दुनिया की सबसे बड़ी और मशहूर जहाज टाइटैनिक (Titanic) के मलबे को अटलांटिक महासागर में देखने गई पनडुब्बी 'टाइटन' गायब हो गई. कई दिनों के सर्च ऑपरेशन के बाद अमेरिकन कोस्ट गार्ड ने इस बात पर मुहर लगा दी है कि समंदर में पनडुब्बी के मलबे मिले हैं और उस पर सवार पांचों लोगों की मौत हो गई है.
आइए जानते हैं कि जिस टाइटैनिक जहाज का मलबा देखने के 'टाइटन' पनडुब्बी गई थी, उसके साथ कैसे हादसा हुआ था. टाइटैनिक कितनी बड़ी थी और यह दो टुकड़ों में टूट गई थी? टाइटैनिक जहाज कब बनाई गई थी और इसमें कितना खर्च आया था? क्या टाइटैनिक हादसे में जान गंवाने वालों की लाशें मिल पाई थीं?
कब और कैसे हुआ था टाइटैनिक जहाज के साथ हादसा?
टाइटैनिक ब्रिटिश यात्रियों से भरी एक जहाज थी, जो 15 अप्रैल 1912 को साउथेम्प्टन से न्यूयॉर्क शहर की अपनी पहली यात्रा पर जा रही थी. समंदर के रास्ते में बर्फ की चट्टानों से टकराने की वजह से ऐसा हादसा हुआ, जो सारी दुनिया के लिए एक बुरे ख्वाब जैसा था. हादसे के वक्त टाइटैनिक में करीब 2200 से ज्यादा लोग सवार थे.
टाइटैनिक के लिए दावा किया गया था कि यह कभी भी पानी में नहीं डूबेगी.
बर्फ की चट्टानों से टकराने के बाद टाइटैनिक का पीछे का हिस्सा डूबने लगा और कुछ ही देर में अंदर पानी भरने के बाद जहाज बीच से टूट गई. यह हादसा इतना भयानक था कि सोचकर रूह कांप जाती है. लोग माचिस की डिब्बी की तरह जहाज से पानी में गिर रहे थे. हादसे के बाद समंदर (उत्तरी अटलांटिक महासागर) के अंदर जहाज बहुत कम वक्त में डूब गई थी.
टाइटैनिक दो टुकड़ों में टूट गई थी?
Reader's Digest की रिपोर्ट के मुताबिक 1 सितंबर, 1985 को समुद्र विज्ञानी रॉबर्ट बैलार्ड ने समुद्र की सतह से 2.5 मील नीचे मलबे की खोज की, जिसको बाद यह पता चला कि जहाज डूबने से पहले जहाज दो हिस्सों में टूट गई थी. पहले ये कहा गया कि जहाज न्यूफाउंडलैंड के करीब बर्फीले पानी में लापरवाही और तेज गति से चलते हुए हिमखंड से टकराने के बाद पानी में समा गई थी.
रिसर्च में ये सामने आया कि जहाज के दो टुकड़ों में टूटने की वजह डिजाइन की खामियों और बनाने वाले लोगों के द्वारा अच्छी क्वालिटी की चीजें इस्तेमाल में न लाना थी.
दुनिया की सबसे बड़ी जहाज टाइटैनिक कितनी बड़ी थी?
अप्रैल 1912 में जब टाइटैनिक जहाज लॉन्च की गई थी, तो इसे दुनिया का सबसे बड़ा जहाज माना गया था. इसकी लंबाई 882 फीट, चौड़ाई 92 फीट थी और वजन 46,000 टन से ज्यादा था.
टाइटैनिक जहाज कब बनी और इसमें कितना खर्च आया था?
ब्रिटेन की White Star Line कंपनी के द्वारा बनाई गई टाइटैनिक जहाज 1909 में आयरलैंड के बेलफास्ट में हार्लैंड और वोल्फ शिपयार्ड में बनाई गई थी. इसको बनाने में तीन साल का वक्त लगा था. इसको बनाने में उस समय 7.5 मिलियन डॉलर यानी 61 करोड़ रूपए से ज्यादा का खर्च लगा था. इसको बनाने में करीब तीन हजार कारीगरों को लगाया गया था.
टाइटैनिक हादसे में कितने लोग मारे गए थे?
टाइटैनिक हादसे में मरने वालों की असल तादाद क्या थी, इसको बारे में आज तक नहीं पता चल सका है. Interesting Engineering की रिपोर्ट के मुताबिक जब टाइटैनिक सफर के लिए रवाना हुई थी तो उस पर करीब 2200 लोग सवार थे और इस हादसे में करीब 1500 लोग मारे गए थे.
हादसे में मारे गए लोगों में ज्यादा आंकड़ा पुरुषों का था. रिपोर्ट के मुताबिक मुताबिक थर्ड क्लास में सफर कर रहे लगभग 80% पुरुष यात्रियों की मौत हुई थी फर्स्ट क्लास में सफर करने वालों में केवल 14% पुरुष यात्रियों की मौत दर्ज की गई थी.
इसी तरह फर्स्ट क्लास में सफर करने वाली लगभग 3% महिलाओं की मौत हुई, जबकि थर्ड क्लास की करीब 50% महिलाओं की मौत हुई थी.
क्या टाइटैनिक हादसे में जान गंवाने वालों की लाशें मिल पाई थीं?
टाइटैनिक हादसे के बाद जहाज बहुत कम वक्त में उत्तरी अटलांटिक महासागर में डूब गई थी. ऐसे में जान गंवाने वाले लोगों की लाशों का मिल पाना बहुत मुश्किल साबित हुआ था. समंदर गहराई करीब 12 हजार 500 फीट यानी 3800 मीटर है.
रिपोर्ट के मुताबिक हादसे के बाद कुछ लाशों को बरामद किया गया था.
हादसे के कई सालों बाद मलबे वाली जगह पर कई अभियान चलाए गए, जिसमें टाइटैनिक यात्रियों और चालक दल के सदस्यों के अवशेष पाए गए. पहला शव 1985 में मलबे की पहली क्रू खोज के दौरान मिला था.
इसके बाद कई सर्च ऑपरेशन चलाए गए. रेस्क्यू ऑपरेश में लगाई गई जहाजों जैसे कार्पेथिया और मैके-बेनेट द्वारा कई शव बरामद किए गए, जिन्हें घटनास्थल पर भेजा गया था. शवों को पहचान और दफनाने या उनके परिवारों तक ले जाने की तैयारी के लिए विभिन्न बंदरगाहों तक ले जाया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक कैप्टन सहित ज्यादातर लाशें नही मिल सकीं.
कौन सी गलती हुई, जिससे लापता हो गई मलबा देखने गई पनडुब्बी?
BBC की रिपोर्ट के मुताबिक OceanGate के टाइटन सबमर्सिबल की सुरक्षा पर चेतावनियों को कंपनी के सीईओ ने कई बार खारिज कर दिया था. उनके और एक्सपर्ट के बीच मेल पर कुछ बातचीत हुई थी.
रिपोर्ट के मुताबिक रॉब मैक्कलम ने ओशनगेट के सीईओ स्टॉकटन रश को बताया कि वह संभावित रूप से अपने क्लाइंट्स को जोखिम में डाल रहे हैं और उनसे गुजारिश की थी कि जब तक इसे एक इंडिपेंडेंट बॉडी के द्वारा देख नहीं लिया जाता, इसका प्रयोग ना करना ठीक नहीं है.
मैक्कलम ने बीबीसी को बताया कि उन्होंने कंपनी से बार-बार गुजारिश की थी कि व्यावसायिक पर्यटन के लिए टाइटन का उपयोग करने से पहले इसके लिए प्रमाणन प्राप्त किया जाए. जहाज को कभी भी प्रमाणित नहीं किया गया था.