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बिहार बंद: BJP के लिए क्यों पड़ा उल्टा दांव, सहयोगी पार्टियों का कितना मिला साथ?

बिहार बंद पर नेताओं की चुप्पी. चिराग पासवान से लेकर नीतीश कुमार तक के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक सब जगह सन्नाटा.

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बिहार में इंडिया गठबंधन की वोटर अधिकार यात्रा के एक मंच, जिसमें इंडिया गठबंधन का कोई भी नेता मौजूद नहीं था, से एक व्यक्ति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां को लेकर आपत्तिजनक नारे लगाये थे. नारा लगाने वाले व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और इंडिया गठबंधन के नेताओं ने इस नारे की भरपूर निंदा भी की.

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लेकिन, भाजपा ने इसे मौके के तौर पर लेते हुए आसन्न बिहार विधानसभा चुनाव में इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने का फैसला लिया. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक मंचों से इस पर टिप्पणी की. 2 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने वीडिया कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जीविका बैंक के उद्घाटन के बाद कहा,

आरजेडी और कांग्रेस के मंच से मेरी मां को गालियां दी गईं. ये गालियां सिर्फ मेरी मां का अपमान नहीं है, यह देश की मां-बहन-बेटी का अपमान है. बिहार की हर मां, बेटी, भाई को यह सुनकर बुरा लगा. इसकी जितनी पीड़ा मेरे दिल में है, उतनी ही तकलीफ बिहार के लोगों को हुई है.

उन्होंने सर्दियों में होने वाले बिहार के सबसे बड़े लोकपर्व छठ का जिक्र करते हुए आरजेडी और कांग्रेस से छठ मइया से माफी मांगने को कहा.

20 दिन बाद नवरात्र शुरू हो रहे हैं. 50 दिन बाद छठी मइया की पूजा होगी. मां को गाली देने वालों को मोदी तो एक बार माफ कर ही देगा, भारत की धरती ने मां का अपमान कभी बर्दाश्त नहीं किया है. इसलिए आरजेडी और कांग्रेस को सात बहिनी और छठी मइया से माफी मांगनी चाहिए

प्रधाममंत्री मोदी के इन बयानों से साफ है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस मुद्दे को चुनाव तक जिंदा रखना चाहता है. इसी के तहत इंडिया गठबंधन की वोटर अधिकार यात्रा खत्म होने के दो दिन बाद ही भाजपा ने पीएम की मां को लेकर आपत्तिजनक नारे के खिलाफ 4 सितंबर को बिहार बंद का ऐलान किया. ये बंद भाजपा के राज्य नेतृत्व ने बुलाई थी और वो भी बेहद जल्दबाजी में. भाजपा के एक नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा,

पटना की सड़कों पर इंडिया गठबंधन के 1 सितंबर के शक्ति प्रदर्शन के बाद ही हमलोगों ने आनन-फानन में ये फैसला लिया. लगभग 16 घंटे पहले हमने बिहार बंद करने का निर्णय लिया.

भाजपा के राज्य नेतृत्व को लगा था कि जमीन पर इस हड़ताल को जबरदस्त जनसमर्थन मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

एनडीए के सहयोगी दलों के कार्यकर्ता नदारद

इस हड़ताल में भाजपा को अपने ही सहयोगी दलों - जनता दल (यूनाइटेड), हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (सेकुलर), लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का उस तरह का सहयोग नहीं मिला, जैसा वे उम्मीद कर रहे थे, इसी वजह से सड़कों पर भाजपा के अलावा अन्य गठबंधन पार्टियों के झंडे नहीं के बराबर दिखे. छिटपुट जगहों पर एनडीए के अन्य दलों के नेता जरूर नजर आये. हालांकि, एनडीए गठबंधन में शामिल पार्टियों ने कहा कि उन्होंने बंद को पूरा समर्थन दिया था.

 जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने क्विंट से कहा,

बिहार बंद करने का फैसला एनडीए गठबंधन का था और हमलोगों ने पूरा सहयोग दिया था. हमारी पार्टी की महिला इकाई से जुड़ी महिलाओं ने इसमें हिस्सा लिया था." लेकिन, पार्टी का झंडा कहीं क्यों नहीं दिखा? इस सवाल पर वह कहते हैं, "ये तो नहीं बता सकते, लेकिन हम लोगों का पूरा समर्थन था."

बिहार बंद का फैसला जल्दबाजी में लिया गया था, ये इससे भी पता चलता है कि उसी रोज मुजफ्फरपुर में एनडीए के सहयोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की नव-संकल्प महासभा थी, जिसमें चिराग पासवान समेत पार्टी के तमाम बड़े नेता मौजूद थे.

क्विंट के साथ बातचीत में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रवक्ता अशरफ अंसारी कहते हैं,

बिहार बंद में हमलोगों की सहमति तो थी, लेकिन मुजफ्फरपुर में हमारा पूर्व निर्धारित कार्यक्रम था, जिसमें तमाम छोटे बड़े नेता मौजूद रहे, इसलिए हमलोग उस स्तर पर बंद के समर्थन में नहीं उतर पाये. लेकिन, हाजीपुर में हमलोगों ने भाजपा को सहयोग किया.

अलबत्ता, बिहार बंद को प्रभावी बनाने के लिए भाजपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, लोकसभा सांसद रविशंकर प्रसाद, समेत अन्य वरिष्ठ नेता ‘मैं भी मां हूं’ लिखा पोस्टर हाथों में लिये पटना की सड़कों पर नजर आये. जिलों में स्थानीय भाजपा विधायक सांकेतिक तौर पर बंद कराने मैदान में उतरे.

मगर, सोशल मीडिया पर एनडीए में शामिल पार्टियां बिहार बंद को लेकर चुप्पी साधे रही. एनडीए के सहयोगी दल हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (सेकुलर) के मुखिया जीतन राम मांझी व पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता बिहार बंद के दिन नई दिल्ली में आयोजित पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में थे. उनके ट्विटर अकाउंट पर राष्ट्रीय अधिवेशन को लेकर तो कई पोस्ट मौजूद हैं, लेकिन बिहार बंद को लेकर उन्होंने ट्विटर पर भी कुछ नहीं लिखा.

 चिराग पासवान के ट्विटर अकाउंट पर भी बिहार बंद को लेकर सन्नाटा रहा. नीतीश कुमार ने भी अपने ट्विटर व फेसबुक अकाउंट पर इस बंद को लेकर कुछ भी नहीं लिखा.

इससे पता चलता है कि जमीन पर सांकेतिक तौर पर भले ही एनडीए के घटल दलों के कुछ नेता उतरे हों, लेकिन वृहद तौर पर ये पार्टियां बिहार बंद के साथ नहीं थीं. हालांकि इन पार्टियों के नेताओं ने पूर्व में प्रधानमंत्री मोदी की मां को लेकर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर इंडिया गठबंधन की भर्त्सना जरूर की थी.

बंद के दौरान गुंडागर्दी!

इस हड़ताल को लेकर राज्यभर के अलग-अलग हिस्सों से आम लोगों पर ज्यादती की जो तस्वीरें आईं उससे भाजपा की काफी किरकिरी हुई. इसका नतीजा ये निकला कि आम लोगों ने पीएम मोदी की मां के अपमान को लेकर सहानुभूति जताने की जगह भाजपा कार्यकर्ताओं से नाराजगी जताई.

जहानाबाद जिले में दीप्ति रानी नाम की एक शिक्षिका से बिहार बंद समर्थकों ने बदसुलूकी की. बताया जाता है कि दीप्ति रानी स्कूल जा रही थीं. वह अरवल मोड़ पहुंची थीं कि बंद समर्थकों ने उन्हें गाड़ी से उतार दिया और उनसे धक्कामुक्की की. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में भाजपा का गमछा लपेटी महिलाओं को शिक्षिका के कपड़े पकड़ कर खींचते हुए ले जाते देखा जा सकता है. वीडियो में शिक्षिका कहती नजर आ रही हैं कि वह शिक्षिका हैं, लेकिन बंद समर्थक उन्हें स्कूल जाने नहीं दे रहे हैं. इस पर बंद समर्थक महिला कहती है कि वह शिक्षिका नहीं बल्कि लालू की समर्थक है. बाद में पुलिस प्रशासन ने उन्हें वहां से निकाला और इस तरह वह अपने स्कूल पहुंच सकीं.

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वहीं, दरभंगा के लहेरियासराय के बेलवागंज में एक युवक ने जब बंद समर्थक भाजपा कार्यकर्ताओं से अपने घर के सामने टायर जलाने से मना किया तो, आरोप है कि उस पर चाकू से वार किया गया. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, पिंटू कुमार नाम के व्यक्ति का कहना था कि उनकी चाची बीमार थी, इसलिए उन्होंने बंद समर्थकों से थोड़ा आगे जाकर टायर जलाने को कहा था, इसी बात को लेकर उन पर हमला किया गया. एक अन्य घटना में लहेरियासराय टावर के पास एक शिक्षिका को स्कूल जाने से रोक दिया गया, जिसको लेकर धक्कामुक्की हुई. एक अन्य वीडियो में भाजपा समर्थक एक एम्बुलेंस को रोकते नजर आते हैं, जिसमें एक गर्भवती महिला थी. इसी तरह के और भी कई वीडयो सोशल मीडिया पर वायरल हुए.

बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम व राजद नेता तेजस्वी यादव ने इन वीडियो को आधार बनाकर भाजपा पर बंद के बहाने बिहार में गुंडागर्दी करने का आरोप लगाया.

 तेजस्वी यादव ने कहा,

भाजपा और एनडीए का यह बंद पूरी तरह फ्लॉप साबित हुआ. इस बंद में आम आदमी का समर्थन भाजपा व एनडीए को नहीं मिला. बल्कि भाजपा के लोगों ने सड़कों पर गुंडागर्दी की. महिलाओं तथा शिक्षकों के साथ बदतमीजी की गई. एम्बुलेंसों को रोका गया और जबरन आम नागरिकों को तकलीफ पहुंचायी गयी.
ये सारा दृश्य बिहार बंद में सामने आया. प्रधानमंत्री जी और भाजपा के लोगों ने जो केवल बिहार में बंद करवाया था, उसे बिहार के एक भी नागरिक का समर्थन नहीं मिला. बंद के जरिए पूरी तरीके से गुंडागर्दी करने का काम किया गया.
तेजस्वी यादव

हालांकि, भाजपा ने इस बंद को सफल और आम लोगों को परेशानियां वाले वीडियोज को प्रायोजित करार दिया. भाजपा विधायक हरिभूषण बचौल ने क्विंट से कहा,

बहुत कम तैयारी के साथ हमलोगों ने बिहार बंद किया, फिर भी ये बहुत प्रभावशाली रहा. पब्लिक घरों से नहीं निकली.

बंद के दौरान शिक्षिका से धक्कामुक्की, एंबुलेंस रोकने और चाकूबाजी की घटनाओं के बारे में पूछने पर वह कहते हैं, "जो सब वीडियो सामने आया है, वो सब विरोधी पार्टियों द्वारा प्रायोजित था.

इन घटनाओं को अगर दरकिनार भी कर दें, तो आम लोगों में पीएम मोदी की मां के लिए आपत्तिजनक टिप्पणी का मुद्दा पैठ नहीं बना पाया. इसकी एक बड़ी वजह ये रही कि जैसी ही भाजपा नेताओं ने ये मुद्दा उछाला, कांग्रेस, राजद व अन्य इंडिया गठबंधन पार्टियों के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, शशि थरूर की दिवंगत पत्नी सुनंदा पुष्कर और नीतीश कुमार के लिए की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों से भरा पिटारा खोल दिया.

टीवी डिबेट में राजद व कांग्रेस प्रवक्ताओं ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ उन नेताओं की तस्वीरें लहराई, जिन्होंने महिलाओं पर अशोभनीय टिप्पणी की थी. सोशल मीडिया के जरिए भाजपा नेताओं के ये बयान आम लोगों तक पहुंच गये और वे इस मुद्दे से किनारे हो गये. ऐसे में दरभंगा के दिल्ली मोड़ पर एक अधेड़ युवक की टिप्पणी गौर करने वाली है, जिसमें वह गुस्से में कहते हैं, “पीएम की मां को गाली दी गई, तो बिहार बंद है. जब आम पब्लिक की मां को गाली दी जाती है, तो कौन बंद करने आता है? उसको कौन देखने के लिए आता है?”

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