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"हम पाकिस्तानी नहीं", नैनीताल में मुस्लिम फेरीवालों से मारपीट, क्या बोली पुलिस?

फेरीवाले मूलरूप से यूपी के मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं और पिछले 15 सालों से उत्तराखंड में कारोबार कर रहे हैं.

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"हम कोई पाकिस्तानी थोड़े न हैं. हिंदुस्तान आजाद है, कोई कहीं भी जाकर नौकरी कर सकता है. उत्तराखंड के लोग यूपी में नहीं आते हैं काम करने के लिए? लोग दिल्ली, नोएडा भी जाते हैं. इसका मतलब ये नहीं है कि मारपीट की जाए."

मोहम्मद वसीम पिछले 15 सालों से उत्तराखंड में कालीन और तिरपाल बेचने का काम कर रहे हैं. मंगलवार, 17 जून को रोजाना की तरह ही वे अपने भाई फरदीन के साथ फेरी लगाने के लिए निकले थे. नैनीताल जिले के मुक्तेश्वर में उन्हें कथित तौर पर कुछ लोगों ने रोका और उनके साथ मारपीट की. वसीम का आरोप है कि उनकी मुस्लिम पहचान की वजह से उनके साथ मारपीट की गई है.

वे कहते हैं, "अगर कोई आपत्ति थी भी तो बात करनी चाहिए थी. समझाना चाहिए था. हम चुपचाप चले जाते. ऐसे जानलेवा हमला करने का क्या मकसद है."

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"धार्मिक पहचान की वजह से हुई मारपीट"

क्विंट हिंदी से बातचीत में वसीम बताते हैं, "हम नैनीताल जिले में थे. मुक्तेश्वर थाना इलाके में धानाचूली में फेरी लगाने गए थे. हमारे पास पुलिस वैरिफिकेशन और आधार कार्ड थे. गांव के एक शख्स ने हमारे डॉक्यूमेंट चेक किए और चेक करने के बाद फाड़ दिए. उन लोगों ने मुझे मुसलमान बताकर मेरे साथ बदतमीजी की और मेरा सामान छीन लिया."

"इसके बाद मैं अपनी गाड़ी लेकर भागने लगा तो उन लोगों ने फोन करके आगे रोड ब्लॉक करवा दिया. फिर मुझे गाड़ी से बाहर निकाला और धारदार हथियार से मेरे सिर वार किया. मेरे कंधे पर पैरों पर भी वार किया. उन लोगों ने मेरी पूरी गाड़ी भी तोड़ दी है."

"मुसलमानों का यहां आना मना"

वसीम के भाई फरदीन बताते हैं, "एक शख्स ने (ग्रामीण) मुझसे बोला कि बाहर लगा बोर्ड नहीं पढ़ा. मैंने कहा कि बोर्ड तो नहीं पढ़ा. फिर उसने मेरा नाम पूछा और नाम बताने के बाद धार्मिक टिप्पणी करते हुए गाली देने लगा. फिर वो दरांती लेकर लाया और ताबड़तोड़ वार शुरू दिया."

वसीम कहते हैं कि उनसे लोगों ने मुझसे कहा कि "तुम मुसलमान हो. तुम्हारा यहां आना मना है. हमने एक बोर्ड लगा रखा है जिसमें साफ लिखा है कि बाहरी और मुसलमानों का यहां शख्त आना मना है."

"वे लोग मुझे मारने वाले थे"

वसीम बताते हैं कि वे लोगों से उन्हें छोड़ने की गुहार लगाते रहे, लेकिन वे लोग नहीं माने और उनके साथ मारपीट करते रहे. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें जबरन कुत्ते का पट्टा भी पहनाया गया था. बाद में मौके पर मौजदू बुजुर्गों ने उन्हें बचाया.

"उन लोगों ने मुझे कुत्ते का पट्टा पहनाया और घुटनों के बल बैठा दिया. वे लोग मेरा मर्डर करने वाले थे. मैंने उन लोगों के सामने हाथ-पैर जोड़े और अपने छोटे-छोटे बच्चों का वास्ता दिया. वहां मौजूद बुजुर्गों ने फिर मुझे छुड़वाया. इसके बाद मैं अपनी जान बचाकर वहां से भागा."

जबकि फरदीन ने किसी तरह वहां से भागकर अपनी जान बचाई, "मैं अपनी जान बचाकर वहां से जंगल की ओर भाग गया." इसके बाद वे लिफ्ट लेकर हल्द्वानी पहुंचे, जहां दोबारा उनकी भाई से मुलाकात हुई.

अपनी जान का खतरा बताते हुए वसीम कहते हैं, "ये हिंदू-मुस्लिम वाला भेदभाव है और कोई बात नहीं है. हमारे पास सारे डॉक्यूमेंट्स हैं."

मूल रूप से यूपी के मुजफ्फरनगर के रहने वाले वसीम के पिता का कुछ दिनों पहले निधन हो गया था. उनकी पत्नी गर्भवती हैं और उनके दो छोटे-छोटे बच्चे हैं. परिवार की जिम्मेदारी उनके ही कंधों पर है. "मैं 15 सालों से उत्तराखंड में रह रहा हूं. मेरी बेटी भी यहीं पढ़ती है. मैं परिवार के साथ चार साल मसूरी में रहकर आया हूं."

बनभूलपुरा थाने में दर्ज हुई जीरो FIR

हल्द्वानी पहुंचकर वसीम ने बनभूलपुरा थाने में तहरीर दी है, जिसके आधार पर जीरो एफआईआर दर्ज की गई. तहरीर के मुताबिक, "सुबह करीब 10:45 बजे मुक्तेश्वर के कालापातल चौक पर एक अज्ञात शख्स ने उनकी गाड़ी को रुकवाया और गाली-गलौज करते हुए उन्हें अपने साथियों के पास लेकर गया. जहां उन लोगों ने उनपर लाठी-डंडों और धारदार हथियार से हमला किया."

शिकायतकर्ता ने गाड़ी में तोड़फोड़ के साथ ही कालीन-तिरपाल और 5 हजार लुटने का भी आरोप लगाया है.

भवाली सीओ ने बताया कि "दो फेरीवालों का स्थानीय लोगों से कुछ विवाद हुआ था, जिसके बाद लड़ाई-झगड़ा हुआ. फेरीवालों ने हल्द्वानी जाकर बनभूलपुरा थाने में प्रार्थना पत्र दिया, जिस पर जीरो एफआईआर दर्ज कर थाना मुक्तेश्वर को ट्रांसफर किया गया है."

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि मामला पुलिस की जानकारी में है. फेरीवालों का मेडिकल करवाया गया है और मामले की जांच की जा रही है.

मुक्तेश्वर थाने में BNS की धारा 115, 309(4), 324(2), 324(6), 351(2) और 352 के तहत मामला दर्ज किया है.

सामान के रेट को लेकर हुई मारपीट- पुलिस

क्विंट हिंदी से बातचीत में मुक्तेश्वर थाने के SHO जगदीप सिंह नेगी ने बताया कि "स्थानीय लोगों से हमारी बात हुई थी. उन लोगों ने बताया कि इनकी (शिकायकर्ताओं) सामान के रेट को लेकर हॉट-टॉक हुई थी. इसी में मारपीट हुई थी. बाद में इस पूरे घटनाक्रम को सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है."

वसीम बताते हैं कि उनके साथ मारपीट करने वाले लोग गांव के ही हैं और आरएसएस से जुड़े हैं. उनका कहना है कि इससे पहले भी उन्हें नैनीताल जिले में ही रोका गया था और उनकी वीडियो बनाकर फेसबुक पर शेयर की गई थी. रोकने वाले ने पुलिस को भी बुलाया था.

खुद को राष्ट्रीय सेवा संघ का जिला अध्यक्ष बताने वाले भारतेंदु पाठक नाम के शख्स के फेसबुक अकाउंट से 16 अप्रैल को वीडिया शेयर किया गया था. वीडियो में देखा जा सकता है कि उत्तराखंड नंबर की गाड़ी है और एक व्यक्ति दो युवकों को रोके हुए है. मौके पर एक पुलिसकर्मी भी मौजूद हैं और वे इन युवकों के डॉक्यूमेंट्स और आधार कार्ड चेक कर रहे हैं.

हालांकि इस बारे में SHO नेगी ने कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है.

(इनपुट- अबुबकर मकरानी)

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