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जब मुंबई सोती है, कुछ लोग धारावी में ‘उम्मीद’ बांटते हैं 

15 लाख की घनी आबादी वाले धारावी में 12 मई तक 960 से ज्यादा लोग COVID-19 पॉजिटिव पाए गए हैं.

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जब रात में मुंबई सोती है गुलजार खान और उनकी टीम एशिया के सबसे बड़े स्लम धारावी की संकरी और घुमावदार गलियों में घूमते हुए COVID-19 महामारी और लॉकडाउन से प्रभावित लोगों को राशन बांटते हैं.

15 लाख की घनी आबादी वाले धारावी में 12 मई तक 960 से ज्यादा लोग COVID-19 पॉजिटिव पाए गए हैं और 31 लोगों की मौत हो चुकी है.

जिसके बाद से इलाके को सैनेटाइज किया गया है और लोगों को बाहर निकलने से रोका जा रहा है. अब ऐसे में इस इलाके के लोगों के लिए सबसे बड़ा संकट राशन का इंतजाम करना है. कई सारी संस्थाएं इस इलाके में राशन पहुंचाती हैं, लेकिन भूख और बेरोजगारी की वजह से राशन लेने वालों की भीड़ लग जाती है जिससे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पाता है. ऐसे में कोरोना के बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है. इसी को देखते हुए गुलजार की टीम ने राशन पैकेट बांटते समय भीड़भाड़ रोकने का उपाय निकाला है.

गुलजार खान की ‘हम सब है एक’ फाउंडेशन, प्रजा फाउंडेशन और पब्लिक कंसर्न फॉर गवर्नेंस ट्रस्ट मिलकर लोगों के राशन के लिए फंड जमा करती है और पुलिस के साथ तालमेल बिठाकर लोगों के घरों तक ये राशन पहुंचाती है. और ये सब होता है रात में ताकि कोई सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन ना करे.

गुलजार बताते हैं,

“हम कोरोनोवायरस संकट के कारण रात में लोगों की मदद कर रहे हैं.अगर हम इसे (पैकेज) दिन के दौरान बांटेंगे तो इससे भीड़भाड़ हो सकती है. इस वजह से हम एक दूसरे के संपर्क में आ जाएंगे, हम ऐसा नहीं चाहते हैं. ज्यादातर लोग रात में सो रहे होते हैं, इसलिए हमने रात में राशन बंटने का का फैसला किया. इससे बिना किसी परेशानी के सीधा लोगों के घरों में राशन पहुंच जाएगा.”
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मुंबई में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर धारावी में रहते हैं, जो छोटी-छोटी व्यावसायिक इकाइयों में काम करते हैं. सात हफ्ते पहले लॉकडाउन हुआ जिसके बाद से यहां रह रहे लोगों का के पास पैसे की कमी के साथ-साथ गुजारा करना भी मुश्किल होने लगा.

गुलजार की टीम के पास फंड की कमी, लेकिन इरादे मजबूत

गुलजार और उनकी टीम ने अब तक 350 से ज्यादा परिवारों की मदद की है, लेकिन फंड की कमी और कोरोना वायरस संकट का कोई अंत न दिखने से अब गुलजार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं, वो कैसे लोगों तक राशन पहुंचाएंगे इसकी चिंता है.

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