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‘दिल्ली दंगों में साजिश की जांच नहीं, जांच की साजिश हो रही’

देश कोरोना के खिलाफ जंग में व्यस्त है. इस बीच दिल्ली पुलिस भी व्यस्त है सिर्फ लॉकडाउन में नहीं, एक बड़ी जांच में भी

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देश कोरोना के खिलाफ जंग में व्यस्त है. इस बीच दिल्ली पुलिस भी व्यस्त है सिर्फ लॉकडाउन में नहीं, एक बड़ी जांच में भी. दरअसल, दिल्ली पुलिस जांच नहीं कर रही है, बल्कि कुछ निष्कर्ष हैं जिसे गृहमंत्री अमित शाह पहले ही संसद में पेश कर चुके हैं, उन्हें पुष्ट करने के लिए सबूत ढूंढ रही है.

मौजूदा वक्त में दिल्ली दंगों को लेकर FIR दाखिल हो रहे हैं, गिरफ्तारियां हो रही हैं. लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही, जिन्होंने खुलकर पब्लिक में भड़काते हुए बयान दिया. कपिल मिश्रा के खिलाफ, अनुराग ठाकुर के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है. जो खबर आ रही थी कि यूपी से ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में भर-भरकर गुंडे दिल्ली दंगों के लिए लाए जा रहे हैं, उनपर कार्रवाई नहीं हो रही है.

कार्रवाई सिर्फ उनके खिलाफ हो रही है जो एक्टिविस्ट एंटी-CAA प्रोटेस्ट में शामिल थे, उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज हो रहे हैं, उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है. पब्लिक का इसकी तरफ ध्यान नहीं है लेकिन एक बड़ा खेल हो रहा है.

आखिर ये खेल क्या है?

इसके पीछे का खेल ये है कि उन लोगों को दंगों का जिम्मेदार ठहराया जाए जो सीएए के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन कर रहे थे, मतलब एक तीर से दो शिकार. गृहमंत्री संसद में कह चुके हैं कि दंगों के लिए पीएफआई और यूनाइटेड अगेंस्ट हेट नाम के दो संगठन जिम्मेदार हैं. पीएफआई वालों को मैं नहीं जानता लेकिन यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के साथ तो मैंने काम किया है. खालिद सैफी जिसने मेरी आंख के सामने एक बार नहीं कई बार लोगों को छोटी से छोटी भड़काने वाली हरकत करने से रोका, उसे आज दिल्ली दंगों का मुख्य आरोपी बनाकर जेल में डाला गया है.

उमर खालिद को जहां तक मैं जानता हूं, इतना संजीदा-समझदार है वो, ऐसे युवाओं की तो आज देश को जरूरत है. उसे दंगे के मास्टरमाइंड के तौर पर पेश किया जा रहा है. सफूरा जरगर को मैं नहीं जानता, उन्हें भी गिरफ्तार किया गया है. वो गर्भवती हैं कोर्ट ने इस आधार पर उन्हें बेल दे दी लेकिन रिहा होने से पहले ही उसे एक दूसरे मामले में गिरफ्तार किया गया.

सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं है ये खेल

हर रोज खबर आती है जांच का दायरा बढ़ जा रहा है. नए-नए लोग गिरफ्तार हो रहे हैं, नए-नए संगठनों का नाम आ रहा है, दो के अलावा अब जामिया एक्शन कमेटी है, पिंजरा तोड़, AISA ये सब स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन है. ये खेल सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं है, यूपी में डॉक्टर कफील खान आज भी एंटी-टेररिस्ट लॉ के तहत गिरफ्तार हैं. उस भाषण के लिए जो मेरे आंख के सामने दी गई, उस स्पीच में ऐसा कुछ भी नहीं था.

अखिल गोगोई CAA के विरुद्ध आंदोलन का असम में नेतृत्व कर रहे थे. अभी भी जेल में हैं, एक मुकदमे में जमानत मिलती है जेल से कदम निकलते ही दूसरे मुकदमे में फिर गिरफ्तार कर लेते हैं.

आप समझिए आखिर ये हो क्या रहा है, कोरोना वायरस के आड़ में कहीं हमें दूसरा इंजेक्शन तो नहीं दिया जा रहा. ये साजिश की जांच है या जांच की साजिश है?

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