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जामिया-AMU: पुलिस कार्रवाई के बाद डर और डिप्रेशन में जी रहे छात्र

15 दिसंबर 2019 को पुलिस ने जामिया और एएमयू परिसर में लाठीचार्ज किया था

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वीडियो एडिटर: पुनीत भाटिया

15 दिसंबर 2019 को पुलिस जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के परिसर में घुसी, आंसू गैस के गोले दागे और प्रदर्शनकारियों, छात्रों पर लाठीचार्ज किया. इस कार्रवाई में कई लोग घायल हो गए. छात्रों में कई को फ्रैक्चर हो गया, एक छात्र के आंख की रोशनी भी चली गई.

क्विंट ने जामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के तीन छात्रों से बात की और जानना चाहा कि 15 दिसंबर की घटना के बाद इन लोगों की जिंदगी कितनी बदल गई है.

जामिया के 26 साल के एलएलएम छात्र मोहम्मद मिन्हाजुद्दीन उस दिन यूनिवर्सिटी के सेंट्रल लाइब्रेरी में पढ़ रहे थे. UPSC अभ्यर्थी सोमवार से शुक्रवार तक कोर्ट में और शनिवार-रविवार जामिया लाइब्रेरी में बिताते थे. शाम 5:45 बजे, छात्रों ने दरवाजे पर एक दस्तक सुनी. डर की वजह से उन्होंने दरवाजा नहीं खोला.

मिन्हाजुद्दीन ने बताया कि कुछ देर बार पुलिस ने धक्का देकर दरवाजा खोल दिया और उनकी पिटाई शुरु कर दी.

बेटे की गलती यही थी कि लाइब्रेरी में जाकर पढ़ाई करने लगे थे. उस दिन लाइब्रेरी में नहीं जाते तो ऐसा नहीं होता. इस तरह से मारने का कोई अधिकार नहीं था. लाइब्रेरी के अंदर जाकर पढ़ते हुए बच्चे के आंख पर निशाना बनाकर मारा जाए, ये तो बहुत बड़ा जुल्म है.
हसमत नसरीन, मिन्हाजुद्दीन की मां
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मुस्तफा भी जामिया में पुलिस लाठीचार्ज के दौरान घायल हुए थे. वो प्रदर्शन में शामिल भी नहीं थे और लाइब्रेरी में पढ़ाई कर रहे थे.

उन्होंने पहला डंडा मेरे सर पर मारा. उसके बाद मैं उनसे बार-बार कह रहा था कि मुझे मत मारो. मैं प्रदर्शन में शामिल नहीं हूं. लेकिन वो सुनने को तैयार नहीं थे. मारते जा रहे थे. मेरा लैपटॉप वहीं टूट गया. जब मैं अपना सिर बचाने की कोशिश कर रहा था, उसी दौरान दोनों हाथ में फ्रैक्चर आए हैं.
मुस्तफा, छात्र, जामिया

AMU के PHD स्कॉलर मोहम्मद तारिक के दाए हाथ में आंसू गैस का गोला लगा था. जिसकी वजह से उनके हाथ को काफी नुकसान पहुंचा था. फिलहाल वो काफी तकलीफ में हैं. AMU प्रशासन ने तारिक को यूनिवर्सिटी में कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने का प्रस्ताव दिया है.

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