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लखनऊ: खाट पर सो रहे दलित को बम से उड़ाया, पांच और लोगों को मारने की धमकी- परिवार

Lucknow Dalit Murder : मृतक के पिता ने बताया कि इस मामले में पुलिस की कार्यशैली पूरी तरह से उदासीन रही है.

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एक घटना के चलते किस तरह से किसी गांव की पूरी सूरत बदल जाती है, इसका उदाहरण है यूपी की राजधानी लखनऊ (Lucknow) से करीब 35 किमी दूरी पर बसा रानियामऊ गांव. दरअसल 18 जून की रात यहां एक ऐसा ब्लास्ट हुआ जिससे पूरे गांव के लोग अब तक खौफ में हैं.

ये घटना लखनऊ के माल इलाके की गोपरामऊ पंचायत के रानियामऊ गांव की है. ये धमाका मेवालाल रावत (38) के घर पर हुआ, जिसमें उनका बड़ा बेटा शिवम बुरी तरह घायल हो गया था. आनन-फानन में शिवम को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन चार दिन बाद उसने दम तोड़ दिया.

शिवम की हत्या से पूरे गांव में मातम पसरा है. परिवार हत्या का आरोप गांव के ही रहने वाले तीन लोगों पर लगा रहा है. परिवार के अनुसार शिवम 18 जून को हरिद्वार से लौटा था, उसी रात जब वो सो रहा था तो कथित तौर पर उसकी खाट के नीचे बम लगाकर उनकी हत्या कर दी गई. उसकी. घटना के बाद से पूरा गांव छावनी में तब्दील हो गया है और पुलिस प्रशासन की आवाजाही तेज हो गयी है.

चारपाई पर साते वक्त धमाका

शिवम की मां सावित्री घटना का जिक्र करते हुए फफक कर रो पड़ीं. उन्होंने कहा कि ‘बेटे की कमाई से ही परिवार का गुजारा होता था अब वो हमारे बीच नहीं रहा, हम कैसे जियेंगे’. घटना को याद करते हुए सावित्री ने बताया कि ‘18 जून को दोपहर 12 बजे शिवम हरिद्वार से लौटा था. हम सब खाना खाकर सोने चले गए थे. शिवम घर के बाहर चारपाई लगा सो रहा था, तभी देर रात लगभग 12 बजकर 55 मिनट पर तेज धमाके की आवाज ने नींद खोल दी." उन्होंने आगे कहा कि

"मैंने जब घर के बाहर आकर देखा तो पूरे इलाके में धुएं के कारण कुछ दिख नहीं रह था. छप्पर सुलग रहा था. मैं घर के बाहर चारपाई पर सोए बेटे को उस धुएं में ही ढूंढने लगी. मेरा बेटा खून से सना हुआ चारपाई से 10 मीटर की दूरी पर पड़ा हुआ था. गांव की पूरी भीड़ इकट्ठा हो गयी. जल्दबाजी में हम उसे माल सीएचसी ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे ट्रॉमा सेंटर लखनऊ ले जाने के लिए कहा. चार पांच दिन के इलाज के बाद शिवम हम सब को छोड़कर चले गये"
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"अभी तो एक ही मरा है, पांच और मरेंगे"

मृतक के पिता मेवालाल ने बताया कि गांव के ही तेज बहादुर उर्फ हरिकेश सिंह और दीपू सिंह से उनका विवाद चल रहा था. तेज बहादुर सिंह ने गांव के अर्जुनसिंह से जमीन खरीदी थी, लेकिन चेक बाउंस होने के कारण 17 जून को दाखिल खारिज पर रोक लग गई और घटना 18 जून की रात हुई है. उन्होंने कहा कि, "मैं अर्जुन सिंह के घर चौकीदारी करता हूं, जिसके कारण तेज बहादुर सिंह को समस्या हो रही थी. कई बार उन्होंने पहले भी धमकी दी थी. कह रहे हैं कि अभी तो एक ही मरा है, पांच और मरेंगे."

पुलिस की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं परिवार

मेवालाल बताते हैं कि इस मामले में पुलिस की कार्यशैली पूरी तरह से उदासीन रही है. घटना को दो हफ्ते से होने को है, लेकिन अभी तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि "हमें धमकियां मिल रही हैं. आरोपी के परिवार वाले घूम-घूमकर धमकी दे रहे हैं. वे कह रहे हैं कि अभी तो एक मरा है, पांच बाकी हैं.

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मृतक के चाचा सुरेश कुमार बताते हैं कि "अठारह तारीक की बात है, मेरा भतीजा हरिद्वार से घर आया था, रात को मैं काम से लौट कर आया तो देखा शिवम सो रहा है. मैं भी उसके बगल में चारपाई डाल सो गया. आधी रात को तेज धमाका हुआ. धमाका इतना तेज था कि मैं अपनी चारपाई से उठने के बजाय गिर पड़ा. बगल में धुएं के गुब्बार उठ रहे थे. मैं कुछ समझ पाता इससे पहले देखा कि शिवम छटपटा रहा है, वहीं दो लोग भाग रहे हैं. शिवम दर्द से कराह रहा था. हम लोग उसे लेकर अस्पताल भागे लेकिन दुर्भाग्य की बचा नहीं पाए.

इस घटना में अभी तक एक भी आरोपी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा है और सभी आरोपी फरार हैं.

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