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Gun से गाने तक, कोक स्टूडियो के अल्ताफ मीर की जबर्दस्त कहानी

कश्मीर से पाकिस्तान गए थे अल्ताफ मीर

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वीडियो एडिटर- विशाल गुप्ता

कोक स्टू़डियो पाकिस्तान का नया गाना ‘हा गुलो’ इन दिनों धूम मचा रहा है. कश्मीरी परंपरा के दुशाले में लिपटे इस नर्म गाने के गायक और उसके बैंड की कहानी बेहद दिलचस्प है. कासमीर बैंड के लीड सिंगर हैं अल्ताफ मीर, वही अल्ताफ मीर जिनके हाथों में कभी बंदूक हुआ करती थी. उनके बारे में और बात करें, उससे पहले देखिए ये गाना.

अल्ताफ मीर की कहानी शुरू होती है 1990 के दिनों से. यानी 28 साल पहले. घाटी में बढ़ रहे तनाव और उग्रवाद के माहौल में अल्ताफ भी कश्मीर से पाक अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद जा पहुंचे. कभी गाने-बजाने का शौक रखने वाले मीर के हाथों में अचानक माइक की जगह एके-47 आ गई. मीर, अल उमर नाम के एक उग्रवादी संगठन में शामिल हो गए.

1990 से 2015 तक वो परिवार से पूरी तरह कटे रहे सिर्फ 1995 के एक दिन को छोड़कर जब वो महज 2 घंटे के लिए अपने घरवालों से मिले. इखवान नाम के सरकार समर्थित संगठन के डर से मीर वापस पाकिस्तान भाग गए.

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कुछ वक्त के बाद मीर ने म्यूजिक से अपने लगाव को महसूस किया और दिल की आवाज सुनते हुए इसे और गहराई से अपनाया. कश्मीरी लोक संगीत को ध्यान में रखकर उन्होंने कासमीर बैंड की बुनियाद रखी.

2017 में कोक स्टूडियो पाकिस्तान की मुलाकात इस बैंड से हुई और कंपनी ने उनके बैंड को 2018 एक्सप्लोरर एडिशन के लिए चुन लिया. वो एक कश्मीरी गायक तलाश रहे थे और मीर के साथ उनकी ये तलाश खत्म हुई.

‘हा गुलो’ नाम का ये गाना मशहूर कश्मीरी कवि गुलाम अहमद महजूर ने लिखा है.

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