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कोलंबिया यूनिवर्सिटी में 108 गिरफ्तार: फिलिस्तीन, इजरायल, बोलने की आजादी का क्या कनेक्शन

Columbia: कोलंबिया यूनिवर्सिटी के सस्पेंडेड छात्रों में हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में मिनेसोटा राज्य के प्रतिनिधि की बेटी भी शामिल है.

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Columbia University Protest: 18 अप्रैल को कोलंबिया यूनिवर्सिटी से फिलिस्तीन के समर्थन में कैम्प लगाकर प्रोटेस्ट करने के लिए करीब 108 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. इस प्रोटेस्ट को स्टूडेंट्स ने 'Gaza Solidarity Encampment' नाम दिया है. छात्रों पर यह कार्रवाई यूनिवर्सिटी प्रेसिडेंट के जरिए न्यूयॉर्क पुलिस डिपार्टमेंट (NYPD) को लिखे गये एक खत के बाद हुई.

यूनिवर्सिटी प्रेसिडेंट मिनूश शफीक ने अपने लेटर में लिखा कि 17 अप्रैल की सुबह से कोलंबिया यूनिवर्सिटी के एक लॉन में कुछ स्टूडेंट्स कैम्प लगा कर प्रदर्शन कर रहे हैं. इस तरह का प्रदर्शन यूनिवर्सिटी के रूल एंड रेगुलेशन के खिलाफ है, इन स्टूडेंट्स को यहां से हटाया जाना चाहिए. जिसके बाद न्यूयॉर्क पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंट्स को अरेस्ट कर लिया. हालांकि कोलंबिया यूनिवर्सिटी के छात्रों ने अब गिरफ्तार छात्रों के समर्थन में प्रदर्शन शुरू कर दिया.

कैसे शुरू हुआ प्रोटेस्ट?

ऐसा नहीं है कि कोलंबिया यूनिवर्सिटी में फिलिस्तीन के समर्थन में इससे पहले प्रोटेस्ट ना हुए हों लेकिन ये पहली बार है जब प्रोटेस्ट यूनिवर्सिटी कैंपस के अंदर कैम्प लगाकर किया गया हो.

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव की हियरिंग के बाद से ही कोलंबिया यूनिवर्सिटी में छात्रों ने रातों रात कैम्प लगा कर विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था. उन्होंने अपने इस प्रदर्शन को 'Gaza Solidarity Encampment' (गाजा एकजुटता शिविर) नाम दिया.

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव की सुनवाई में हुआ क्या था?

कोलंबिया यूनिवर्सिटी की प्रेसिडेंट को हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में यहूदी विरोधी गतिविधियों को लेकर बुलाया गया. अल जजीरा की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रेसिडेंट ने वहां वादा किया कि वो यहूदी विरोधी गतिविधियों के खिलाफ कड़ा एक्शन लेंगी. इसके साथ ही इस हियरिंग में उन प्रोफेसर्स की भी बात हुई जिन्होंने किसी भी तरह से हमास को समर्थन देने की बात की थी.

कोलंबिया यूनिवर्सिटी में विजिटिंग प्रोफेसर मोहम्मद अब्दु के एक पोस्ट को लेकर उन पर यूनिवर्सिटी कार्यवाई कर चुकी है. हियरिंग के दौरान प्रेसिडेंट शफीक ने बताया की अब से वो कभी भी कोलंबिया यूनिवर्सिटी का हिस्सा नहीं बन पायेंगे. उन्हें वहां से निष्कासित किया जा चुका है. वहीं दो अन्य प्रोफेसर कैथरिन फ्रैंक और जोशेफ मस्साद के मामले में अभी इन्वेस्टीगेशन चल रही है. मस्साद को यूनिवर्सिटी के अंदर हर तरह की लीडरशिप पोस्ट से हटाया जा चुका है.

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सस्पेंडेड छात्रों में शामिल हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव की बेटी 

जिस हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी की प्रेसिडेंट को तलब किया था उसी में मिनेसोटा राज्य ली प्रतिनिधि इल्हान अब्दुल्लाही ओमर की बेटी भी शामिल है. एक तरफ जब ओमर और अन्य लोग प्रेसिडेंट से यहूदी विरोधी गतिविधियों के बारे में पूछताछ कर रहे थे तो दूसरी तरफ उनकी बेटी इसरा हिरसी इस प्रोटेस्ट का हिस्सा बन रही थी.

अब गिरफ्तार छात्रों के समर्थन में प्रदर्शन

क्विंट के सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तारी के बाद से ही यूनिवर्सिटी के कुछ अन्य छात्रों में भी रोष पनपने लगा है. इसके चलते अब उन्होंने प्रदर्शन शुरू कर दिया था. शुरुआती घटनाक्रम की बात करें तो कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने प्रदर्शन शुरू होने के बाद से कई छात्रों को सस्पेंड कर दिया. कई ऐसे छात्र हैं जिन्हें इस बार की सेमेस्टर की परीक्षा देने का मौका भी नहीं मिलेगा. इन छात्रों के आईडी कार्ड भी जल्द ही काम करना बंद कर देंगे.

इसके अलावा इस प्रोटेस्ट में शामिल छात्रों को उनके हॉस्टल खाली करने के नोटिस दिए जा चुके हैं. इन सबके बावजूद छात्रों को जब छात्रों को हिरासत में ले लिया गया तो बाकी छात्र, जो अब तक इस प्रदर्शन का हिस्सा नहीं थे. वो यूनिर्सिटी के लॉन में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

लेटर में क्या कहा गया?

NYPD को लिखे लेटर में कोलंबिया यूनिवर्सिटी की प्रेसिडेंट मिनूश शफीक (असल नाम नेमत शफीक) ने कैंपस के अंदर कैम्प लगाकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों को कैंपस से हटाने के लिए पुलिस से मदद मांगी. इस लेटर में कहा गया कि प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंट्स को कई बार लिखित में बताया जा चुका है कि जिस जगह वो प्रोटेस्ट कर रहे हैं उसके लिए उन्हें अनुमति नहीं है, उनका ऐसा करना यूनिवर्सिटी के नियमों के खिलाफ है. इसके बाद भी स्टूडेंट वहां से नहीं हटे.

लेटर में आगे लिखा गया कि जो भी छात्र वहां प्रदर्शन में शामिल हैं, उन्हें बताया जा चुका है कि वो सस्पेंड हो चुके हैं. ऐसे में अब वो यूनिवर्सिटी के ऑथराइज्ड स्टूडेंट भी नहीं हैं. लेटर में इन गतिविधियों को सुरक्षा के लिए खतरा करार दिया गया.

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क्या है छात्रों की मांग 

प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने अपनी कई मांगे यूनिवर्सिटी प्रशासन के आगे रखीं हैं.

  • यूनिवर्सिटी उन कंपनियों में सभी तरह के इन्वेस्ट खत्म करें जिनका इजरायल से किसी भी तरह का कोई लेना देना है.

  • जो छात्र अभी तक पुलिस की कैद में हैं उन्हें रिहा किया जाये.

  • यूनिवर्सिटी ने कई स्टूडेंट्स सस्पेंड किए हैं उन्हें फिर से बहाल किया जाये

इस बीच यूनिवर्सिटी ने भी बहुत से प्रतिबन्ध लगा दिए हैं

  • यूनिवर्सिटी में सिर्फ आइडेंटिटी कार्ड के साथ स्टूडेंट्स की एंट्री हो रही है

  • मीडिया को कैंपस में जाने के लिए भी इजाजत लेनी पड़ रही है

प्रदर्शन में शामिल छात्र कौन हैं?

कोलंबिया यूनिवर्सिटी में डाटा जर्नलिज्म के स्टूडेंट और द क्विंट में डिप्टी एडिटर रहे मेघनाद बोस से जब हमने सवाल किया कि प्रोटेस्ट में शामिल छात्र विदेशी हैं या USA के ही हैं ,और क्या छात्रों के धर्म का असर भी इस प्रोटेस्ट में पड़ रहा है? इस पर उन्होंने बताया कि हर तरह के छात्र इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हैं.

''प्रदर्शन में इंटरनेशनल छात्रों के साथ ही USA के छात्र भी शामिल हैं. साथ ही साथ अलग-अलग धर्मों के छात्र भी इसका हिस्सा हैं.''

क्या इजराइल के समर्थन में भी कोई ग्रुप है ? 

दुनिया भर के तमाम ऐसे कॉलेज हैं जहां फिलिस्तीन के समर्थन वाले स्टूडेंट ग्रुप्स को सरकार ने प्रदर्शन करने से रोका है. ऐसे में कोलंबिया में भी क्या इजराइल के समर्थन वाले ग्रुप भी ऐक्टिव हैं?

मेघनाद बोस बताते हैं कि यूनिवर्सिटी में इजराइल समर्थक ग्रुप भी ऐक्टिव हैं जिसे की SSI कोलंबिया (Students Supporting Israel at Columbia University). ये ग्रुप बुधवार से फिलिस्तीन के समर्थन में चल रहे इस प्रोटेस्ट की खासी आलोचना कर रहे हैं.

न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट बताती है कि पिछले साल अक्टूबर में कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने अपना एक बड़ा फन्ड रेजिंग इवेंट कैंसिल कर दिया था इसकी वजह भी इजराइल और हमास युद्ध की वजह से कैंपस में चल रहे विरोध प्रदर्शन ही थे. उस समय इजराइल समर्थक और फिलिस्तीन समर्थक ग्रुप आमने सामने आ गये थे. तब कोलंबिया यूनिवर्सिटी की प्रेसिडेंट मिनूश शफीक ने कहा था कि वो दोनों ही पक्षों की फ्रीडम ऑफ स्पीच नहीं छीनेंगी.

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यूनिवर्सिटी फैकल्टी का क्या रुख है? 

अक्टूबर 2023 में छपी टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट बताती है कि यूनिवर्सिटी के करीब 100 से ज्यादा प्रोफेसर ऐसे हैं जिन्होंने उन छात्रों के समर्थन में एक लेटर साइन किया है जो फिलिस्तीन के इजराइल पर किए हमले के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे थे. इसके अलावा प्रोफेसर्स ने यूनिवर्सिटी द्वारा इजराइल के तेल अवीव में खोले गये सेंटर पर भी रोक की मांग की थी.

हमने ये जानने की कोशिश की है कि इस लेटेस्ट प्रोटेस्ट को लेकर यूनिवर्सिटी फैकल्टी का क्या रुख है? इसके जवाब में मेघनाद बोस ने हमें बताया कि मामला शायद 50-50 का है.

''कैंपस के किसी अन्य ग्रुप की तरह ही इस पूरे मामले पर यूनिवर्सिटी फैकल्टीज की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं हैं. कई प्रोफेसर्स ऐसे हैं जो प्रदर्शन कर रहे छात्रों के साथ हैं जबकि कई फैकल्टी मेम्बर ऐसे भी हैं जो इस प्रदर्शन के विरोध में हैं.''

कब तक जारी रह सकता है ये प्रोटेस्ट 

मेघनाद बोस ने हमें बताया कि बुधवार को सुबह 4 बजे से प्रोटेस्ट चल रहा है. 18 अप्रैल गुरुवार को पुलिस ने उन छात्रों को गिरफ्तार कर लिया जो 'गाजा सॉलिडेरिटी एन्कैंपमेंट' का हिस्सा थे. न्यूयॉर्क शहर के मेयर एरिक एडम्स के अनुसार, NYPD द्वारा 100 से अधिक छात्रों को गिरफ्तार किया गया. इतनी गिरफ्तारियों के बाद भी इस विरोध प्रदर्शन को खत्म नहीं किया जा सका. यह प्रदर्शन लगातार 100 घंटे से भी ज्यादा समय से जारी है.

ये कब तक खत्म होगा इसकी कोई पुख्ता जानकारी अभी नहीं मिल सकी है.

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किस तरह की परेशानियां सामने आ सकती हैं?

यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि इस प्रदर्शन के लिए यूनिवर्सिटी से परमिशन प्राप्त नहीं है. ये कोड ऑफ कंडक्ट के खिलाफ हैं.

जब हमने पूछा कि इस प्रदर्शन की वजह से किस तरह की एकेडमिक दिक्कतें सामने आ सकती हैं तो उन्होंने बताया,

यूनिवर्सिटी की कन्वोकेशन सेरेमनी 15 मई को होनी है. जिस लॉन में ये कैम्प प्रोटेस्ट चल रहा है, आमतौर पर वो कन्वोकेशन सेरेमनी के वेन्यू में शामिल होता है. इस वजह से आने वाले समय में ये जगह प्रदर्शनकारी छात्रों और यूनिवर्सिटी प्रशासन के बीच विवाद की एक वजह बन कर सामने आ सकती है.

और किन जगहों पर चल रहा है प्रोटेस्ट 

कोलंबिया स्पेक्टेटर की रिपोर्ट के अनुसार कोलंबिया यूनिवर्सिटी के गिरफ्तार छात्रों के समर्थन में येल यूनिवर्सिटी, हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना, यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न, ब्राउन यूनिवर्सिटी समेत दुनिया भर के कई विश्वविद्यालयों ने इस विरोध प्रदर्शन की तरह का ही प्रदर्शन कर इन छात्रों को अपना समर्थन दिया है.

अल जजीरा की एक रिपोर्ट बताती है कि इससे पहले जर्मनी में भी प्रो फिलिस्तीन प्रोटेस्ट पर काबू पाने के लिए सरकार ने 'फ्रॉम रिवर टू द सी जैसे नारों पर प्रतिबंध लगा दिया था.

अभी हाल ही में इंडिया में भी दिल्ली यूनिवर्सिटी ने फिलिस्तीनी कविताओं से जुड़े एक कार्यक्रम के लिए कमरा देने से इंकार कर दिया था. इस कार्यक्रम को हिन्दी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर अपूर्वानंद और उर्दू विभाग की प्रोफेसर अर्जुमन्द आरा ने ऑर्गनाइज करवाया था.

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