ADVERTISEMENTREMOVE AD

अशोक गहलोत बोले, मैं CM पद छोड़ना चाहता हूं लेकिन यह पद मुझे नहीं छोड़ रहा है

Ashok Gehlot ने कहा कि उन्होंने 'माफ करो और भूल जाओ' की नीति अपनाई है और आगे बढ़े हैं.

Published
Aa
Aa
Small
Aa
Medium
Aa
Large

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने गुरुवार, 19 अक्टूबर को कहा कि वह भूलो और माफ करो के सिद्धांत का पालन करते हैं, और इसलिए राज्य का शीर्ष पद छोड़ना चाहते हैं, लेकिन पद उन्हें नहीं छोड़ रहा है. गहलोत की टिप्पणी राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले उनके पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के साथ सत्ता संघर्ष की पृष्ठभूमि में आई है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

"मैं मुख्यमंत्री पद छोड़ना चाहता हूं, लेकिन यह मुझे नहीं छोड़ रहा है"

पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में जब उनसे पूछा गया कि क्या वह मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं तो आशोक गहलोत ने कहा, "मैं मुख्यमंत्री पद छोड़ना चाहता हूं, लेकिन यह मुझे नहीं छोड़ रहा है. और शायद भविष्य में भी मुझे नहीं छोड़ेगा."

गहलोत ने यह भी कहा कि मुझ में कुछ तो बात होगी कि पार्टी आलाकमान ने मुझे तीन बार राज्य का नेतृत्व करने के लिए चुना.

उन्‍होंने कहा, “जब सोनिया गांधी पहली बार पार्टी प्रमुख बनीं तो उन्होंने मुझे मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए चुना. उन्होंने मेरे प्रदर्शन को देखकर मुझे चुना. मैं मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं था, लेकिन उन्होंने मुझे मुख्यमंत्री के रूप में चुना. जब मैं चुनाव हार गया तब भी मुझे मुख्यमंत्री का कार्यभार सौंपा गया. और फिर जब हम 2013 में हारने के बाद 2018 में जीते, तो मुझे मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में चुना गया.”

सचिन पायलट के साथ मतभेद पर गहलोत ने क्या कहा?

पायलट के साथ उनके मतभेदों के बारे में पूछे जाने पर गहलोत ने कहा कि वे एकजुट हैं.

गहलोत ने कहा, “जब लोग उनके साथ चले गए (2020 में सचिन पायलट के साथ) और फिर भी उन्‍हें टिकट मिल रहे हैं, इससे बड़ा उदाहरण मैं क्या दे सकता हूं. मैंने एक भी टिकट का विरोध नहीं किया है. आप समझ सकते हैं कि हमारे मन में सभी के लिए कितना प्यार है.''

गहलोत ने यह भी कहा कि आगे चलकर नेतृत्व का जो भी फैसला होगा वह सभी को स्वीकार्य होगा.

सीएम गहलोत ने कहा, ''कांग्रेस में उम्मीदवारों के टिकटों के चयन के लिए केवल एक ही मानदंड है और वह है जीतने की क्षमता.''

ADVERTISEMENTREMOVE AD
आशोक गहलोत की सरकार को 2020 में पायलट और उनके वफादार विधायकों के नेतृत्व में विद्रोह का सामना करना पड़ा था, जिससे कांग्रेस सरकार गिरने की कगार पर पहुंच गई थी.

पायलट और उनके वफादारों ने जयपुर के बाहरी इलाके में एक होटल और फिर जैसलमेर के एक होटल में एक साथ डेरा डाला था.

गहलोत ने कहा कि उन्होंने 'माफ करो और भूल जाओ' की नीति अपनाई है और आगे बढ़े हैं.

सीएम से यह पूछे जाने पर कि क्या पार्टी के टिकट देने पर पार्टी के भीतर कोई मतभेद है, उन्होंने कहा कि कोई मतभेद नहीं है और सभी फैसले सर्वसम्मति से लिए गए हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

गहलोत ने राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र में सत्‍तारूढ़ बीजेपी के विपक्षी नेताओं के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आयकर (IT) की छापेमारी का भी कड़ा विरोध किया. उन्होंने आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण केंद्रीय एजेंसियों को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की मांग की.

राजस्थान में 200 सदस्यीय विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 25 नवंबर को पुनर्निर्धारित किया गया है और वोटों की गिनती 3 दिसंबर को की जाएगी.

Speaking truth to power requires allies like you.
Become a Member
Monthly
6-Monthly
Annual
Check Member Benefits
×
×