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कांवड़ यात्रा और सरकारी आदेश.. UP के इस शहर में मुस्लिम अपने ढाबे क्यों कर रहे बंद?

मुजफ्फरनगर प्रशासन ने कांवड़ यात्रा के पहले आदेश दिया है कि सभी होटल-ढाबों का नाम साफ व बड़े शब्दों में लिखा जायेगा. साथ ही मालिक का नाम भी लिखना होगा.

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"मैं मुसलमान हूं तो मुझे काम करने का कोई हक ही नहीं. मेरे न्यू गणपति टूरिस्ट ढाबे पर शुद्ध शाकाहारी खाना मिलता था, वो भी बिना प्याज-लहसून. पार्टनर से लेकर सारे स्टाफ हिंदू थे. लेकिन 8 महीने से उसे बंद करना पड़ा."

यह कहना है 44 वर्षीय वसीम अहमद का. उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar, UP) जिले में वो 8 साल से अपना ढाबा चलाते थे. लेकिन पिछले साल कांवड़ यात्रा के दौरान यहां शुरू विवाद ने उनकी जिंदगी एकदम बदल दी. अब वो एक मंडी में 11 हजार की नौकरी करते हैं.

कांवड़ यात्रा की शुरूआत से पहले मुजफ्फरनगर जिला एक बार फिर सरगर्म है. प्रशासन ने आदेश जारी कर दिया है कि कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाली सभी मीट-अंडे और शराब की दुकानें बंद रहेंगी. साथ ही सभी दुकानों, होटल, ढाबों आदि पर नाम साफ व बड़े शब्दों में लिखा जायेगा.

वहीं दूसरी तरफ यहां कई ऐसे होटल या ढाबे बंद हो चुके हैं जिनके या तो मालिक मुस्लिम हैं या उनके पार्टनर. उनका कहना है कि वो अपने दुकानों को बंद करने या किसी हिंदू को देने को मजबूर हैं और ऐसा पिछले साल से शुरू हुए विवाद और प्रशासन के कारण है.

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प्रशासन ने होटल मालिकों को क्या आदेश दिया है?

पिछले साल यानी 2023 में मुजफ्फरनगर जिले में कांवड़ यात्रा के दौरान इसके यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले सभी मुसलमान मालिकों के सभी होटल और कथित तौर पर बंद करा दिए गए थे. इनमें वे शाकाहारी होटल भी शामिल थे जहां खाने में प्याज-लहसून भी नहीं डाला जाता था.

इन दाबे के मालिकों का आरोप है कि पिछले साल उनके होटल और ढाबों को करीब 15 दिन बंद रखा गया. वहीं मुजफ्फरनगर में मुसलमानों के शाकाहारी ढाबों के खिलाफ पिछले साल से स्वामी यशवीर ने अभियान चला रखा है. संत होने का दावा करने वाले स्वामी यशवीर का दावा है, “कई मुसलमानों के ऐसे होटल हैं, जो हिंदूओं और हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर हैं. यात्रा के दौरान हिंदू नाम और फोटो देखकर इन होटलों पर खाना खाते हैं.”

इसबार भी प्रशासन ने 22 जुलाई से शुरू होने जा रही कांवड़ यात्रा से पहले अपने आदेश जारी कर दिए हैं.

  • कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाली सभी मीट व अंडे की दुकान बंद रहेंगी.

  • कांवड़ मार्ग पर पडंने वाली सभी दुकानों, होटल, ढाबों आदि पर नाम साफ व बड़े अक्षरों में लिखा जायेगा.

मुजफ्फरनगर के प्रभारी जिला सूचना अधिकारी अनमोल त्यागी ने क्विंट हिंदी से बातचीत में कहा कि बोर्ड पर होटल-ढाबों के नाम के साथ-साथ उसके मालिक का नाम भी लिखा होना चाहिए.

सिटी मजिस्ट्रेट मुजफ्फरनगर विकास कश्यप ने भी क्विंट हिंदी से बात करते हुए कहा कि ढाबे के मालिक और मैनेजर का नाम भी स्पष्ट रूप से लिखना होगा, भले ही उसका बोर्ड अलग हो.

हालांकि कांवड़ यात्रा की तैयारियों से जुड़ी मीटिंग में शामिल हुए यूपी सरकार में मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने पुलिस को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि कोई भी मुस्लिम मालिक अपने होटल या ढाबे का नाम हिंदू देवी-देवताओं पर न रखे.

क्या दूसरे समुदाय के लोग अपने दुकानों/ढाबों का नाम हिंदू देवी-देवताओं पर नहीं रख सकते या इस संबंध में कोई पाबंदी लगाई गई है? इस सवाल पर सिटी मजिस्ट्रेट मुजफ्फरनगर ने कहा कि ऐसे तो कोई पाबंदी नहीं है लेकिन ना रखे तो अच्छा ही है.

"मेरे मुसलमान होने की वजह से मेरा होटल बंद करा दिया गया"

कांवड़ यात्रा के मुख्य मार्ग NH-58 पर आदिल राठौर ‘वेलकम टू पिकनिक पॉइंट टूरिस्ट ढाबा’ चलाते थे. लेकिन अब उन्होंने ढाबा बंद कर दिया है. इसकी वजह बताते हुए आदिल कहते हैं, "पिछले साल मुझे बहुत नुकसान हो गया. पिछले साल मुझे घर से कर्जा लेना पड़ा है. पिछली साल जब मेरा ढाबा बंद कराया गया तो फिर मैंने हमेशा के लिए इसे बंद कर दिया.

"मेरे मुसलमान होने की वजह से मेरा होटल बंद करा दिया गया था. मैंने दुकान किराए पर ले रखा था. पहले वाले दुकान मालिक ने ढाबे का नाम ‘ओम शिव वैष्णो’ ढाबा रखा था. मैंने उसका नाम बदल दिया. मुझे कम से कम डेढ़ लाख रुपए का नुकसान हुआ. हम तो खाने में प्याज-लहसुन भी नहीं डालते थे. फिर मैंने ढाबा बंद कर दिया. अब मैं घर पर रहकर खेती कर रहा हूं."

आदिल राठौर का कहना है कि उन्होंने 12 सालों तक शुद्ध शाकाहारी ढाबा चलाया है. इससे पहले उनका बिजनौर रोड पर ढाबा था.

NH-58 पर बागों वाली चौराहा पर पिछले साल तक पंजाबी न्यू स्टार शुद्ध ढाबा है. इसको सोनू पाल और सादिक त्यागी पार्टनरशिप में चलाते हैं. सोनू पाल का कहना है कि पुलिसकर्मियों ने आकर उनसे कहा है कि अपने ढाबे पर उसके नाम के साथ-साथ मालिकों का नाम भी लिखना है.

सोनू पाल बताते हैं कि पिछले साल प्रशासन ने उनके ढाबे को कांवड़ यात्रा के दौरान बंद करा दिया था.

"मेरा वेज ढाबा है. सिर्फ हिंदू स्टाफ है लेकिन पिछले साल कांवड़ यात्रा में पुलिसवालों ने आकर हमारा ढाबा बंद करा दिया था. मुझे 3 लाख रुपए का नुकसान हुआ. सादिक त्यागी (पार्टनर) हमारे पुराने दोस्त हैं."

हालांकि सिटी मजिस्ट्रेट मुजफ्फरनगर ऐसे किसी भी आरोप से इंकार करते हैं. उनका दावा है कि पिछले साल केवल मांसाहारी ढाबों को ही बंद कराया गया था, चाहे वो किसी भी समुदाय से जुड़ें हों.

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वसीम अहमद ‘न्यू गणपति टूरिस्ट ढाबा नंबर-1’ चलाते थे. वो बतौर मैनेजर इस ढाबे पर काम करते थे. वसीम अहमद ने क्विंट हिंदी से बात करते हुए बताया कि उन्होंने 8 महीने पहले इसे बंद कर दिया और एक हिंदू को दे दी. इसके पीछे की वजह बताए हुए वसीम कहते हैं, "वजह रही हिंदू-मुसलमान. मैं मुसलमान हूं तो मुझे काम करने का कोई अधिकार नहीं है."

"हमने सोचा कहीं और मेहनत-मजदूरी कर लेंगे. मैंने 8 साल शुद्ध शाकाहारी दुकान चलाया है. पूरा स्टाफ हिंदू था. मेरा पार्टनर भी हिंदू था. तब ढाबे से ₹30-40 हजार हर महीने कमा लेता था लेकिन अब एक मंडी में ₹11 हजार पर काम कर रहा हूं. हमारी कोई सुनने को तैयार नहीं होता. हम किससे बहस करें और किससे अपना दुख कहें. आखिर कोई खाने में क्यों थूकेगा या पेशाब करेगा. हम भी खाना खाते हैं. कोई नापाक और घटिया इंसान ही ऐसा करेगा."

दरअसल मुस्लिम दुकानदारों के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले स्वामी यशवीर ने आरोप लगया है कि “ये लोग खाने में थूक रहे हैं और मूत्र भी कर रहे हैं.”

इसी तरह हाईवे पर चलने वाला चंडीगढ़ दा ढाबा भी बंद हो चुका है. यहां अफसर अली मैनेजर थे. ढाबा बंद करने के पीछे की वजह बताते हुए अफसर अली स्वामी यशवीर का नाम लेते हैं. उन्होंने कहा, "स्वामी यशवीर ने हम पर कई तरह के आरोप लगा दिए. कहा कि हम खाने में थूक देते होंगे या पेशाब कर देते होंगे. जबकि भले ही काउंटर पर बैठा इंसान मुस्लिम था लेकिन हमारा पूरा स्टाफ हिंदू ही था."

"हमारा ढाबा शुद्ध शाकाहारी था. उसका नाम भी चंडीगढ़ शहर पर था. पिछले साल कांवड़ यात्रा के समय पुलिस पर दबाव डाला गया और फिर पुलिस ने आकर हमें कहा कि 15-20 दिन के लिए ढाबा बंद कर लो. हमें बंद से भी दिक्कत नहीं थी लेकिन जो मीडिया ट्रायल चला उससे ढाबे का इमेज खराब हो गया. समाज में गलत संदेश चला गया."
अफसर अली

यानी एक तरफ प्रशासन समुदाय के आधार पर किसी भी कार्रवाई से इंकार कर रहा है वहीं जिले के कई मुस्लिम ढाबा मालिकों का आरोप ठीक उलट है.

(इनपुट- अमित सैनी)

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