओड़िशा सरकार से तालमेल बिठाकर अब जमुना को ट्रेन में बिठा दिया है.

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