ADVERTISEMENTREMOVE AD

बिहार: मोतियाबिंद सर्जरी के बाद 15 की आंख गई, ‘’मरीजों को छोड़ भाग गए डॉक्टर’’

NHRC ने इस मामले पर बिहार के मुख्य सचिव से जवाब मांगा है.

Aa
Aa
Small
Aa
Medium
Aa
Large

वीडियो प्रोड्यूसर/एडिटर: कनिष्क दांगी

इनपुट्स- अनिमेष कुमार और महीप राज

बिहार के मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) के एक अस्पताल में प्रशासन की लापरवाही ने 15 लोगों की आंखों की रौशनी छीन ली. मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने आए 65 लोगों में से 15 लोगों की आंखों में गंभीर इंफेक्शन हो गया, जिसके कारण ऑपरेशन कर उनकी आंखें निकालनी पड़ी. घटना 22 नवंबर को शहर के जुरण छपरा इलाके के एक आई अस्पताल की है. मामला सामने आने के बाद अस्पताल में OT और OPD जैसी सुविधाएं बंद कर दी गई हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या है पूरा मामला?

मुजफ्फरपुर जिले के जुरण छपरा में एक नेत्र अस्पताल में 22 नवंबर को मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए एक कैंप लगाया गया था, जिसमें कई लोगों ने अपनी आंखों का ऑपरेशन करवाया. ये एक चैरिटेबल अस्पताल है, जहां हर हफ्ते कैंप लगाकर ऑपरेशन होता है.

ऑपरेशन के एक हफ्ते के अंदर ही कई लोगों की आंखों में इंफेक्शन हो गया. जब मरीज अपनी परेशानी लेकर अस्पताल पहुंचे, तो अस्पताल प्रशासन ने कहा कि आंखों में इंफेक्शन हो गया है, और आंख को निकालना पड़ेगा, नहीं तो इंफेक्शन दूसरी आंख में भी पहुंच सकता है.

अस्पताल में परिजनों का हंगामा

इंफेक्शन के बाद आंख हटाने की बात सुनकर मरीजों के परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया. पीड़ित परिवारों का कहना है कि जब सिविल सर्जन को इस बात की जानकारी दी गई तो अस्पताल कर्मी दर्द से कराहते मरीजों को छोड़कर वहां से भाग गए.

हालात संभालने के लिए अस्पताल में पुलिस बल भेजा गया, जिसके बाद सभी को अस्पताल से बाहर निकाला गया. वहीं, कुछ मरीजों को इलाज के लिए एंबुलेंस से पटना भेजा गया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

मामले की जांच के लिए डॉक्टरों की टीम बनाई गई

मुजफ्फरपुर सिविल सर्जन डॉ विनय शर्मा ने कहा कि इस पूरे मामले की गहनता से जांच के लिए तीन सदस्य डॉक्टरों की टीम बनाई गई है, जो 2 दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट करेंगे कि आखिर ऑपरेशन का प्रोटोकॉल पालन किया गया है या नहीं, या फिर किस कारण से ऐसा हुआ है. सिविल सर्जन ने कहा कि दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी.

सिविल सर्जन ने कहा कि उन्होंने अस्पताल से सभी मरीजों की जानकारी मांगी है, ताकि सभी को इलाज मुहैया कराया जा सके. उन्होंने कहा कि देखना होगा कि लापरवाही कहां हुई है, अस्पताल को फिलहाल बंद करा दिया गया है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

मरीजों ने बताई आपबीती

एक पीड़ित, हरिंजर रजक ने बताया कि मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद उन्हें रात में आंखों में दर्द होने लगा और आंखों से पानी आने लगा. जब उन्होंने डॉक्टरों को दिखाया तो उन्होंने दवाई दी, लेकिन उससे कोई आराम नहीं मिला. इसके बाद उन्हें पटना भेज दिया गया, जहां तीन जगह जांच के बाद दवाई दे दी गई. पीड़ित ने बताया कि इसके बावजूद उन्हें जब कोई आराम नहीं मिला. जब वो अस्पताल आए तो उन्हें बताया गया कि इंफेक्शन फैल गया है और हो सकता है कि आंख निकालनी पड़ेगी.

एक और पीड़ित, राम मुक्ति सिंह ने बताया कि उनका मोतियाबिंद का ऑपरेशन सफल नहीं रहा. उन्होंने कहा कि अस्पताल ने उन्हें कहा कि आंख निकालवाने में ही फायदा है, नहीं तो इंफेक्शन फैल सकता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

NHRC ने बिहार के मुख्य सचिव से मांगा जवाब

नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन (NHRC) ने इस मामले पर बिहार के चीफ सेक्रेटरी से जवाब मांगा है. NHRC ने कहा कि मेडिकल प्रोटोकॉल के मुताबिक, एक डॉक्टर 12 सर्जरी तक कर सकता था, लेकिन इस मामले में, डॉक्टर ने 65 मरीजों की सर्जरी की.

"सरकारी अस्पताल में इस तरह की लापरवाही से आंखों का ऑपरेशन करना और मेडिकल प्रोटोकॉल के नियमों का उल्लंघन करना, एक गंभीर चिंता का विषय है."
NHRC

NHRC ने बिहार सरकार के चीफ सेक्रेटरी को नोटिस जारी कर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. रिपोर्ट में आंख गंवाने वाले मरीजों की सही संख्या, उन्हें दी जा रही ट्रीटमेंट की स्थिति और राज्य सरकार द्वारा प्रदान की गई राहत के बारे में जानकारी देने की उम्मीद है. NHRC ने रिपोर्ट में दोषी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की जानकारी भी मांगी है.

Published: 
Speaking truth to power requires allies like you.
Become a Member
Monthly
6-Monthly
Annual
Check Member Benefits
×
×