"प्रशांत किशोर जी बिजनेसमैन हैं, पैसा लेकर आ रहे हैं, राजनीति में इनवेस्ट करना चाह रहे हैं, और रिटर्न में कुछ चाह रहे हैं, राजनेता नहीं हैं, प्रशांत किशोर नेता नहीं हैं."
27 मार्च को टाइम्स ऑफ बिहार नाम के एक यूट्यूब न्यूज चैनल पर पीले रंग का टीशर्ट पहने एक शख्स ने ये बात चुनावी रणनीतिकार से नेता और जन सुराज पार्टी के फाउंडर बने प्रशांत किशोर के बार में कही थी.
ठीक 100 दिन बाद वही शख्स पीले रंग का गमछा जिसपर जनसुराज लिखा था वो पहनकर प्रशांत किशोर के साथ खड़ा दिखता है. ये कहानी है आरएसएस शाखा से यूट्यूबर और फिर भगवा गमछा डाल बीजेपी के दर से होते हुए जनसुराज पार्टी में शामिल होने वाले त्रिपुरारी कुमार तिवारी उर्फ मनीष कश्यप की.
मनीष कश्यप ने बीजेपी छोड़ने के बाद सोमवार, 7 जुलाई को जन सुराज पार्टी का बस्ता (पार्टी का निशान) पीठ पर लाद लिया है, मतलब पार्टी में शामिल हो गए हैं. राजधानी पटना के बापू भवन में आयोजित कार्यक्रम में कश्यप ने प्रशांत किशोर की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से इस्तीफे के एक महीने बाद ये घटनाक्रम सामने आया है.
काफी विवादों के बाद पिछले महीने 7 जून को मनीष कश्यप ने बीजेपी से इस्तीफे का ऐलान किया था.
एक वीडियो संदेश में कश्यप ने कहा कि पार्टी में रहते हुए वे बिहार के लोगों और उनकी समस्याओं को मजबूती से नहीं उठा पाएंगे, इसलिए उन्होंने बीजेपी छोड़ने का फैसला किया है.
"बिहार का भाग्य बदलने वाला चुनाव"
पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने के बाद मनीष कश्यप ने कहा कि अगामी विधानसभा चुनाव "बिहार का भाग्य बदलने" वाला चुनाव है.
"बिहार की हकीकत आप सभी को पता है. पक्ष और विपक्ष दोनों मिलकर बिहार को लगातार लूट रहे हैं, बर्बाद कर रहे हैं. नवंबर, 2025 में जो चुनाव है वो बिहार के भाग्य का चुनाव है. आप सभी लोग प्रशांत किशोर जी का साथ दीजिए, जन सुराज का साथ दीजिए, मैं दावे के साथ कहता हूं कि अगला दस साल बिहार का होगा. लेकिन एक बार आप सभी को साथ देना होगा."
मनीष कश्यप के पार्टी में शामिल होने पर प्रशांत किशोर ने कहा कि यह "मिलन" दो युवा नेताओं की साझेदारी से कहीं अधिक है.
"यह सिर्फ दो युवाओं की जोड़ी नहीं है. बिहार में लाखों ऐसे युवा जो बदलाव चाहते हैं, जो लालू नीतीश और मोदी के राज से छुटकारा चाहते हैं. भ्रष्टाचार, अशिक्षा, पलायन और बेरोजगारी से छुटकारा चाहते हैं- यह उन सभी लोगों का मिलन है. हर उस युवा का जिसके मन में जज्बा है, चिंता है कि बिहार बदलना चाहिए. बिहार में भी दूसरे राज्यों की तरह विकास होना चाहिए- यह उन लोगों का मिलन है. यह सिर्फ दो व्यक्ति, दो युवाओं और नाम का मिलन नहीं है," किशोर ने आगे कहा.
चनपटिया से चुनाव लड़ सकते हैं मनीष कश्यप
मनीष कश्यप पश्चिम चंपारण जिले की चनपटिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. एक यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने इस बात की ओर इशारा किया है. चनपटिया से चुनाव लड़ने के सवाल पर कश्यप ने कहा, "मेरी जन्म और कर्मभूमि है. पहली बार मैंने 2020 में वहीं से चुनाव लड़ा था, तो कोशिश है. बाकि प्रशांत जी जो बोलेंगे वो हम लोग करेंगे."
2020 में मनीष कश्यप ने चनपटिया सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था और तीसरे स्थान पर रहे थे. मनीष को तब 9239 वोट मिले थे और उनका वोट शेयर 5.26 फीसदी रहा था. बीजेपी के उमाकांत सिंह ने कांग्रेस के अभिषेक रंजन को हराया था.
अगामी चुनाव के मद्देनजर कश्यप ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. वे लोगों से मिल रहे हैं और चीनी मिल सहित जनता से जुड़े अन्य मुद्दे उठा रहे हैं. जिसका वीडियो वो अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर भी शेयर करत रहते हैं.
सोशल मीडिया पर कश्यप की अच्छी खासी लोकप्रियता है. 'मनीष कश्यप सन ऑफ बिहार' नाम से उनका अपना यूट्यूब चैनल है, जिसपर 9.29 मिलियन सब्सक्राइबर हैं. पहले मनीष, 'सचतक न्यूज' के नाम से इस चैनल को चलाते थे. अगर फेसबुक की बात करें तो यहां 5.4 मिलियन फॉलोअर्स हैं. एक्स (पहले ट्विटर) पर 1 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं.
PMCH विवाद और बीजेपी से इस्तीफा
पिछले महीने बीजेपी से इस्तीफे की घोषणा करते हुए मनीष कश्यप ने कहा, "इस फैसले के लिए मुझे मजबूर किया गया. मैंने पार्टी के लिए अपना सबकुछ समर्पित किया. कुछ नेता मुझे महत्वकांक्षी कह रहे थे, लेकिन मैं महत्वकांक्षी नहीं था. अगर होता तो लोकसभा चुनाव लड़कर उनका खेल बिगाड़ता."
कश्यप ने आगे कहा,
"मुझे लगा कि इनके साथ रहकर मैं अपने लोगों की अच्छे से मदद कर पाऊंगा. लेकिन जो मनीष कश्यप इन लोगों के साथ रहकर खुद की मदद नहीं कर पाया, वो और लोगों का मदद कैसे कर पाता. बहुत सारी चीजें हैं. इसलिए मैंने फैसला कर लिया है कि मैं अब भारतीय जनता पार्टी का सदस्य नहीं हूं."
फेक न्यूज के आरोप में 9 महीने जेल
मनीष कश्यप ने ये भी कहा कि बीजेपी में रहने का मतलब है कि लोगों के साथ हो रहे भ्रष्टाचार पर पर्दा डालना.
2024 लोकसभा चुनाव से पहले 25 अप्रैल को मनीष कश्यप ने बीजेपी का दामन थाम लिया था. इससे पहले वो तमिलनाडु में प्रवासी बिहारी मजदूरों पर कथित हमले से जुड़े फेक न्यूज मामले में मनीष कश्यप को करीब 9 महीने जेल में रहना पड़ा था. हालांकि, सोशल मीडिया पर अच्छी-खासी फॉलोइंग और लोकप्रियता के बावजूद, बीजेपी ने कश्यप को लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं दिया था.
बीजेपी से इस्तीफे से पहले मनीष कश्यप पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (PMCH) में हुए विवाद को लेकर सुर्खियों में थे. मनीष कश्यप ने कथित रूप से PMCH के जूनियर डॉक्टरों पर उन्हें जबरन बंधक बनाने और मारपीट करने का आरोप लगाया था. जबकि जूनियर डॉक्टरों ने कथित रूप से कश्यप पर महिला डॉक्टर के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था. मामला 19 मई 2025 का है.
हालांकि, इस मामले में पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकत मोहन तिवारी की ओर से दिए गए आवेदन पर 31 मई को पीरबहोर थाने में "पटना मेडिकल कॉलेज के कुछ डॉक्टर और स्टाफ" के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी. पुलिस ने BNS की धारा 126(2), 115(2), 127(2), 351(2), 351(3), 352 और 3(5) के तहत केस दर्ज किया था.
स्वास्थ्य विभाग बीजेपी कोटे के मंत्री मंगल पांडे के ही पास है. ऐसे में पार्टी के नेता और कार्यकर्ता ने भी इस पूरे मामले से पल्ला झाड़ लिया था. इसके बाद मनीष कश्यप ने सोशल मीडिया पर कई वीडियो जारी कर मंगल पांडे और सीएम नीतीश कुमार को घेरा और PMCH की व्यवस्था पर सवाल उठाए.
विवादों से पुराना नाता
इंजीनियरिंग के छात्र रहे मनीष कश्यप का विवादों से पुराना नाता रहा है. कश्यप के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं और उन्हें जेल भी जाना पड़ा है. हालांकि, कुछ मामलों में उन्हें बरी भी कर दिया गया है.
सच टॉक्स के खिलाफ FIR: मार्च, 2025 में सारण पुलिस ने मनीष कश्यप के चैनल सच टॉक्स के फेसबुक अकाउंट के खिलाफ FIR दर्ज किया था. चैनल पर भ्रामक और एकतरफा खबर दिखाने का आरोप लगा था. साइबर थाना पुलिस ने BNS की धारा 353(1)(B), 353(2) और 67 IT एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था. मामला सामने आने के बाद मनीष कश्यप ने बीजेपी से इस्तीफे और गिफ्तारी देने का भी ऐलान कर दिया था. हालांकि, उस वक्त न तो उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दिया और न ही गिरफ्तार किए गए.
तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों पर कथित हमले से जुड़ा फेक न्यूज केस: साल 2023 के इस मामले में मनीष कश्यप पर तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मजदूरों पर कथित हमले का फर्जी वीडियो प्रसारित करने का आरोप लगा था. बिहार की आर्थिक अपराध ईकाई (EoU) और तमिलनाडु पुलिस ने कई मामले दर्ज किए थे. मनीष कश्यप को इस मामले में 9 महीने जेल में रहना पड़ा था.
मनीष कश्यप पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) भी लगा था. हालांकि, 10 नवंबर, 2023 को मद्रास हाई की मदुरै बेंच ने NSA के तहत आरोपों को खारिज करते हुए उन्हें जमानत दे दी थी.
बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) द्वारा दर्ज मामलों में भी मनीष कश्यप बरी हो गए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पटना सिविल कोर्ट की विशेष अदालत ने सबूतों के अभाव में ऐसा किया है.
बैंक मैनेजर से मारपीट का मामला: साल 2021 में मनीष कश्यप पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के मैनेजर से बदतमीजी और दुर्व्यवहार का आरोप लगा था. तत्कालीन बैंक मैनेजर ने 6 अप्रैल, 2021 को कश्यप के खिलाफ मझौलिया थाने केस दर्ज कराया था.
बीजेपी उम्मीदवार पर जानलेवा हमला और रंगदारी मांगने का आरोप: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के दौरान मनीष कश्यप पर चनपटिया सीट से बीजेपी उम्मीदवार उमाकांत सिंह पर जानलेवा हमला और रंगदारी मांगने का आरोप लगा था. 3, नवंबर 2020 में उनके खिलाफ केस दर्ज हुआ था.
मनीष कश्यप के 2020 के चुनावी हलफना के मुताबिक, उनके खिलाफ 6 मामले दर्ज हैं. उनपर धोखाधड़ी, मारपीट, रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप लगे हैं.
जनवरी, 2019 में बेतिया के एमजेके अस्पताल परिसर में लगी किंग एडवर्ड सप्तम की मूर्ति तोड़ने के आरोप में FIR हुई. अस्पताल के तत्कालीन अधीक्षक की शिकायत पर ये एफआईआर दर्ज हुई थी.
फरवरी, 2019 में पुलवामा हमले के बाद पटना में कश्मीरी व्यापारियों के साथ मारपीट का आरोप लगा. पुलिस ने मामला दर्ज कर गिरफ्तार भी किया था. बाद में कोर्ट से जमानत मिल गई थी.
अप्रैल 2019 में राजकुमार शुक्ल इंटर कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल से मारपीट और उनके घर में तोड़फोड़ करने के आरोप में बेतिया नगर थाने में दो FIR दर्ज हुई थी. दोनों एफआईआर में मनीष कश्यप का नाम था.
अप्रैल, 2019 में ही लोकसभा चुनाव के दौरान कश्यप पर सोशल मीडिया पर गलत पोस्ट के जरिए मतदाताओं को गुमराह करने का आरोप लगा था. कार्यक्रम पदाधिकारी की शिकायत पर बेतिया नगर थाने में FIR दर्ज हुई थी.
2017 में कश्यप पर रेलवे की सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगा था. बेतिया रेलवे थाने में FIR दर्ज हुई थी.
मनीष कश्यप पर साल 2016-17 में एक वीडियो में महात्मा गांधी के लिए अपशब्दों के इस्तेमाल का आरोप है.