ADVERTISEMENTREMOVE AD

Himachal कैबिनेट भले सुखविंदर सिंह सुक्खू की,पर प्रतिभा सिंह गुट का दबदबा बढ़ा

Himachal Pradesh कैबिनेट में शिमला क्षेत्र से बनाए गए 3 मंत्री, बेटे विक्रमादित्य का कद भी बढ़ा

Published
Aa
Aa
Small
Aa
Medium
Aa
Large

हिमाचल प्रदेश में नई सरकार में सात कैबिनेट (Himachal Cabinet) मंत्रियों को रविवार को शपथ दिलाई गई. अब भी तीन मंत्री पद खाली हैं.

जनता तो एक महीने पहले ही अपना स्पष्ट जनादेश दे चुकी थी. लेकिन उसे सरकार नहीं मिल पा रही थी. अब जाकर आखिरकार कैबिनेट का गठन हो पाया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
खास बात यह रही कि इस कैबिनेट गठन में शिमला क्षेत्र का दबदबा साफ तौर पर देखा जा सकता है, जहां से तीन विधायकों को मंत्री बनाया गया. वहीं सबसे बड़े जिले कांगड़ा से सिर्फ एक ही मंत्री बनाया गया है. तो जिन लोगों को मंत्री बनाया गया है, उससे आखिर क्या संदेश निकल कर सामने आ रहा है? इसी गणित को हम यहां आगे जानेंगे.

कौन बने मंत्री?

ज्वाली से विधायक चंद्र कुमार, सोलन विधायक धनीराम शांडिल्य, किन्नौर विधायक जगत सिंह नेगी, शिलाई से विधायक हर्षवर्द्धन चौहान, शिमला ग्रामीण से विधायक अनिरुद्ध सिंह और जुब्बल कोटखाई से विधायक रोहित ठाकुर को मंत्री पद की शपथ दिलवाई गई है. हालांकि फिलहाल विभागों का बंटवारा नहीं हुआ है.

इतनी देरी की वजह क्या रही?

जैसा ऊपर बताया, मुख्यमंत्री ने अपनी कैबिनेट गठित करने में पूरा एक महीने का समय लिया. दरअसल वीरभद्र सिंह लंबे समय तक हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के एकछत्र नेता थे. खुद सुखविंदर सुक्खू और मुकेश अग्निहोत्री जैसे लोग उनके खास हुआ करते थे. ऐसे में उनके जाने के बाद, चुनावों के पहले ही कांग्रेस में कई गुटों का गठन हो गया. जैसे-तैसे चुनाव के पहले इन्हें साधा गया. इस दौरान प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला की अहम भूमिका मानी गई.

फिर जब नतीजे आए, तब भी खुद प्रतिभा सिंह, उनके गुट के माने जाने वाले मुकेश अग्निहोत्री और सुखविंदर सुक्खू मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे. लेकिन सुक्खू के पास विधायकों का मजबूत समर्थन था और उन्हें हाईकमान ने प्रदेश का नेतृत्व देने का फैसला किया. लेकिन इस दौरान प्रतिभा सिंह के पास भी दो दर्जन से ज्यादा विधायकों का समर्थन था. ऐसे में वे सत्ता में ज्यादा भागीदारी चाह रही थीं.

सूत्रों के हवाले से तो यह जानकारी भी मिली कि एक बार सुक्खू मंत्रियों की लिस्ट लेकर दिल्ली हाईकमान के पास जाने वाले थे, तो उससे पहले ही प्रतिभा सिंह और विक्रमादित्य दिल्ली पहुंच गए. उन्हें शक था कि लिस्ट में विक्रमादित्य सिंह का नाम शामिल नहीं किया गया था. कुल मिलाकर इसी सियासी संतुलन को साधने और ऐसी उलझनों के चलते एक महीने तक कैबिनेट गठन ठप्प पड़ा रहा.

शिमला को इतनी तवज्जो क्यों?

शिमला जिले से तीन मंत्री बनाए गए हैं, इनमें शिमला ग्रामीण से विक्रमादित्य सिंह, जुब्बल कोटखाई से रोहित ठाकुर और कुसुम पट्टी से अनिरुद्ध सिंह को मंत्री बनाया गया है. यह सारे ही प्रतिभा सिंह गुट से आते हैं.

जबकि सबसे बड़े जिले कांगड़ा से सिर्फ एक मंत्री बनाया गया है. सोलन (धनीराम शांडिल्य), किन्नौर (जगत सिंह नेगी) और सिरमौर (हर्षवर्धन चौहान) से भी एक-एक विधायक को मंत्री पद मिला है. जबकि हिमाचल के पांच जिले ऐसे रहे, जिन्हें किसी तरह का प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया.

तो इतना तो साफ है क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को साधने की इस कैबिनेट गठन में बहुत कोशिश नहीं की गई है. इसका सीधा-सीधा गणित सुक्खू और प्रतिभा सिंह के खेमे में संतुलन बनाने की कवायद है और प्रतिभा सिंह का मुख्य गढ़ शिमला और आसपास का इलाका है.

प्रतिभा सिंह खेमे का दबदबा बरकरार

जैसा ऊपर बताया कि प्रतिभा सिंह खुद भी मुख्यमंत्री पद की दावेदार थीं. फिलहाल वे मंडी से सांसद हैं. लेकिन जब उनका नाम आगे नहीं बढ़ पा रहा था, तो उन्होंने अपने वफादार मुकेश अग्निहोत्री का नाम आगे बढ़ा दिया. ऐसे में संतुलन बनाने के लिए अग्निहोत्री को कांग्रेस हाईकमान ने उपमुख्यमंत्री पद दिया.

अब कैबिनेट विस्तार में भी तीन मंत्री प्रतिभा सिंह के खेमे से हैं. प्रतिभा सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह महज दूसरी बार ही विधायक बने हैं और 32 साल के ही हैं, तो उनका पॉलिटिकल लॉन्च भी इस बार तेजी से हो गया है. प्रतिभा सिंह के पास 14-15 विधायकों का समर्थन भी मौजूद है. ऐसे में यह तो साफ हो गया है कि उनके खेमे को बराबरी की हिस्सेदारी मिली है. अब सीएम को आधी हिस्सेदारी में ही पूरे प्रदेश को मैनेज करना है.

पढ़ें ये भी: Himachal Pradesh: CM सुक्खू की कैबिनेट में 7 मंत्रियों की शपथ,शिमला से 3 मंत्री

Speaking truth to power requires allies like you.
Become a Member
Monthly
6-Monthly
Annual
Check Member Benefits
×
×