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कश्मीर पर इस्तीफा देने वाले IAS गोपीनाथन बोले-सरकार से डरता नहीं

गोपीनाथन ने कहा, “क्या जम्मू-कश्मीर की जनता को अपनी बात रखने का अधिकार नहीं है?”

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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद

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कश्मीर में बोलने की आजादी पर पाबंदी के खिलाफ आवाज उठाने के लिए IAS से इस्तीफा देने वाले कन्नन गोपीनाथन ने कहा है कि सरकार कश्मीर या किसी और भी मसले पर कोई भी फैसला ले सकती है, ये उसका हक है, लेकिन लोगों की आवाज को दबाना उसका हक नहीं है. ये बात उन्होंने क्विंट हिंदी से एक खास बातचीत में कही. कन्नन से जब ये पूछा गया कि क्या उन्हें सरकार की तरफ से एक्शन लिए जाने का डर है तो उन्होंने कहा-डरता तो मैं इस्तीफा ही क्यों देता?

गोपीनाथन ने आगे कहा, "अगर मैं आपकी जिंदगी बचाने के लिए आपको जेल में डाल दूं, तो क्या ये सही होगा. मुझे लगता है कि वहां के लोगों को अपनी राय रखने का पूरा अधिकार है. वो अलग बात है कि हम उसे सुनना चाहें या नहीं. पिछले 22 दिनों से जम्मू-कश्मीर की जनता को बाहर निकलने की अनुमति नहीं है. उनके लीडर्स नजरबंद हैं."

IAS की नौकरी क्यों छोड़नी पड़ी?

जब से आर्टिकल 370 हटाया गया है, तब से मैं परेशान था. मैं अलग-अलग लोगों से इस बारे में बात भी कर रहा था. फिर एक दिन फैसला कर लिया कि IAS की नौकरी में रहने से ज्यादा जरूरी है लोकतंत्र में बोलने की आजादी की अहमियत के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को बताना . इसलिए मैंने इस्तीफा दे दिया.

‘आपकी आवाज दबाई जा रही है’- आपको ऐसा क्यों लगा?

सर्विस में किसी पॉलिटिकल तरीके से कोई आवाज नहीं दबाई जाती. नियम के मुताबिक, हम सरकार की नीतियों की आलोचना पब्लिक में नहीं कर सकते. लेकिन अगर आपको पूरी तरह से लगता है कि ‘ये गलत हुआ है, किसी के बोलने के अधिकार पर रोक लगाना गलत है’ तो मैंने इस बारे में बोलने की कोशिश की. पहले मैं ट्विटर पर इस बारे में बोला. लेकिन सरकार में रहकर ये सब करना ठीक नहीं लगा. नौकरी में रहकर मुझे ऐसा लगा, जैसे मैं अपनी आवाज ही खो चुका था.

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गृहमंत्रालय का ‘कारण बताओ’ नोटिस आपको बेकार क्यों लगा?

अगर मैं उस ‘कारण बताओ’ नोटिस से डरता, तो आज मैं कश्मीर की ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ के बारे में बात नहीं कर रहा होता. ‘कारण बताओ’ नोटिस में बताया गया कि मैंने प्रधानमंत्री अवॉर्ड के लिए आवेदन नहीं किया था. मैं पूछता हूं कि क्या एक अवॉर्ड के लिए आवेदन करना जरूरी है? ऐसा कहीं भी नहीं लिखा है. अगर सरकार मानती है कि मैं प्रधानमंत्री अवॉर्ड के लिए काबिल था, ये अच्छी बात है.

क्या आपको प्रशासन से डर नहीं लगता?

मुझे नहीं लगता कि मुझे सरकार से डरना चाहिए. मुझे जो सही लगा वो किया. अगर मैं नौकरी में रहकर आवाज उठाता, तो मैं गलत होता. मुझे सरकार, लोकतंत्र पर भरोसा है. मैं आवाज उठाकर सरकार को बता रहा हूं कि शायद हमारी गलती हो सकती है. इसपर दोबारा सोचना चाहिए. लोकतंत्र में सभी बोलने का अधिकार है.

IAS की नौकरी कैसे ज्वाइन की?

मेरा IAS बनने की कोई योजना नहीं थी. पहले मैं नोएडा की एक प्राइवेट कंपनी में ही काम करता था. उसके बाद बच्चों को पढ़ाता था. मेरी पत्नी को लगा कि मैं IAS में ज्यादा अच्छा काम कर सकता हूं. इसके बाद आईएएस की नौकरी में आया.

बता दें, गोपीनाथन केरल में आई बाढ़ के दौरान केरल टूर पर थे. उस वक्त वो दादर और नगर हवेली के जिलाधिकारी के पद पर थे और वो केरल में राहत का काम करने चले गए थे. केरल में बिना किसी को अपनी पहचान बताए गोपीनाथन ने काम किया. वहां कुछ अधिकारियों ने गोपीनाथन को पहचान लिया, जिससे उनके बारे में लोगों को पता चला.

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