ADVERTISEMENTREMOVE AD

गीत जो बन गए किसान आंदोलन की आवाज

आखिर वो क्या चीज है जो किसानों को इस प्रदर्शन का जज्बा दे रही हैं...

Aa
Aa
Small
Aa
Medium
Aa
Large
ADVERTISEMENTREMOVE AD
  • वीडियो एडिटर: पुनीत भाटिया
  • कैमरापर्सन: अथर राथर, शिव कुमार मौर्य

केंद्र सरकार के किसान कानूनों के खिलाफ पिछले करीब दो महीने से पंजाब और हरियाणा के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. इन प्रदर्शनकारी किसानों ने अस्थायी तौर पर दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं को ही अपना इलाका बना लिया है और ट्रैक्टर-ट्रॉली को अपना घर. लेकिन ये सब इतना आसान नहीं है, दिल्ली की कड़ाके के ठंड और खुले आसमान के नीचे ये किसान प्रदर्शन कर रहे हैं, ऐसे में आखिर वो क्या चीज है जो इन्हें इस लड़ाई का जज्बा दे रही है. ऐसी कई चीजें हैं, उन्हीं में से एक है वो 'गीत' जो इस आंदोलन को आवाज दे रहे हैं.

द क्विंट ने सिंघु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर में कई ऐसे प्रदर्शनकारी किसानों से मुलाकात की जो अपनी कविताओं और लोकगीत के जरिए किसानों की मांग की आवाज बन रहे हैं.

एमी गिल, गीतकार

एमी गिल एक गीतकार हैं जो नवंबर महीने से ही किसान प्रदर्शन का हिस्सा रहे हैं. उन्होंने द क्विंट से बातचीत में बताया कि गानों के जरिए प्रदर्शनकारियों का मनोबल ऊंचा रहता है और इससे आगे की लड़ाई लड़ने के लिए संबल मिलता है.

अक्सर लोग शाम के वक्त इकट्ठा होते हैं. हम कविताएं गाते सुनाते हैं. एक तरह का माहौल बन जाता है और लोग इकट्ठे होते जाते हैं. हम अपने लिखे हुए गाने गाते हैं और वो गाने जो हमारे मनोबल को बढ़ाते हैं. हम इन्हीं खयालों को लेकर सो जाते हैं और एक नई सुबह के साथ जागते हैं.
एमी गिल, गीतकार

उन्होंने ये भी बताया कि ज्यादातर गीतों को प्रोफेशनल लोग आवाज नहीं देते हैं. ये गाने प्रदर्शनकारियों की भीड़ से तैयार होते हैं.

गिल के मुताबिक, उनके कंपोजिशंस सिख संस्कृति के इतिहास से प्रेरणा लेकर बनते हैं, वो संस्कृति जिसे प्रदर्शन के दौरान कई किताबों को पढ़कर उन्होंने जाना है. वो कहते है.

“जैमर्स की वजह से इंटरनेट यहां सही से काम नहीं करता है, ऐसे में खाली समय में हम किताब पढ़ते हैं. सच बताऊं तो ये सरकार हमें इंटरनेट से दूर कर कुछ ज्यादा हासिल नहीं कर सकेगी. इससे उन्हीं को दिक्कत होगी क्योंकि अब हम किताब पढ़ने लगे हैं.”

कविताएं लिखने के अलावा गिल सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों के लिए लंगर तैयार करने में भी मदद करते हैं. उनका मानना है कि कविताएं उन्होंने ज्यादा वक्त तक प्रदर्शन करने के लिए ऊर्जा देती हैं.

कुलदीप सिंह, प्रदर्शनकारी किसान

भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के पास के एक शहर फजिल्का से प्रदर्शन में शामिल आए हैं कुलदीप सिंह. उन्होंने देश में किसानों की दशा पर गाना कंपोज किया है. इस गाने के लिरिक्स में किसानों की कड़ी मेहनत और उनके दुख-दर्द की बात है. जैसे ही हम उनका गाना रिकॉर्ड करने पहुंचे, वो कहते हैं-“ये पहली बार है जब मैं सार्वजनिक तौर पर गाना गा रहा हूं.'' कुलदीप कहते हैं कि सच तो ये है कि किसान अपने फसलों की कीमत तो खुद तय कर ही नहीं पाता.

फिलहाल हमारे देश में जो माहौल है, ये गाना हमारे देश के उसे पूरी तरह से दर्शाता है. ये पहली बार है जब मैं ये गाना सार्वजनिक तौर पर गाने जा रहा हूं. जब आपने कहा कि आप इस गाने को रिकॉर्ड करने जा रही हैं, तब मुझे ये लगा कि हर एक को ये गाना सुनना चाहिए और ये जानना चाहिए कि आखिर क्यों हम अपने द्वारा उगाए गई फसलों की कीमत खुद क्यों नहीं तय कर पाते.
कुलदीप सिंह, प्रदर्शनकारी किसान
ADVERTISEMENTREMOVE AD

जरनैल सिंह, जलालाबाद से आए प्रदर्शनकारी किसान

किसान जरनैल सिंह ने सिंघु बॉर्डर पर अपने साथियों सोहना सिंह और गंडा सिंह के साथ धार्मिक और देशभक्ति के गीत गाए.

एक दिन जब मैंने किसी को गाते हुए देखा तो मुझे लगा कि मुझे भी अच्छा गाना चाहिए, जब मैंने गाया लोगों ने खूब तारीफ की और खुश हुए. इसके बाद सभी लोगों ने कहा कि मुझे गाना चाहिए. इसीलिए मैंने अपने दोस्तों को यहां बुला लिया. अब हम गाते हैं और अपने किसानों की सेवा करते हैं. अपने गानों से अपने भाइयों के जज्बे को कायम रखते हैं.
जरनैल सिंह, प्रदर्शनकारी किसान

उनके ज्यादातर गाने सिखों के पुराने इतिहास को लेकर और समुदाय के गुरुओं को लेकर होते हैं. अपने एक गाने में वो गोल्डन टेंपल को तोड़े जाने और लाहौर के गवर्नर मासा रंगार के बारे में बात कर रहे हैं, जिसे सिखों ने मार दिया था.

Speaking truth to power requires allies like you.
Become a Member
Monthly
6-Monthly
Annual
Check Member Benefits
×
×