झारखंड में अबकी बार इतिहास बनने जा रहा है. हेमंत सोरेन का धनुष-बाण एक बार फिर सही निशाने पर लगा है. प्रदेश के 24 साल की परंपरा को तोड़ते हुए JMM के नेतृत्व में INDIA गठबंधन लगातार दूसरी बार सरकार बनाने जा रही है. दरअसल, झारखंड के अब तक के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी पार्टी की लगातार दूसरी बार सरकार बनी हो. लेकिन इस बार ऐसा होता दिख रहा है. वहीं NDA का सत्ता में वापसी का इंतजार और बढ़ गया है.
दोपहर 1 बजे तक के रुझानों के मुताबिक, JMM, कांग्रेस, RJD और CPI-ML की इंडिया गठबंधन 51 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. दूसरी तरफ बीजेपी, AJSU, JDU और LJP(R) की NDA 30 सीटों पर आगे है.
चलिए आपको बताते हैं वो 5 फैक्टर जिसके दम पर हेमंत सोरेन प्रदेश की सियासी परंपरा को तोड़ते दिख रहे हैं और सत्ता के सिखर पर लगातार दूसरी बार काबिज होने के लिए तैयार हैं.
1. आदिवासी अस्मिता का चला दांव
हेमंत सोरेन को एक बार फिर आदिवासी समुदाय का समर्थन मिलता दिख रहा है. आदिवासी बहुल इलाकों में जेएमएम एकतरफा जीतते नजर आ रही है. आदिवासी समाज जेएमएम का कोर वोटबैंक है. हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को जेएमएम ने आदिवासी अस्मिता से जोड़ दिया और नारा दिया- जेल का जवाब जीत से. इससे आदिवासी वोटर्स एकजुट हुए, जिसका फायदा पार्टी को मिलता दिख रहा है.
दूसरी तरफ बीजेपी लगातार "घुसपैठ" के मुद्दे को आदिवासियों की पहचान से जोड़कर उन्हें आंदोलित करने में लगी हुई थी. जबकि जेएमएम ने खतियान और आरक्षण जैसे मुद्दे से बीजेपी को जवाब दिया.
बता दें कि इस साल हुए लोकसभा चुनाव में प्रदेश की 14 संसदीय सीटों में से बीजेपी ने आठ सीटें जीतीं, लेकिन सभी पांच आदिवासी सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा था.
2. हेमंत को मिला महिलाओं का साथ
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले महिला वोटर्स पर फोकस करते हुए हेमंत सोरेन ने मंईयां सम्मान योजना शुरू की. इस योजना के तहत 18 से 50 साल की महिलाओं को हर महीने 1000 रुपये मिल रहे हैं. राज्य सरकार इसकी चार किश्त जारी कर चुकी है. हेमंत सोरेन ने वादा किया है कि अगर वे फिर से सत्ता में चुनकर आते हैं तो ये राशि हर महीने 2500 रुपये कर दी जाएगी. चुनावों में यह योजना जेएमएम और इंडिया गठबंधन के लिए ट्रंप कार्ड साबित होता दिख रहा है. महिलाओं ने इस बार के चुनाव में 4 प्रतिशत ज्यादा मतदान भी किया.
दूसरी तरफ बीजेपी ने सत्ता में आने पर गोगो दीदी सम्मान योजना लागू करने का वादा किया है. इस योजना के तहत महिलाओं को हर महीने 2100 रुपये देने का वादा किया था.
3. कल्पना सोरेन साबित हुईं X फैक्टर
इस बार के चुनाव में जेएमएम के लिए कल्पना सोरेन X फैक्टर साबित हुई हैं. पार्टी के लिए स्टार प्रचारक के रूप में कल्पना सोरेन ने पूरे राज्य में करीब 100 रैलियां की और जेएमएम और कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए वोट मांगा. इसके साथ ही उन्होंने अपने साथ महिला मतदाओं को भी जोड़ने का काम किया. खास करके आदिवासी महिलाओं के बीच उन्होंने अपनी अच्छी पैठ बनाई, जिसका बीजेपी काट नहीं खोज पाई.
बता दें कि जनवरी 2024 में कथित जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद कल्पना सोरेन की राजनीति एंट्री हुई थी. लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली में आयोजित एक रैली से उन्होंने राजनीतिक शुरुआत की थी. कल्पना को लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार का काम सौंपा गया और उनके नेतृत्व में गठबंधन ने झारखंड की सभी पांच आदिवासी-आरक्षित सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं गांडेय विधानसभा सीट पर उपचुनाव में भारी मतों से जीत दर्ज की थी.
4. एंटी इनकंबेंसी पर भारी पड़ी सहानुभूति
झारखंड में सत्तारूढ़ इंडिया गठबंधन के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी फैक्टर माना जा रहा था, लेकिन नतीजों से साफ है कि ये फैक्टर हवा हो गया है. इसकी बड़ी वजह हेमंत सोरेन के पक्ष में जनता की सहानुभूति को माना जा रहा है.
जुलाई महीने में जेल से निकलने के बाद हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे को खूब उठाया और बीजेपी पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया. इसके साथ ही उन्होंने बीजेपी पर एक आदिवासी मुख्यमंत्री को परेशान करने का भी आरोप लगाया.
एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल के मुताबिक झारखंड में चंपाई और बाबू लाल के मुकाबले हेमंत की लोकप्रियता दोगुनी थी. इस पोल में 41 प्रतिशत लोगों ने हेमंत को मुख्यमंत्री के रूप में पसंद किया. इसके मुकाबले चंपई को 7 प्रतिशत और मरांडी को 13 प्रतिशत लोगों ने पसंद किया था.
5. कांग्रेस और आरजेडी के साथ बेहतर समन्वय
झारखंड में हेमंत सोरेन ने सभी सहयोगी दलों के साथ बेहतर समन्वय स्थापित करते हुए इंडिया गठबंधन का नेतृत्व किया. सीट शेयरिंग से लेकर रणनीति बनाने और चुनाव प्रचार तक हेमंत सोरेन आगे दिखे. प्रदेश की सियासी हवा को भांवते हुए JMM ने 43, कांग्रेस 30, RJD 6 और CPI (ML) ने 4 सीटों पर उम्मीदवार उतारे.
जेएमएम अपनी सीटें बरकरार रखती दिख रही है. वहीं आरजेडी और CPI-ML की सीटों में इजाफा होता दिख रहा है. पिछले बार के मुकाबले कांग्रेस को दो सीटों का नुकसान हो सकता है.
बता दें कि 2019 विधानसभा चुनाव में JMM 30, कांग्रेस 16 और राजद ने एक सीट पर जीत दर्ज की थी. BJP को 25 सीटें मिली थीं.