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नूंह शोभायात्रा पर चौटाला ने उठाए सवाल,खट्टर की राय अलग, क्या BJP-JJP में तकरार?

Haryana Violence: CM खट्टर हिंसा को साजिश बता रहे हैं वहीं, डिप्टी CM चौटाला यात्रा के आयोजकों पर आरोप लगा रहे हैं.

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Haryana Violence: हरियाणा में हुई हिंसा को लेकर अब राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी-जेजेपी गठबंधन में मतभेद सामने आ गए हैं. खुद राज्य बीजेपी के अंदर से अलग-अलग आवाजें आ रही हैं. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर जहां पूरे घटनाक्रम को एक साजिश करार दे रहे हैं तो वहीं, डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला यात्रा के आयोजकों पर आरोप लगा रहे हैं.

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यात्रा को लेकर खट्टर और चौटाला में मतभेद!

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि यात्रा को निशाना बनाने की साजिश थी. उन्होंने नूंह के स्थानीय लोगों की ओर इशारा किया, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम हैं.

उन्होंने कहा, "यात्रा एक धार्मिक जुलूस था. इसे एक साजिश के तहत निशाना बनाया गया."

दूसरी ओर, उपमुख्यमंत्री और जननायक जनता पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला ने यात्रा के आयोजकों - यानी विश्व हिंदू परिषद - पर आरोप लगाया है और कहा है कि उन्होंने प्रशासन को भीड़ का सही अनुमान नहीं दिया.

उन्होंने कहा कि यदि आयोजकों ने अधिकारियों को यात्रा में शामिल हो रहे लोगों की संख्या का उचित अनुमान दिया होता तो हिंसा को रोका जा सकता था.

आयोजकों ने कार्यक्रम में भाग लेने वाले व्यक्तियों की सही संख्या के बारे में उचित जानकारी नहीं दी. व्यापक क्षति के पीछे यही कारण प्रतीत होता है.
दुष्यंत चौटाला, डिप्टी सीएम, हरियाणा

चौटाला ने नूंह के मुसलमानों की प्रशंसा करते हुए यहां तक कहा कि वे "मुगल आक्रमणों के साथ-साथ स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भी भारत के साथ खड़े थे".

जेजेपी नेता ने कहा कि दोषियों को दंडित किया जाएगा "भले ही वे किसी राजनीतिक दल या सामाजिक संगठन से जुड़े हों".

राव इंद्रजीत सिंह ने यात्रा पर उठाये सवाल

केंद्रीय मंत्री और गुरुग्राम से बीजेपी सांसद राव इंद्रजीत सिंह ने शोभा यात्रा के दौरान हथियारों के इस्तेमाल पर सवाल उठाया है.

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा इंद्रजीत सिंह ने कहा, "जुलूस के लिए उन्हें हथियार किसने दिए? जुलूस में तलवार या लाठी लेकर कौन जाता है? यह गलत है. इस तरफ से भी उकसावे की घटना हुई. मैं यह नहीं कह रहा कि दूसरी तरफ से कोई उकसावे की बात नहीं थी."

इंद्रजीत ने बुधवार को पीएम मोदी से मुलाकात की और मुलाकात के बाद भी उन्होंने अपना रुख दोहराया.

यह जांच का विषय है कि दोनों पक्षों के पास ये हथियार कैसे आये और ऐसा माहौल कैसे बना.
पीएम मोदी से मुलाकात के बाद राव इंद्रजीत सिंह

इन बयानों के क्या मतलब?

दुष्‍यंत चौटाला के इस रुख को हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी के बीच बढ़ती दूरियों के तौर पर देखा जा रहा है.

किसानों के विरोध और पहलवानों के विरोध पर बीजेपी के रुख से जेजेपी असहज रही है.

दोनों पार्टियों के बीच विवाद का एक और मुद्दा लोकसभा चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा है, खासकर हिसार और सिरसा लोकसभा सीटें, दोनों पर बीजेपी का कब्जा है.

हिसार चौटाला परिवार की पारंपरिक सीट रही है, लेकिन 2019 में यह सीट बीजेपी के बृजेंद्र सिंह ने जीती थी.

बृजेंद्र चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे हैं, जो पहले कांग्रेस में थे. उनके परिवार की चौटाला परिवार से राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता जगजाहिर है.

अगर दोनों पार्टियों के बीच सीटों का बंटवारा होना है, तो बीजेपी को कम से कम हिसार और शायद सिरसा को भी छोड़ना होगा, जो जेजेपी के प्रभाव वाले मुख्य क्षेत्र में भी आता है.

लेकिन दुष्यंत चौटाला के स्टैंड का एक और पहलू है - कई आंदोलनों के कारण जाट समुदाय बीजेपी से दूर हो गया है. इसमें जाट आरक्षण विरोध, किसानों का विरोध और पहलवानों का विरोध शामिल है. दूसरी तरफ ग्रामीण जाट मतदाता जेजेपी का प्राथमिक आधार हैं.

नूंह हिंसा के संदर्भ में, जाट समूहों ने 'एकजुट हिंदू प्रतिक्रिया' जुटाने के हिंदुत्व संगठनों के प्रयासों से स्पष्ट दूरी बनाए रखी है. दरअसल, सोशल मीडिया पर जाट समूहों में मौजूदा हिंसा में समुदाय की 'तटस्थता' को लेकर मीम्स और चुटकुले शेयर किये जा रहे हैं.
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राव इंद्रजीत का मामला दुष्यंत चौटाला से अलग है क्योंकि राव इंद्रजीत अभी भी बीजेपी के भीतर हैं. इंद्रजीत पहले कांग्रेस में थे और 2014 और 2019 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने पर भी मेवात के मुसलमानों से कुछ समर्थन पाने में कामयाब रहे.

उनका रुख उस तबके के बीच कुछ रुतबा कायम रखने की उनकी चाहत को दर्शाता है. ऐसी भी आशंका है कि 2024 के चुनावों में बीजेपी संभावित रूप से उनकी जगह किसी अधिक कट्टरपंथी उम्मीदवार को उतार सकती है.

हालांकि, 2 अगस्त को राव इंद्रजीत की पीएम मोदी से मुलाकात से किसी भी संभावित मतभेद की अफवाहें खत्म हो जाएंगी.

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