ADVERTISEMENTREMOVE AD

संगठन में भरोसेमंद- ब्राह्मण चेहरा.. पहली बार के MLA भजनलाल शर्मा सीधे CM कैसे बने? 4 फैक्टर

Bhajan Lal Sharma को अमित शाह और जेपी नड्डा का करीबी माना जाता है- 2024 के चुनाव के पहले उनका सीएम चुना जाना क्यों खास है?

Aa
Aa
Small
Aa
Medium
Aa
Large

56 साल का शख्त BJP के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ता है. उसे उस सीट से खड़ा किया जाता है जो बीजेपी की सुरक्षित सीटों में से एक हैं. इसके लिए वसुंधरा राजे के करीबी का टिकट भी काट दिया जाता है. नतीजे आते हैं और वो शख्स चुनाव जीतकर विधायक बन जाता है. लेकिन इस कहानी का क्लाइमेक्स सभी को चौंकाने वाला है. पहली बार विधायक बना ये शख्स वसुंधरा राजे को साइड कर सीधे मुख्यमंत्री बन जाता है. नाम भजनलाल शर्मा (Bhajan Lal Sharma, Next Rajasthan CM). 12 दिसंबर की तारीख. जयपुर में विधायक दल की बैठक में वसुंधरा के हाथ में एक पर्ची दिखती है. बगल में राजनाथ सिंह बैठे हुए हैं. पर्ची खुलती है और मोदी मैजिक होता है. चौंकाने वाला मैजिक. भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री घोषित किया जाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि जो रेस में दिख ही नहीं रहा था वह अचानक विनर कैसे बन गया? इसे 4 फैक्टर के जरिए समझते हैं.

भजनलाल शर्मा ने शुक्रवार, 15 दिसंबर को सीएम पद की शपथ ली.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

1- ब्राह्मण, राजपूत और दलित कॉम्बिनेशन

बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में रमन सिंह को पीछे करके विष्णुदेव साय के रूप में आदिवासी चेहरे को आगे किया तो एमपी में कद्दावर OBC नेता शिवराज सिंह चौहान को मोहन यादव से रिप्लेस कर दिया. ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे थे कि भगवा पार्टी राजस्थान में किसी अगड़ी जाति के नेता के साथ जा सकती है. हुआ भी कुछ ऐसा ही- पार्टी ने ब्राह्मण चेहरा भजनलाल शर्मा को सीएम की कुर्सी थमा दी. साथ ही दीया कुमारी और दलित नेता प्रेमचंद बैरवा को डिप्टी पद देकर यह भी सुनिश्चित किया कि हर तबके को संदेश जाए कि पार्टी में उनकी पैठ है. शीर्ष दो पदों पर ब्राह्मण-राजपूत-दलित चेहरों का यह कॉम्बिनेशन 2024 चुनाव के लिए पार्टी की तैयारी को दिखाता है.

2- भजनलाल संघ की पृष्ठभूमि से आते हैं

दूसरा फैक्टर है. भजनलाल की संघ पृष्ठभूमि. जी हां. भजनलाल शर्मा ने संघ के साथ लंबे समय तक काम किया है. मध्य प्रदेश में मोहन यादव और छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय भी संघ के करीबी रहे हैं. ऐसे में राजस्थान में भी वहीं ट्रेंड दिखा. सीएम चेहरा चुनने में संघ का भी फैक्टर प्रभावी दिखा.

3- संगठन में काम का लंबा अनुभव, यानी दिल्ली के भरोसेमंद  

तीसरा और सबसे बड़ा फैक्टर संगठन में लगातार काम करना. यानी केंद्र के भरोसेमंद. भजनलाल भले ही पहली बार के विधायक हों लेकिन बीजेपी में संगठन स्तर पर उनका कद बड़ा है. राजस्थान में बीजेपी संगठन के वर्कहॉर्स यानी सबसे मजबूत हाथ माने जाने वाले भजनलाल शर्मा तीन बार महामंत्री रह चुके हैं.

उनका पार्टी से वैचारिक जुड़ाव कोई नया नहीं है और वे पैराशूट से कूदकर बीजेपी में आने वाले नेता नहीं. छात्र जीवन में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से भी जुड़े थे.

बीजेपी आलाकमान 2024 के आम चुनावों से पहले राज्यों में अपने ऐसे सिपाहियों को बैठती दिख रही है, जो उनका खास हो. भजनलाल इस प्रोफाइल में फिट बैठते हैं. 2021 के बंगाल चुनाव वे अमित शाह के साथ बंगाल भी गए थे और तबसे अमित शाह के कोर टीम में आ गए. उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का खास माना जाता है.

4- वसुंधरा खेमे में नहीं, लेकिन विरोधी भी नहीं

बीजेपी एक बात में साफ है- वह पार्टी में आम चुनावों से पहले कोई बगावत नहीं चाहती और ना ही ऐसा कुछ होता दिखानी चाहती है. जिसे साइडलाइन किया जा रहा था वो ही नए सीएम के नाम की घोषणा कर रहा था- छत्तीसगढ़ में रमन सिंह, मध्यप्रदेश में शिवराज तो राजस्थान में खुद वसुंधरा.

भजनलाल भी भले ही वसुंधरा खेमे में नहीं गिने जाते लेकिन वो उनके विरोधी खेमे में भी नहीं हैं. ऐसा लगता है कि पार्टी ने बड़े करीने से ऐसा नाम चुना है जो महारानी को नाराज भी न करे और मरुधरा में बैलेंस को बनाए रखे.

Speaking truth to power requires allies like you.
Become a Member
Monthly
6-Monthly
Annual
Check Member Benefits
×
×