ADVERTISEMENTREMOVE AD

RTI की बदौलत नोटबंदी से जुड़ी ये अहम जानकारी आई सामने

8 नवम्बर, 2016 को नोटबंदी के ऐलान के बाद डीसीसीबी ने 5 दिनों में सबसे ज्यादा बैन नोट जमा किये थे.

Aa
Aa
Small
Aa
Medium
Aa
Large
ADVERTISEMENTREMOVE AD

मुंबई के एक्टिविस्ट मनोरंजन एस रॉय ने आरटीआई के जरिए सवाल पूछा कि देशर में डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव सेंट्रल बैंक (डीसीसीबी) ने नोटबंदी के दौरान बैन किए गए नोट की कितनी रकम जमा की है?

इस आरटीआई से ये पता लगा कि 8 नवम्बर, 2016 को नोटबंदी के ऐलान के बाद अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक ने 5 दिनों में सबसे ज्यादा बैन नोट जमा किये थे यानी कुल 745 करोड़. इस बैंक के डायरेक्टर, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह हैं.

आरटीआई के जवाब में नेशनल बैंक ऑफ एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (NABARD) ने बताया कि नोटबंदी के दौरान 8-13 नवंबर के बीच आरबीआई ने निर्देश दिए थे कि DCCB की कोई भी शाखा बैन हुए नोट जमा नहीं कर सकती, बैंक के ढीले नियम से मनी लॉन्‍ड्र‍िंग की समस्या आ सकती है.

रॉय ने क्विंट से बताया कि उन्होंने सच्चाई जानने के लिए आरटीआई डाली, लेकिन इससे उनकी जान पर बन आई है.

2012 से चल रही है कालेधन का खुलासा करने की कोशिश

रॉय ने बताया कि कालेधन का पर्दाफाश करने का ये ताजा मामला है, साथ ही कालेधन से पर्दा उठाने की कोशिशें वो 2012 से कर रहे हैं.

रॉय ने कहा, ''2012 में मैंने आरबीआई में 500 और 1000 रुपये के नोट में अंतर और उनके बारे में अधिक जानने के लिए आरटीआई डाली थी. कुछ वक्त बाद मैंने उसमें बहुत बड़ी खामी देखी और 2015 में मैंने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक पीआईएल डाली.''

एक्टिविस्ट ने बताया कि जो नोट बाजार में चल रहे थे, उनके नंबर के सिलसिले में वो 3 प्रिंटिंग प्रेस वालों से बात कर चुके हैं.

500 के बैन नोट, जिनकी संख्या करीब 19,45,40,00,000 थी, वो आरबीआई को भेजी गयी. लेकिन आरबीआई का कहना है कि उन्हें 18,98,46,84,000 ही नोट मिले हैं. यानी 46,93,16,000 नोट या 23,465 करोड़ रुपये की कमी थी.
ADVERTISEMENTREMOVE AD
ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्रिंटिंग प्रेस ने रॉय को बताया कि उन्होंने 1000 के 4,44,13,00,000 नोट आरबीआई भेजे थे, लेकिन आरबीआई का कहना है कि उन्हें 4,45,30,00,000 नोट की ही प्राप्ति हुई. यानी यहां पर भी 1,17,00,000 नोट या 1,170 करोड़ रुपये की कमी थी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इन सब जानकारी के साथ रॉय ने 2015 में बॉम्बे हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल की थी, लेकिन कोर्ट ने 2015 में ही वो पीआईएल खारिज कर दी.

'कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं, ये मेरा कर्तव्य है'

विपक्ष ने रॉय की जानकारियों को लेकर अमित शाह पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया. हालांकि रॉय का कहना है कि उनका कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है.

उन्‍होंने कहा, ''किसी भी तरह की राजनीति में मेरी रुचि नहीं है. मेरे लिए सारी पार्टी एक समान है, चाहे वो बीजेपी हो या कांग्रेस. मैं सिर्फ अपने देश के बारे में सोचता हूं और ये मेरा हक है.''

रॉय ने बताया कि उन्हें अपनी सुरक्षा की चिंता रहती थी, क्योंकि आरटीआई में कई बड़े नाम शामिल हैं.

Published: 
Speaking truth to power requires allies like you.
Become a Member
Monthly
6-Monthly
Annual
Check Member Benefits
×
×