ADVERTISEMENTREMOVE AD

भारत की विनम्र शक्ति खतरे में: वजह कहीं सर्जिकल स्ट्राइक तो नहीं

पूर्व बीजेपी नेता सुधींद्र कुलकर्णी की नजर में आतंकवाद को विनम्र शक्ति बनकर भी करारा जवाब दिया जा सकता है

Updated
story-hero-img
i
Aa
Aa
Small
Aa
Medium
Aa
Large

क्‍या नरेंद्र मोदी वे पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्‍होने सेना को नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार जाकर आंतकी ठिकानों और पाकिस्‍तानी सेना की टुकड़ी पर सर्जिकल हमले की मंजूरी दी? मुझे नहीं पता.

क्‍या केन्‍द्र में कांग्रेस के सत्‍ता में होने पर भारत की कठोर शक्ति का प्रतीक और श्रोत भारतीय सेना ने इस प्रकार का कोई सर्जिकल हमला किया था, क्‍योंकि ऐसा कुछ गैर बीजेपी लोग दावा कर रहे हैं और जैसा कि हाल ही में द हिन्‍दू में “ऑपरेशन जिंजर” के बारे में खुलासा हुआ है? मुझे नहीं पता.

लेकिन एक बात जो मैं जानता हूं कि पिछले काफी समय से भारत की विनम्र शक्ति को निशाना बनाकर, स्‍वयं को नुकसान पहुंचाने वाले, कई सर्जिकल हमले होते आ रहे हैं. इसका हाल ही में सबसे ताजा उदाहरण सिनेमा ओनर्स एण्‍ड एक्‍सहिबिटर्स एसोसिएशन ऑफ इण्डिया द्वारा भारत में पाकिस्‍तानी कलाकर द्वारा अभिनीत किसी भी फिल्‍म के प्रसारण पर रोक लगाना है. और, इसलिए अब एक इंडस्ट्री प्‍लेटफार्म सुपर सेंसर बोर्ड की तरह काम कर रहा है. अब यह न तो सेंसर बोर्ड या गृह मंत्रालय तय करेगा कि कौन सी भारतीय फिल्म देखनी चाहिए और कौन सी नहीं. कितना शर्मनाक है यह! 
ADVERTISEMENTREMOVE AD

वर्तमान सेंसर बोर्ड के प्रमुख द्वारा अपने अधिकारों के छिनने पर सोओईएआई की प्रशंसा पर किसी को आश्‍चर्यचकित नहीं होना चाहिए. बड़े दुख कि बात है कि देश में बढ़ते अंधराष्‍ट्रवाद के इस युग में, सीओईएआर्इ के इस कदम पर उसकी वैधानिकता पर सवाल खड़े करने वाले सरकार में कुछ गिने चुने लोग ही हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
ADVERTISEMENTREMOVE AD

भारत की कठोर और विनम्र शक्तियों के बीच अंतर स्‍पष्‍ट करने का मतलब यह नहीं है कि हम जैसे लोग भारतीय आर्मी और पाकिस्‍तान से सीमा पार आतंकवाद के खतरे से लड़ाई में इनकी शहादत का सम्‍मान नहीं है. मैं हाल ही में इनके द्वारा की गई सर्जिकल हमले का समर्थन करता हूं.

मैं अपने जवानों के साहस की तारीफ करता हूं. आतंकवाद को दंड जरूर मिलना चाहिए, और मुख्‍य रूप से तब जब यह दुर्भाग्‍य से राज्‍य की पड़ोस नीति का अहम हिस्‍सा बन जाए, जिससे पाकिस्‍तान के लोगों को उतना ही कष्‍ट पहुंचता है जितना कि हमारे लोगों को.

भारत की कठोर और विनम्र शक्तियों के बीच अंतर स्‍पष्‍ट करने का मतलब यह नहीं है कि हम जैसे लोग भारतीय आर्मी और पाकिस्‍तान से सीमा पार आतंकवाद के खतरे से लड़ाई में इनकी शहादत का सम्‍मान नहीं है. मैं हाल ही में इनके द्वारा की गई सर्जिकल हमले का समर्थन करता हूँ. मैं अपने जवानों के साहस की तारीफ करता हूँ. आतंकवाद को दंड जरूर मिलना चाहिए, और मुख्‍य रूप से तब जब यह दुर्भाग्‍य से राज्‍य की पड़ोस नीति का अहम हिस्‍सा बन जाए, जिससे पाकिस्‍तान के लोगों को उतना ही कष्‍ट पहुँचता है जितना कि हमारे लोगों को.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

विनम्र शक्ति से दें जवाब

हालांकि, यह बात जोर से और स्‍पष्‍ट कहना होगा: कि आतंकवाद को केवल भारतीय कठोर शक्ति से हराया नहीं जा सकता. इस लड़ाई में भारत की विनम्र शक्ति लंबे समय में कहीं अधिक कारगर साबित होगी, क्‍योंकि पाकिस्‍तानी लोगों के दिलों दिमाग पर राज करके, यह दो समान सभ्‍यता के पड़ोसियों के बीच पार‍स्‍परिक सोच, मित्रता और विश्‍वास का एक मजबूत पुल बनाने में मदद करेगी.

शायद भारतीय सेना विश्‍व की सबसे ताकतवर सेना नहीं है, यह अस्‍पष्‍ट अंतर संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका द्वारा गर्व से किया जा रहा है. लेकिन भारत की विनम्र शक्ति निश्चित रूप से सर्वश्रेष्‍ठ हो सकती है. और इसका प्रभाव हमारे पड़ोस में, विशेषरूप से पाकिस्‍तान पर बहुत विशाल है, जिसे हमारे देश के कई लोग झूठे तौर पर हमारे कट्टर और सर्वकालिक दुश्‍मन के तौर पर मानते हैं. पाकिस्‍तान में बॉलीवुड, वहां हॉलीवुड और लॉलीवुड (पाकिस्‍तानी फिल्‍में लाहौर में बनती है) से कहीं ज्‍यादा लोकप्रिय है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
ADVERTISEMENTREMOVE AD

वास्‍तव में, बॉलीवुड की ख्‍याति और लोकप्रियता की पाकिस्‍तान में भारत विरोधी तत्‍वों द्वारा घृणा की जाती है और डराया जाता है, जो कि भारत में पाकिस्‍तान विरोधी तत्‍वों का ही दूसरा चेहरा हैं. कुछ साल पहले जब मैं लाहौर के जिन्‍ना पार्क में सुबह टहल रहा था और मैनें वहां के निवासियों से बातचीत करना शुरु की, तो वहाँ कुछ ने - सभी ने नहीं पाकिस्‍तान में भारतीय हिन्‍दी फिल्‍मों की लोकप्रियता के बारे में शिकायत की कि उनका पाकिस्‍तान पर हानिकारक और भ्रष्‍ट प्रभाव पड़ा है.

मैंने पूछा, “क्‍यों”. उन्‍होने जवाब दिया, “क्‍योंकि आपकी फिल्‍में पाकिस्‍तान के मुसलमानों में हिन्‍दू संस्‍कृति का प्रचार कर रही हैं. आपकी फिल्‍में देवी-देवताओं को दिखाती हैं. वे हिन्‍दुओं के रीति रिवाज को प्रसारित करती है जो कि गैर-इस्‍लामिक है.”
ADVERTISEMENTREMOVE AD
ADVERTISEMENTREMOVE AD

इस कट्टरता के बाबजूद, कई पाकिस्‍तानी हिन्‍दी फिल्‍मों और भारतीय टीवी कार्यक्रमों के दर्शक‍ हैं. बजरंगी भाईजान जिसमें सलमान खान को हनुमान भक्‍त के रूप में दिखाया गया है, हमारे यहां की तरह पाकिस्‍तानी मुस्लिमों के बीच भी ब्‍लॉकबस्‍टर साबित हुई. और इस तथ्‍य के बावजूद और क्‍या यह इस तथ्‍य का कारण है? - कि “बजरंगी” सलमान खान ने उस फिल्‍म में बिना किसी अपराध भाव के भारत और पाकिस्‍तान के बीच अमन और भाईचारे के विजेता का किरदार निभाया था.

और फिर, जब यही सलमान खान ने हाल ही में यह कहने का साहस किया कि पाकिस्‍तानी सिनेमा कलाकार “आतंकवादी नहीं हैं”- और इसलिए बॉलीवुड फिल्‍मों में उन्‍हें काम करने दिया जाना चाहिए – तो भारत में दूसरे प्रकार के “भक्‍तों” उन पर यह कहते हुए गरजना शुरु कर दिया कि वो देशद्रोही, राष्‍ट्र-विरोधी हैं, और यदि पाकिस्‍तान से इतना ही प्‍यार है तो उन्‍हें पाकिस्‍तान चले जाना चाहिए. भारत की विनम्र शक्ति पर खुद को हराने वाला यह कैसा शानदार सर्जिकल हमला है.

और पाकिस्‍तान में न सिर्फ “मुसलमान” सलमान और अन्‍य कोई मुस्लिम सुपरस्‍टार पॉपुलर हैं. पाकिस्‍तान के बड़े और छोटे शहरों के कस्‍बों की हेयर कटिंग सैलून में – सामान्‍य जनमानस को छूने वाले वो अलौकिक पैमाने हैं – जिनमें दीवारों पर न केवल सलमान, शाहरुख या आमिर के पोस्‍टर चिपके हैं, बल्कि अमिताभ बच्‍चन, अक्षय कुमार, एश्‍वर्या राय और (पिछली पीढ़ी से) माधुरी दीक्षित, लता मंगेशकर और किशोर कुमार भी मोहम्‍मद रफ़ी की तरह ही पसंद किये जाते हैं.

ऐसे कि मेहंदी हसन और नुसरत फतेह अली खान पाकिस्‍तान के संगीत प्रेमियों की भांति ही भारत में भी वही आनंद बिखेरते हैं. यहां इस पर जोर देना जरूरी है कि फवाद खान को, कई लाख भारतीयों द्वारा पसंद किया जाता है, और उसी प्रकार पाकिस्‍तानी टीवी सीरियल, जो कि सामान्‍यत: भारत में बनने वाले सीरियलों की अपेक्षा बेहतर होते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
ADVERTISEMENTREMOVE AD

अब हम भारत की विनम्र शक्ति के खिलाफ हो रहे सर्जिकल हमलों के दूसरे घटनाक्रम पर नजर डालते हैं. जब कुछ भगवावस्‍त्र धारी गुरिल्ला लडा़कों ने भारत-पाकिस्‍तान मैच का विरोध करने के लिए मुंबई के वानखेड़े स्‍टेडियम में पिच खोद डालते हैं, तो उनका निशाना खेल होता है, न कि सीमा पार बैठे आंतकियों के ठिकाने. सच्‍चाई यह है, बॉलीवुड की तरह, क्रिकेट भी भारत और पाकिस्‍तान के बीच विनम्र शक्ति के सबसे मजबूत गठजोड़ों में से एक है जिसका विरोध करना वे उचित समझते हैं.

और जब यही भगवावस्‍त्र धारी लड़ाके प्रसिद्ध पाकिस्‍तानी गजल गायक गुलाम अली (जो कि भारत में पाकिस्‍तान की विनम्र शक्ति की तरह ही फेमस हैं) के संगीत कार्यक्रम के आयोजकों पर मुंबई में आयोजन रद्द करने का दबाब बनाया, तब उनका निशाना संगीत था, जो कि कला के सभी रूपों में सबसे मनमोहक और सर्वप्रिय है, न कि पाकिस्‍तान में स्थित आंतकी प्रशिक्षण ठिकानों पर.

और यहां इससे जुड़ी एक और बात है. भले ही गुलाम अली पा‍किस्‍तानी हों, भले ही वो मुस्लिम हों, लेकिन उन्‍हें गाने में कोई संकोच नहीं था, मुम्‍बई घटना के कुछ दिनों बाद, उन्‍हानें हिंदुओं के सबसे पवित्र शहर वाराणसी के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक संकट मोचन मंदिर में गाना गाया. कोलकाता में दूसरे प्रोग्राम में उन्‍होंने ज्ञान और कला की देवी, सरस्‍वती की तारीफ की. लेकिन इस प्रकार के भारत-पा‍क के अध्‍यात्मिक और सांस्‍कृतिक समन्‍वयता के उदाहरण स्‍वयं घोषित हिंदुत्‍व और भारतीय राष्‍ट्रवाद के रक्षकों को समझ में कहां आयेगें.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

पिछले साल, इन भगवावस्‍त्र लड़ाकों ने एक दूसरा खुद पर सर्जिकल हमला किया. और इस बार उनका निशाना एक किताब और मैं था. उन्‍होने पूर्व पाकिस्‍तानी विदेश मंत्री खुर्शिद महमूद कसूरी द्वारा लिखित नीदर ए हॉक नॉर अ डोव को निशाना बनाया.

वास्‍तव में पाकिस्‍तानी देशभक्‍त द्वारा लिखी गई यह पुस्‍तक और जो वास्‍तव में भारत के सच्‍चे मित्र भी हैं, ने इस किताब में पाकिस्‍तानी सरकार को भारत में आतंकवादी हमला करने वाले गैर राज्‍य लोगों को मदद करने की आलोचना की है, और कहा कि इस नीति के कारण पाकिस्‍तान की छवि काफी नकारात्‍मक हुई है, से भी इन लड़ाकों पर कोई असर नहीं पड़ा. उन्‍होंने मुंबई में मेरे द्वारा आयोजित कार्यक्रम को भंग करने की धमकी दी क्‍योंकि यह लेखक पाकिस्‍तानी था. उन्‍होंने गरज कर कहा, “हम मुंबई में किसी पाकिस्‍तानी को कदम नहीं रखने देंगे.”

ADVERTISEMENTREMOVE AD
ADVERTISEMENTREMOVE AD

एक सर्जिकल हमले में उन्‍होंने मेरे चेहरे पर कालिख पोत दी गयी, जिसे बाद वे लड़ाकों के आकाओं द्वारा सराहा गया, उन्‍होंने मेरा चेहरा काला कर दिया. इन सबके बाबजूद भी, हमने कसूरी की मौजूदगी में किताब को भारत और पाकिस्‍तान के बीच संघर्ष को बातचीत के जरिए हल करने की सोच रखने वाले कई सौ देशभक्‍तों की मौजूदगी में प्रस्‍तुत की.

भारत और पाकिस्‍तान के बीच सामाजिक-सांस्‍कृतिक समन्‍वयता की जागरुकता और उनकी विनम्र शक्तियों के अनगिनत पारस्‍परिक गठजोड़ और मजबूत बंधन की मंजूरी देना, आतंकवाद को हराने में हमारी सेना के बंदूक, टैंक और परमाणु बमों से कहीं ज्‍यादा ताकतवर साबित होगी.

कठोर और विनम्र शक्तियों के बीच यह अंतर करना जरुरी है क्‍योंकि देश के हितों की रक्षा करने वाली मात्र सेना नहीं है. कलाकार, फिल्‍म मेकर्स और फिल्‍म स्‍टार, संगीतकार, लेखक और कवि, स्‍पोर्ट आइकन और वास्‍तव में आध्‍यात्मिक गुरु भी देश हित में वृद्धि करते हैं. इसके अलावा, सेना जिनकी पेशकश और सेवाएं उनके देश के भीतर तक सीमित होती है, विनम्र शक्ति के प्रचारक विश्‍वभर के लोगों के दिलो दिमाग पर असर है. साबित करें? गीतकार बॉल डिलन, जिन्‍होंने थोड़़े ही दिन पहले साहित्‍य के नोबेल पुरस्‍कार जीता है, के गीत “द आंसर इज ब्‍लोइंग इन द विंड” की इन पंक्तियों पर नजर डालते हैं.

हां, एक आदमी के पास कितने कान हो सकते हैं

उसके द्वारा लोगों का शोर सुनने से पहले?

हां, उसके जानने तक कितनी मौते होंगी.

कि कई सौ बच्‍चे मर चुके हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
ADVERTISEMENTREMOVE AD

ये पंक्तियां एक बार भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, जो कि अब तक भारत की विनम्र शक्ति का प्रतिनिधित्‍व करने वाले हमारे जीते जागते कवियों में से एक है, और जिन्‍होंने प्रधानमंत्री पद होने पर भारत की कठोर शक्ति को भी नियंत्रित किया है, द्वारा बोली गयी पक्तियों से कुछ अलग नहीं है, और जब 1999 में शांतिदूत बनकर, अमृतसर से लाहौर तक (मैं उसी बस में उनके साथ था) पाकिस्‍तान गये थे, और बाद में लाहौर में गवर्नर हाउस में पाकिस्‍तानी प्रबुद्ध लोगों को संबोधित किया. उन्‍होंने पूर्व और वर्तमान प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की मौजूदगी में अपनी कविता “जंग न होने दूँगा” सुनायी.

भारत-पाकिस्तान पड़ोसी, साथ-साथ रहना है,

प्यार करें या वार करें, दोनों को ही सहना है,

तीन बार लड़ चुके लड़ाई, कितना महंगा सौदा,

रूसी बम हो या अमेरिकी, खून एक बहना है.

जो हम पर गुजरी, बच्चों के संग न होने देंगे.

जंग न होने देंगे.

और वाजपेयी को पाकिस्‍तानी श्रोताओं से मिलना वाला प्रशंसा जोरदार है. हां, मैं उसका साक्षी था.यह भारत की विनम्र शक्ति की शक्ति है. चलों, हम हमारे भटके हुए देशभक्‍तों के सर्जिकल हमले से इसकी रक्षा करें.

Published: 
Speaking truth to power requires allies like you.
Become a Member
Monthly
6-Monthly
Annual
Check Member Benefits
×
×