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BJP को उलटी पड़ी एक चाल और केजरीवाल के एक दांव ने किया कमाल-AAP की जीत के 5 कारण

कांग्रेस, बीएसपी और अन्य का वोटर AAP पर क्यों शिफ्ट हुआ?

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दिल्ली की "छोटी सरकार" यानी MCD के नतीजों ने साफ कर दिया है कि दिल्ली की जनता ने झाड़ू पर विश्वास जताया है. दिल्ली में साफ-सफाई के मुद्दे पर मैदान में उतरी AAP ने फिलहाल भले ही दिल्ली को साफ नहीं किया हो, लेकिन उसकी झाड़ू ने विपक्ष के कई दिग्गज नेताओं के वार्डों को साफ कर दिया है. AAP ने MCD पर कब्जा कर लिया है और 15 साल से सत्ता पर काबिज बीजेपी को बेदखल कर दिया है. आखिर, AAP ने जनता के बीच क्या संदेश दिया, जो देश और दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी MCD की सत्ता से बाहर हो गई. AAP ने किन मुद्दों पर चुनाव लड़ा और ऐसा क्या हुआ कि BJP को मुंह की खानी पड़ी? ये सब बाते करेंगे, लेकिन इससे पहले चुनावी नतीजों को देख लेते हैं.

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दिल्ली नगर निगम के एकीकरण के बाद नया परिसीमन लागू किया गया था. इस परिसीमन के तहत 250 वार्ड बनाए गए. सरकार पर काबिज होने के लिए 126 सीटों की जरूरत थी. AAP ने 250 में से 134 सीटों पर कब्जा किया है. बीजेपी को 104 सीटें मिली है, जबकि कांग्रेस को 9 सीटें हासिल हुई हैं. वहीं, अन्य को मिलाकर कुल 3 सीटें मिली हैं.

एंटी इनकंबेंसी बड़ा फैक्टर

MCD में AAP की एंट्री और BJP का बाहर होना, एंटी इनकंबेंसी का भी संकेत है. क्योंकि, जनता पिछले डेढ़ दशक से बीजेपी की सत्ता के कामों को देख रही थी. AAP जनता से अपील की थी कि वो MCD के कामों की तुलना AAP सरकार से करें. शायद दिल्ली की जनता ने AAP के कामों की तुलना MCD के कामों से की होगी, इसी का नतीजा रहा कि परिणाम में AAP पूर्ण बहुमत के साथ आई. AAP अपने स्कूल और अस्पताल की तुलना MCD के स्कूल और अस्पतालों से की. क्योंकि, MCD के अंदर भी स्कूल और अस्पताल आते हैं. ऐसे में जनता ने AAP के स्कूल और अस्पतालों को तरजीह दी.

कांग्रेस, BSP और अन्य वोट AAP पर शिफ्ट

जब आप आंकड़े देखेंगे तो पता चलेगा कि AAP के वोट शेयर में काफी बढ़ोतरी हुई है. साल 2017 के MCD चुनाव में AAP को 26 फीसदी वोट शेयर मिला था, जबकि 2022 के MCD चुनाव में ये बढ़कर 42 फीसदी हो गया है. BJP के वोट शेयर में कोई फर्क नहीं पड़ा है, बल्कि बढ़ा जरूर है. BJP को साल 2017 में 38 फीसदी वोट मिला था, जो अब 39 फीसदी हो गया है, लेकिन सीटों की संख्या में बड़ा अंतर है. सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को हुआ है. कांग्रेंस के वोट शेयर में 9 फीसदी की गिरावट हुई है. साल 2017 में कांग्रेस को जहां 21 फीसदी वोट मिला था, वहीं साल 2022 में 12 फीसदी रह गया है. BSP और अन्य के वोट शेयर में भी गिरावट हुई है. इससे साफ है कि बीजेपी को हराने और केजरीवाल को जीतने के लिए कांग्रेस-BSP और अन्य का वोट AAP पर चढ़ा है.

अब जान लेते हैं कि MCD चुनाव में AAP ने जनता के बीच क्या संदेश दिया?

साफ-सफाई का मुद्दा

दरअसल, दिल्ली में साफ-सफाई का मुद्दा सबसे बड़ा था. दिल्लीवासियों की हमेशा से शिकायत रही है देश के दिल दिल्ली में ही साफ-सफाई नहीं है. AAP ने इसी को मुद्दा बनाया और लोगों के बीच ये संदेश दिया कि अगर MCD में AAP की सरकार बनती है तो सबसे पहले वो दिल्ली को साफ करेगी. कचरा निवारण के लिए ठोस कमद उठाएगी. क्योंकि, AAP हमेशा से कहती रही है कि साफ-सफाई का काम MCD के अंदर आता है, जो पिछले 15 साल से बीजेपी के पास है. AAP जनता के बीच ये संदेश देने में कामयाब रही कि देश और MCD दोनों में बीजेपी की सत्ता है तो फिर दिल्ली साफ क्यों नहीं हो रही है? क्यों नहीं कचरे का निवारण हो रहा है? दिन पर दिन गाजीपुर, भलस्वा और ओखला के कुड़े के पहाड़ क्यों बढ़ते जा रहे हैं? समय रहते प्रोसेसिंग यूनिट्स क्यों नहीं लगाए जा रहे हैं?

अरविंद केजरीवाल ने MCD चुनाव से पहले ओखला और भलस्वा के कुड़े के पहाड़ों का दौरा भी किया था और बीजेपी पर कई सवाल उठाए थे कि बीजेपी जनता को मारना चाहती है. लोगों को ना तो स्वस्थ हवा मिल पा रही है और ना ही सही पानी, इससे यहां के लोगों में तमाम प्रकार कि बीमारियां फैल रही हैं? ये बात AAP जनता के बीच में पहुंचाने में कामयाब रही और नतीजे आपके सामने हैं?

RWAs को पावर देना भी AAP का तुरुप का इक्का

MCD चुनाव से कुछ दिन पहले ही AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ये ऐलान कर सबको चौंका दिया कि अगर दिल्ली में AAP की सरकार बनती है तो RWAs को मिनी पार्षद का दर्जा देंगे, जो लोगों की छोटी-मोटी समस्याओं का निवारण करेंगे. हालांकि, RWAs पहले से भी मीडिल क्लास की समस्यों के निवारण के प्रयास करते थे, लेकिन अरविंद केजरीवाल के ऐलान के बाद उन्हें और ताकत मिलेगी. जो लोग विधायक, पार्षद या अन्य किसी बड़े पदाधिकारी के पास नहीं पहुंच पाते हैं, वो RWAs के पास आसानी से पहुंच जाते हैं. ऐसे ये कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि चुनाव से कुछ दिन ही पहले ही RWAs के लिए केजरीवाल का ऐलान तुरुप का इक्का साबित हुआ.

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नगर निगमों का एकीकरण और परिसीमन का मुद्दा भी गया बीजेपी के खिलाफ

एकीकरण से पहले दिल्ली में तीन नगर निगम हुआ करते थे. तीनों नगर निगमों का 18 मई 2022 का कार्यकाल खत्म हो रहा था. ऐसे में अनुमान लगाए जा रहे थे कि अप्रैल के अंत में या मई के शुरुआत में MCD चुनावों की घोषणा हो सकती है. लेकिन, सारा अनुमान तब धरा का धरा रह गया जब मीडिया के स्क्रीनों पर फ्लैश हुआ की दिल्ली के तीनों नगर निगमों को मिलाकर एक किया जाएगा. इसके पीछे की वजह वही बताई गई थी, जब साल 2012 में उसे एक से तीन किया गया था.

खैर तीनों नगर निगम को मिलाकर एक कर दिया गया, लेकिन AAP इस मुद्दे को भुनाने में कामयाब रही. वो लोगों के बीजेपी ये संदेश देने में कामयाब रही कि बीजेपी हार के डर से निगमों का एकीकरण कर रही है. हालांकि, जानकारों का भी मानना था कि बीजेपी ने बाइलेंस बनाने के लिए नए परिसीमन किए हैं, जिससे उसे MCD चुनावों में फायदा हो सके.

AAP ये लोगों के बीच बताने में कामयाब रही कि बीजेपी साम-दाम-दंड-भेद किसी भी प्रकार से MCD की सत्ता में काबिज होने के प्रयास में है. अगर वो दोबारा सत्ता में आती है तो फिर से दिल्ली को साफ-सफाई से निजात नहीं मिलेगी, क्योंकि अगर बीजेपी को दिल्लीवासियों को साफ-सफाई से निजात दिलाना होता तो बीजेपी 15 साल से सत्ता में काबिज है अभी तक साफ-सफाई पर ध्यान क्यों नहीं दिया? दिल्ली को कूड़े के ढेर पर क्यों बैठा दिया, जहां लोगों का सांस लेना भी दूभर है.

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MCD चुनाव बीजेपी के लिए नाक का सवाल क्यों था?

बीजेपी ने MCD चुनाव को नाक का सवाल बना लिया था. यही वजह रही कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत केंद्र के 18 मंत्री और 4 प्रदेशों के मुख्यमंत्री MCD के चुनाव प्रचार में उतरे थे और बीजेपी के लिए वोट मांग रहे थे. बीजेपी के लिए MCD खास इसलिए था कि प्रदेश में सरकार उसकी तो नहीं है, लेकिन कम से कम MCD में तो सरकार हो जाए, जिसे जनता की बीच में बताने के लिए उसके पास रहे कि देखों प्रदेश के मुख्यमंत्री से ताकतवर हमारा मेयर है. क्योंकि, जानकारों का मानना था कि जो एकीकरण किया गया है, उसके तहत मेयर की पावर मुख्यमंत्री से ज्यादा है. दूसरी बात ये कि यहां देशभर के सभी बड़े नेताओं का निवास स्थान है और तो और यहां खुद प्रधानमंत्री मोदी भी बैठते हैं.

दिल्ली नगर निगम 2 करोड़ लोगों के लिए काम करता है. MCD का बजट 2022-23 के लिए 15,276 करोड़ रुपए था. MCD की ताकत झुग्गी झोपड़ियों, गलियों से लेकर बड़ी-बड़ी इमारतों तक एक जैसी है. नगर निगम के पास अस्पताल, बाजार से संबंधित अधिकार, पार्क, पार्किंग स्थल, प्राथमिक स्कूलों का संचालन, ड्रेनेज सिस्टम का प्रबंधन, टैक्स कलेक्शन, शवदाह गृहों के संचालन से संबंधित अधिकार हैं. स्ट्रीट लाइटिंग, रोड निर्माण से लेकर लोगों के परिवार रजिस्टर से संबंधित सारे अधिकार एमसीडी के पास हैं.एमसीडी के पास सारी स्थानीय ताकतें हैं. इन्हीं ताकतों की वजह से MCD पर काबिज होने खास हो जाता है.

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