बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे आ चुके हैं और राज्य की राजनीति में बड़े बदलाव की तस्वीर सामने आई है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने राज्य में भारी बढ़त बनाई. इस गठबंधन में बीजेपी, नीतीश कुमार की JD(U), चिराग पासवान की LJP(RV) और अन्य पार्टियां शामिल हैं.
शुक्रवार 14 नवंबर को जैसे ही नतीजे आने लगे, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने कम से कम 200 सीटों पर बढ़त बना ली. फाइनल नतीजों में बीजेपी ने RJD को पीछे छोड़ते हुए सबसे बड़ी पार्टी का दर्जा हासिल किया और 89 सीटों पर जीत दर्ज की.
दो चरणों में हुए इस चुनाव में रिकॉर्ड 66.91 प्रतिशत मतदान हुए और इसमें महिलाओं का मतदान पुरुषों से अधिक रहा. महिलाओं का कुल मतदान 71.6 प्रतिशत था, जो अब तक का सबसे ज्यादा है, जबकि पुरुषों का 62.8 प्रतिशत था. संख्या के हिसाब से भी 2,51,64,386 महिलाओं ने वोट डाला, जबकि पुरुषों की संख्या 2,47,30,241 थी.
2020 के चुनाव में महिलाओं का मतदान 59.69 प्रतिशत और पुरुषों का 54.45 प्रतिशत था. उस समय संख्या में महिला मतदाता पुरुषों से कम थीं.
NDA की बढ़त दिखते ही बीजेपी नेता अमित शाह ने X पूर्व में ट्विटर पर खास तौर पर बिहार की माताओं और बहनों का धन्यवाद किया.
सवाल यह है कि महिलाओं के वोट में यह बदलाव क्यों हुआ. क्या गरीब राज्य बिहार में महिलाओं के लिए दिए जाने वाले सीधे नकद लाभ योजनाओं ने इसमें मदद की. आइए इस पर एक नजर डालते हैं.
चुनावों से ठीक पहले महिलाओं के खाते में 12,500 करोड़ रुपये ट्रांसफर
बिहार विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 सितंबर को मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना शुरू की.
इस योजना के तहत 75 लाख महिलाओं के खातों में सीधे 10,000 रुपये ट्रांसफर किए गए ताकि वे छोटे व्यवसाय शुरू कर सकें. योजना के तहत उनके व्यवसाय की सफलता के आधार पर वित्तीय मदद बढ़ाकर 2 लाख रुपये तक की जा सकती है.
कुछ हफ्तों बाद, 3 अक्टूबर को 25 लाख और महिलाओं के खातों में 10,000 रुपये की दूसरी किश्त ट्रांसफर की गई. फिर 7 अक्टूबर को 21 लाख महिलाओं को अगली किश्त दी गई और इसके बाद 17 और 24 अक्टूबर को भी राशि भेजी गई.
इन सभी ट्रांसफरों के बाद, विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के कोष से कुल 12,500 करोड़ रुपये 1.25 करोड़ महिलाओं के खातों में सीधे ट्रांसफर किए जा चुके थे.
मॉडल कोड ऑफ कॉन्डक्ट की 'उल्लंघन'
यह ध्यान देने वाली बात है कि बिहार चुनाव का शेड्यूल 6 अक्टूबर को घोषित किया गया था. इसका मतलब है कि उस दिन से मॉडल कोड ऑफ कॉन्डक्ट (MCC) लागू हो गया. MCC के नियमों के अनुसार, सत्ता में बनी पार्टी उस समय कोई वित्तीय अनुदान, कल्याणकारी योजना या विशेष कोष से भुगतान की घोषणा नहीं कर सकती.
लेकिन इन नियमों की कथित अनदेखी करते हुए, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बिहार में NDA सरकार ने 31 अक्टूबर, 7 नवंबर और 14 नवंबर को किश्तें जारी कीं. जबकि बिहार चुनाव 6 और 11 नवंबर को हुए थे.
इसका मतलब है कि महिलाओं के खातों में सीधे 10,000 रुपये का ट्रांसफर न केवल चुनाव से पहले किया गया, बल्कि प्रचार के दौरान भी जारी रहा — और यह एक ऐसा राज्य है जो नीति आयोग के बहुआयामी गरीबी सूचकांक में सबसे ऊपर है.
दरअसल, RJD सांसद मनोज झा ने 1 नवंबर को चुनाव आयोग को पत्र लिखा और बिहार सरकार पर MCC का उल्लंघन करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सरकार ने 17, 24 और 31 अक्टूबर तथा 7 नवंबर को महिलाओं के खातों में पैसा ट्रांसफर किया. अपने पत्र में उन्होंने लिखा, "मैं बिहार सरकार द्वारा सीधे नकद हस्तांतरण के माध्यम से MCC के खुले उल्लंघन के खिलाफ औपचारिक और कड़ा विरोध दर्ज कर रहा हूं." लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ.
महिलाओं के लिए सीधे नकद ट्रांसफर महाराष्ट्र, दिल्ली और हरियाणा में भी
बीजेपी और उसके सहयोगी अब महिलाओं के लिए कल्याण योजनाओं और सीधे नकद ट्रांसफर पर ज्यादा ध्यान दे रह हैं. यह रणनीति पार्टी के लिए अच्छे नतीजे दे रही है. यह पीएम मोदी की फ्रीबी या उपहारों की आलोचना से अलग कदम भी है.
यह दिल्ली, महाराष्ट्र और हरियाणा के हालिया विधानसभा चुनावों में साफ दिखा.
दिल्ली में चुनाव से पहले, बीजेपी ने महिलाओं को महिला समृद्धि योजना के तहत हर महीने 2,500 रुपये सीधे देने का वादा किया. पार्टी ने 70 में से 48 सीटें जीतकर 27 साल में सबसे बड़ा सीट शेयर हासिल किया.
हरियाणा में चुनाव से पहले, बीजेपी ने लाडो-लक्ष्मी योजना के तहत महिलाओं को हर महीने 2,100 रुपये देने का वादा किया. चुनाव में पार्टी ने अपनी सीट और वोट शेयर बढ़ाई.
महाराष्ट्र में पिछले साल चुनाव से पहले, बीजेपी, शिवसेना-एकनाथ शिंदे और NCP-अजित पवार की सरकार ने मुख्यमंत्री माझी लड़की बहिन योजना शुरू की. इसमें 2.34 करोड़ महिलाओं के खातों में हर महीने 1,500 रुपये ट्रांसफर करने की घोषणा की गई. और सरकार ने सत्ता बनाए रखी.
मध्य प्रदेश में, जहां नवंबर 2023 में विधानसभा चुनाव होने थे, तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उसी वर्ष मार्च में मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना शुरू की थी, जिसमें सभी महिलाओं को प्रति माह 1,000 रुपये का सीधा नकद हस्तांतरण देने की घोषणा की गई थी—अक्टूबर में यह राशि बढ़ाकर 1,250 रुपये कर दी गई थी. फाइनेंशियल एक्सप्रेस में छपी एसबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस योजना के परिणामस्वरूप बीजेपी को राज्य के आठ जिलों में कम से कम 30-35 सीटें मिलीं.
हालांकि ये योजनाएं दिल्ली और हरियाणा में अभी लागू नहीं हुई हैं, और महाराष्ट्र की योजना में डेटा में कई गलतियां हैं, लेकिन चुनाव के लिहाज से ये योजना कामयाब रही.


