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UK: उपचुनाव के नतीजे क्या पीएम बोरिस जॉनसन पर पड़ेंगे भारी?

उपचुनाव की नतीजों ने पीएम बोरिस जॉनसन की राजनीतिक जमीन खिसका दी है.

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राजनीति अजीब है. वोटर्स एक रात में नेताओं की किस्मत बदल सकते हैं. ऐसा पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ पहले हो चुका है और अब यूके के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) की जमीन खिसक रही है. 2 साल पहले ही जॉनसन ने उत्तर की सीटों पर लेबर की मजबूत दीवार ढहाकर 1987 में मार्ग्रेट थैचर के बाद पहली बार कंजर्वेटिव पार्टी को सबसे बड़े बहुमत के साथ जीत दिलाई थी. जिसके बाद लिबरल डेमोक्रेट्स का लगभग सफाया हो गया था और यूके में 2 पार्टी वाले लोकतंत्र पर चर्चा शुरू हो गई थी.

लेकिन अब हालात बदल गए हैं. इसी हफ्ते कंजर्वेटिव पार्टी ने उपचुनाव में अपना गढ़ रहे नॉर्थ श्रॉपशायर सीट लिबरल डेमोक्रेट्स के हाथों लगभग 200 साल बाद गंवा दी है. विजेता हेलेन मॉर्गन ने अब कहा कि 'पीएम के लिए पार्टी खत्म हो चुकी है.'

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डरावने नतीजों के बाद बोरिस जॉनसन के लिए आने यह हफ्ता गरम रहने वाला है, हाल ही में डाउनिंग स्ट्रीट में पार्टी को लेकर के लेकर वह आलोचकों के निशाने पर हैं, साथ ही पार्टी के सांसदों ने भी उनके खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है. टोरी सांसद सर रॉजर ने हाल ही में कहा कि पीएम टलास्ट ऑर्डर' पर हैं, एक और गलती होते ही उन्हें जाना पड़ेगा.

उपुचनाव को बोरिस जॉनसन के प्रदर्शन का जनादेश माना जा रहा है. जॉनसन इन सबके के बीच वापसी करने का माद्दा रखते हैं, लेकिन इस बार टोरी पार्टी में ही कई लोग गर्मियों के वक्त लीडरशिप बदलने की संभावना तलाश रहे हैं.

अब जॉनसन की चुनाव जीतने की क्षमता पर सवाल उठ रहे हैं.

क्या नतीजों से लिबरल डेमोक्रेट्स की छवि बदलेगी?

लिबरल डेमोक्रेट्स के लिए यह दोबारा मजबूती की ओर कदम बढ़ाने की शुरुआत लग रही है. पूर्व लिबरल डेमोक्रेट नेता टिम फैरन ने कहा कि लाखों लोगों की सुबह की शुरुआत इस फीलिंग के साथ हुई है कि अंधेरे में एक आशा की किरण दिखाई दी है.

ये भावनाएं समझी जा सकती हैं. 2016 में हुए जनमत संग्रह में इस इलाके ने ब्रेक्सिट के पक्ष में मजबूती से वोट दिया, लेकिन अब यूरोपियन यूनियन का समर्थन करने वाले लिबरल डेमोक्रेट्स ने इस सीट पर कब्जा कर लिया है. लेबर पार्टी इस इलाके में तीसरे स्थान पर रही. हालांकि इस बात का जिक्र करना जरूरी है कि टोरी पार्टी को हराने के लिए यहां काफी रणनीतिक तरीके से वोटिंग हुई.

लिबरल डेमोक्रेट्स के लिए यह पहली ऐसी जीत नहीं है. जुलाई में उन्होंने कंजर्वेटिव्स के गढ़ बकिंघमशायर के चेशाम और अमेरशाम पर कब्जा किया, वो भी 25 फीसदी वोट स्विंग के साथ.
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क्या दोहराएगा 1997 का जादू?

राजनीतिक विश्लेषक और YouGov के पूर्व अध्यक्ष पीटर केलनर कहते हैं, ''उपचुनावों को यूं ही नहीं भुलाया जा सकता, क्योंकि ये अपनी रफ्तार से ट्रेंड करते हैं. यह भूला नहीं जा सकता कि 1997 में टोनी ब्लेयर (लेबर) और पैडी ऐशडाउन (लिबरल डेमोक्रेट्स) ने कुछ प्रतिशत टैक्टिकल शिफ्ट से कंजर्वेटिव्स को 30 सीटों का नुकसान पहुंचाया था.''

2010 में लिबरल डेमोक्रेट्स डेविड कैमरन (कंजर्वेटिव) सरकार का हिस्सा था और निक क्लेग उप प्रधानमंत्री थे. फिर 2019 में जेरेमी कोब्रिन (लेबर) को हराने के लिए इन्होंने कंजर्वेटिव्स का साथ दिया, हालांकि इस वजह से इनका वोट बेस काफी खिसका.

अब टेक्टिकल वोटिंग के जरिए वापसी से केर स्ट्रीमर (लेबर) और एड डेवी (लिबरल डेमोक्रेट्स) क्या 1997 का जादू दोहरा पाएंगे? हालांकि ऐसा अनुमान लगाना फिलहाल जल्दबाजी होगी, क्योंकि दोनों नेताओं को अपनी पार्टियों में काफी काम करने की जरूरत है.
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केल्नर के अनुसार. ''बहुमत लाने के लिए जिस तरह का पहाड़ लेबर को फतह करना है, उसके लिए पॉप्युलर वोट में 12 फीसदी की लीड से एक अल्पमत की सरकार लेबर के लिए सबसे अच्छी उम्मीद हो सकता है. यह टोरी के लिए सबसे बड़ा खतरा होगी.''

केल्नर ने आगे कहा कि इसलिए नॉर्थ श्रोपशायर में लेबर के वोट में बढ़ोतरी से स्टार्मर को खुश होना चाहिए और जॉनसन को डरना चाहिए.

लंबे सूखे और चुनावी प्रासंगिकता खोने के बाद क्या यह नतीजे लिबरल डेमोक्रेट्स की छवि बदलेंगे? एड डेवी कुछ ऐसी ही सो रहे होंगे. 5 सालों में यह उनके लिए उपचुनावों में चौथी बढ़त है, अब थोड़ी उम्मीद दिखाई देने लगी है.

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जॉनसन को लेनी चाहिए हार की जिम्मेदारी

दूसरी ओर कंजर्वेटिव्स इस शर्मिंदगी के लिए खुद जिम्मेदार हैं. जॉनसन ने नतीजों के लिए 'निजी तौर पर जिम्मेदारी' ली थी, इसलिए उन्हें अब जिम्मेदारी माननी चाहिए. पूर्व कंजर्वेटिव सांसद ओवन पेटरसन को एक लॉबिइंग स्कैंडल के बाद संसद से 30 दिनों के लिए निलंबित किया जाना था, लेकिन उन्हें बचाने के लिए जॉनसन ने नियमों को ताक पर रखने की कोशिश की, हालांकि पेटरसन को आखिर में जाना ही पड़ा.

अगर जॉनसन ने नियमों का पालन किया होता तो इस उपचुनाव से बचा जा सकता था.

जॉनसन के लिए काफी चीजें गलत हो रही हैं, टोरी के लगभग 100 सांसदों ने ओमिक्रॉन वायरस से निपटने को लेकर उनके खिलाफ संसद में बगावत कर रखी है.
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पार्टी गेट स्कैंडल से लेकर पेप्पा पिग, टैक्टिकल वोटिंस और ओमिक्रॉन स्ट्रेन तक, उनके लिए चीजें सही नहीं रही हैं. इसके अलावा ग्रामीण इलाकों के किसान भी ब्रेग्जिट के बाद सरकार की तरफ से किसी तरह की मदद नहीं मिलने से काफी नाराज बताए जा रहे हैं. ऐसा लग रहा है कि ब्रेग्जिट पूरा करने के लिए 2 साल पहले उनको ऐतिहासिक बहुमत दिलानेवाली लहर अब थम रही है.

कंजर्वेटिव पार्टी में निश्चित रूप से अस्थिरता है, लेकिन फिलहाल जॉनसन के नेतृत्व को कोई सीधे चुनौती नहीं दे रह है. अब जॉनसन रहेंगे या जाएंगे, यह मौलिक चुनौती 2022 में रहेगी.

टोरी को एक और झटका तब लगा जब उसके एक महत्वपूर्ण ब्रेग्जिट मंत्री लॉर्ड डेविड फ्रॉस्ट सरकार की राजनीतिक दशा-दिशा का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया.

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