दिल्ली विधानसभा चुनाव में बहुमत का जादुई आंकड़ा 36 का था और आम आदमी पार्टी इस नंबर से 13 सीट दूर रह गई. अगर दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ती तो फिर से सरकार बना लेती? ऐसा सवाल इसलिए पूछ रहे हैं क्योंकि दिल्ली में 11 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां बीजेपी को मिली जीत का अंतर कांग्रेस को मिले वोटों से कम है. यानी अगर आप और कांग्रेस साथ में चुनाव लड़ती और ये वोटर साथ आ जाता तो AAP के खाते में 11 सीटें और जोड़कर आम आदमी पार्टी बहुमत के बहुत करीब होती.
11 सीटें जहां हाथ-झाड़ू मिलते तो कहानी कुछ और हो सकती थी
नई दिल्ली: जिस नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल 4000 वोट से हारे हैं, वहां कांग्रेस के संदीप दीक्षित को 4500 वोट मिले हैं.
जंगपुरा: जिस जंगपुरा सीट से मनीष सिसोदिया केवल 675 वोटों से विधायक बनने से चूक गए, वहां कांग्रेस के फरहाद सूरी को 7350 वोट मिले हैं.
ग्रेटर कैलाश से आप नेता सौरभ भारद्वाज 3188 वोटों से हारे हैं, जबकि यहां कांग्रेस को 6711 वोट मिले हैं.
संगम विहार में आम आदमी पार्टी को केवल 344 वोटों से हार मिली है, जबकि यहां कांग्रेस को 15863 वोट मिले हैं.
रजिंदर नगर में आम आदमी पार्टी 1231 वोटों से हारी है, जबकि यहां कांग्रेस को 4015 वोट मिले हैं.
छतरपुर में आम आदमी पार्टी 6239 वोटों से हारी है, जबकि यहां कांग्रेस को 6601 वोट मिले हैं.
नांगलोई जाट में आम आदमी पार्टी लगभग 26 हजार वोटों से हारी है, जबकि यहां कांग्रेस को 32 हजार से अधिक वोट मिले हैं.
मदिपुर में आम आदमी पार्टी लगभग 11 हजार वोटों से हारी है, जबकि यहां कांग्रेस को लगभग 18 हजार वोट मिले हैं.
मालवीय नगर में आम आदमी पार्टी लगभग 2100 वोटों से हारी है, जबकि यहां कांग्रेस को लगभग 7 हजार वोट मिले हैं
त्रिलोकपुरी में आम आदमी पार्टी लगभग 400 वोटों से हारी है, जबकि यहां कांग्रेस को लगभग 6 हजार वोट मिले हैं.
बादली में आम आदमी पार्टी लगभग 13 हजार वोटों से हार रही है, जबकि यहां कांग्रेस को 38 हजार से अधिक वोट मिले हैं.
और लड़ो आपस में.. उमर अबदुल्ला ने साधा निशाना
दोनों पार्टियों पर कटाक्ष करते हुए, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, जिनकी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस I.N.D.I.A गठबंधन का हिस्सा है, ने X पर लिखा- और लड़ो आपस में.
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा- AAP को जिताने की जिम्मेदारी कांग्रेस की नहीं
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा है, "आम आदमी पार्टी को जिताने का ठीकरा हमने नहीं उठाया है. आम आदमी पार्टी को जिताना हमारा जिम्मेदारी नहीं है. हम कोई एनजीओ नहीं हैं.हम एक राजनीतिक पार्टी हैं."
गौरतलब है कि दिल्ली में कांग्रेस के कमजोर होने की कहानी 2013 के बाद से आम आदमी पार्टी के उदय के साथ शुरू हुई. क्या आप की इस हार को आप क्रांगेस के लिए अच्छी खबर कहेंगे? अब जिसने आपके आधार को ही साफ कर दिया हो, उसके सत्ता से बाहर होने को अच्छी खबर मान ही सकते हैं. कांग्रेस का मानना है कि आम आदमी पार्टी का खात्मा ही दिल्ली में उसके कमबैक का एकमात्र रास्ता है.