उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के संभल (Sambhal) में हिंसा के बाद जिंदगी पटरी पर लौटती दिख रही है. शहर के स्कूल खुल चुके हैं और बाजारों में भी चहल-पहल देखने को मिल रही है. आम जनजीवन सामान्य होता नजर रहा है. हालांकि, शहर में अभी भी पुलिस का पहरा है.
बात दें कि रविवार, 24 मई को शाही जामा मस्जिद (Sambhal Jama Masjid) की दोबारा सर्वे के दौरान हिंसा भड़क गई थी. पथराव, आगजनी और फायरिंग की घटना हुई. हिंसा में चार मुस्लिम युवकों की मौत हो गई. प्रशासन ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के हवाले से बताया कि युवकों की मौत देसी बंदूक की गोली लगने से हुई है. हालांकि, परिजनों का आरोप है कि युवकों की मौत पुलिस की फायरिंग से हुई है.
संभल हिंसा मामले में पुलिस ने अब तक 7 FIR दर्ज की है. 5 मुकदमे संभल कोतवाली और 2 मुकदमे थाना नखासा में दर्ज किए गए हैं. समाजवादी पार्टी नेता और संभल सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल के खिलाफ भी FIR हुई है.
पुलिस ने अब तक 27 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है. जिनमें 25 पुरुष और दो महिलाएं हैं. वहीं हिंसा में शामिल 100 लोगों की पहचान की गई है. पुलिस इनकी गिरफ्तारी की कोशिश में भी जुटी है.
संभल सांसद और विधायक के बेटे के खिलाफ FIR में क्या है?
क्विंट हिंदी के पास मौजूद FIR कॉपी में सांसद जियाउर्रहमान बर्क पर शुक्रवार, 22 नवंबर को जुमे की नमाज के बाद लोगों को भड़काने का आरोप है.
कोतवाली संभल में उपनिरीक्षक दीपक राठी ने ये FIR दर्ज करवाई है. इसमें सुहैल इकबाल का भी नाम है. इसके साथ ही 700-800 अज्ञात लोगों पर भी केस हुआ है.
FIR संख्या 335/24 में कहा गया है, "22 नवंबर को जियाउर्रहमान ने जामा मस्जिद में नमाज अदा करने के बाद बिना प्रशासनिक अनुमति के भीड़ जुटाई और भड़काऊ बयानबाजी की थी. उन्होंने राजनीतिक लाभ लेने के लिए सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए भीड़ को उग्र किया था."
वहीं सुहैल इकबाल पर रविवार, 24 नंबर को मस्जिद के सर्वे के दौरान लोगों को भड़काने का आरोप लगा है. FIR में कहा गया है, "सर्वे की कार्यवाही को बाधित करने के उद्देश्य से आई भीड़ में मौजूद सुहैल इकबाल और अन्य द्वारा भीड़ को यह कहकर उकसाया गया कि जियाउर्रहमान बर्क हमारे साथ हैं, हम लोग भी तुम्हारे साथ हैं, हम तुम्हारा कुछ नहीं होने देंगे, अपने मनसूबों को पूरा करो. इस पर भीड़ और अधिक उग्र हो गई."
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FIR की कॉपी
(क्विंट हिंदी द्वारा प्राप्त)
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पुलिस ने BNS की धारा 191 (2) [साधारण दंगा], 191 (3) [किसी गैर-कानूनी सभा में घातक हथियार के साथ हिंसा], 190 [गैर-कानूनी सभा के सदस्य द्वारा अपराध करना], 221 [लोक सेवक को सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में बाधा डालना ], 132 [किसी लोक सेवक पर हमला करना या उसके खिलाफ आपराधिक बल का प्रयोग करना], 125 [किसी व्यक्ति पर जानलेवा हमला करना], 324 (5) [एक लाख रुपये या उससे अधिक का नुकसान], 196 [समाज में विभाजन], 223 (b) [सरकारी अधिकारी के आदेशों का उल्लंघन], 326 (f) [आग या किसी विस्फोटक पदार्थ से कृषि उपज सहित किसी भी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का इरादा रखना] और सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम-1984 की धारा 3 और 5 के तहत मामला दर्ज हुआ है.
"मुझे उन लोगों की फिक्र है"
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने सांसद बर्क के खिलाफ हुई FIR पर सवाल उठाया था. उन्होंने कहा, "संभल की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है, हमारे सांसद जियाउर्रहमान बर्क संभल में नहीं थे. वह हिंसा वाले दिन बेंगलुरू में थे. इसके बावजूद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. क्या किसी ने कभी ऐसा उदाहरण देखा है? एक पुलिस अधिकारी लोगों से नेताओं के चक्कर में नहीं पड़ने की बातें कह रहा था, वह किसकी बात कर रहा था? यह किसकी भाषा थी?"
सांसद बर्क ने दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए कहा,
"मुझे अपने से ज्यादा उन लोगों की फिक्र है, जिन मासूमों की इन पुलिस अधिकारियों ने हत्या कर दी. 2700 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके उन्हें परेशान किया जा रहा है. मुझे अपनी फिक्र से ज्यादा उनकी चिंता है. मैं तो वहां मौजूद भी नहीं था, लेकिन पुलिस-प्रशासन की ये सोची-समझी साजिश है. वे पहले दिन ही ये घटना करना चाहते थे, लेकिन हम लोग मौजूद थे इसलिए वो कामयाब नहीं हो पाए."
सांसद बर्क ने बताया कि लोकसभा में इंंडिया गठबंधन के सभी सांसदों ने संभल मुद्दे पर चर्चा की मांग की है.
मीडिया से बातचीत में मुरादाबाद कमिश्नर आंजनेय सिंह ने कहा, "सांसद और विधायक के बेटे के ऊपर जो मुकदमा दर्ज हुआ है, उसमें 19 तारीख को जो उनकी गतिविधियां रहीं, जुमे के नमाज के वक्त जो उनकी गतिविधियां रही और बाद में कई सारे साक्ष्य और पूछताछ में जो जानकारी मिली है, उसी के आधार पर हम ने मुकदमा दर्ज किया है."
एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने बताया कि "जियाउर्रहमान को BNS की धारा 168 के तहत 23 नवंबर को नोटिस दिया गया था. व्हाट्सएप पर भी उनको नोटिस भेजा गया था. जो विधिक कार्रवाई है वो सबूतों के आधार पर होगी."
"सर्वे की कार्यवाही रोकने के इरादे से आई भीड़"
कोतवाली संभल में उपजिलाधिकारी रमेश बाबू ने 800-900 अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज करवाई है. FIR संख्या 336/24 में उपजिलाधिकारी ने अपने भीड़ पर पर सर्वे की कार्यवाही रोकने का आरोप लगाया है.
क्विंट हिंदी के पास मौजदू FIR कॉपी में कहा गया है, "जब जामा मस्जिद का सर्वे किया जा रहा था, तब सुबह 9 बजकर 10 मिनट पर 800-900 अज्ञात लोगों की भीड़ एक राय होकर घातक हथियारों से लैस होकर जामा मस्जिद की सर्वे की कार्यवाही को बाधित करने के उद्देश्य से आई थी."
FIR में आगे कहा गया है, "भीड़ से सर्वे की कार्यवाही बाधित न करने की अपील की गई, लेकिन उग्र भीड़ ने सरकारी कार्य में बाधा डालने के इरादे से पत्थरबाजी करनी शुरू कर दी." इस हमले में उपजिलाधिकारी गंभीर रूप से घायल हुए हैं.
पुलिस ने इस FIR में उपर्युक्त धाराओं के साथ ही BNS की धारा 121 (1) [लोक सेवक या सरकारी कर्मचारी को ड्यूटी करने से रोकने के लिए जानबूझकर मामूली चोट पहुंचाना], 121 (2) [सरकारी कर्मचारी को ज्यादा गंभीर चोट पहुंचाना], 109 (1) [हत्या का प्रयास], 125 [किसी व्यक्ति पर जानलेवा हमला करना], 223 (b) [सरकारी अधिकारी के आदेशों का उल्लंघन] और आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 1932 की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
भीड़ पर पुलिस के हथियार लूटने का आरोप
प्रभारी निरीक्षक अनुज कुमार तोमर ने कोतवाली संभल में 21 नामजद लोगों के खिलाफ FIR दर्ज करवाया है. FIR संख्या 337/24 में कहा गया है, "भीड़ अनियंत्रित होकर जोर-जोर से अल्लाहु-अकबर के नारे लगाते हुए सर्वे टीम का कार्य बाधित करने के उद्देश्य से आगे बढ़ी. लोगों को समझाने की कोशिश की गई, लेकिन भीड़ ने बात नहीं सुनीं."
इसके साथ ही कहा, "समय करीब 08:45 बजे भीड़ हो हल्ला करते हुए पुलिस के ऊपर पत्थर चलाते हुए जामा मस्जिद ढलान के करीब 100 कदम की दूरी तक पहुंच गई. भीड़ में 800-900 लोग थे. पुलिस जब भीड़ को समझाने की कोशिश कर रही थी, तब कुछ लोगों ने पुलिसबल के असलाह और कारतूस लूट लिए."
FIR के मुताबिक, "भीड़ में मौजूद लोगों ने पुलिसवालों से 9 एमएम पिस्टल की मैगजीन, रबर बुलेट का एक डिब्बा, 25 ब्लैंक कारतूस, 25 प्लास्टिक पैलेट, एक बैग और 15 कारतूस लूट लिए."
इस FIR में पुलिस ने BNS की विभिन्न धाराओं सहित सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनिय की धारा 3, 4 और आर्म्स एक्ट की धारा 3, 25, 27 के तहत मामला दर्ज किया है.
पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों के पास से 315 बोर का एक तमंचा, 12 बोर का दो तमंचा और कुछ कारतूस बरामद किए हैं.
FIR में कहा गया है, "जब पुलिस ने लोगों को चेतावनी देते हुए बल प्रयोग की बात कही तो भीड़ और भड़क गई. भीड़ ने पुलिसबल पर फायरिंग और पत्थरबाजी तेज कर दी. साथ ही सरकारी और प्राइवेट गाड़ियों में आग लगा दी. इसके बाद भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछारें भी छोड़ी गई, लेकिन लोग शांत नहीं हुए."
"जिलाधिकारी/ जिला मजिस्ट्रेट ने हल्का बल (नॉन लिथल) प्रयोग करने का आदेश दिया. लेकिन हल्के बल प्रयोग से भी भीड़ नियंत्रित नहीं हुई बल्कि और उग्र हो गई. पुलिसवालों पर फायरिंग शुरू कर दी. पुलिसवालों ने अपनी आत्मसुरक्षा और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले और रबर बुलेट फायर किया."
मुरादाबाद कमिश्नर ने बताया, "कल तक घटना में 3 नाबालिगों का नाम सामने आया है. नाबालिगों के साथ हम काउंसलिंग की चीजें ही कर रहे हैं. इसके अलावा अभी तक जिन 27 लोगों की गिरफ्तारी हुई है, उनके संबंध में हम कोर्ट के जरिए कानूनी कार्यवाही पूरी कर रहे हैं. खतरनाक चाकू मिला है. हमें जो अवैध हथियार मिल रहे हैं, उनकी रिकवरी की जा रही है."
"सरकारी बाइक में आग लगाने का आरोप"
नखासा थाने में उपनिरीक्षक शाह फैसल ने 6 नामजद और 150-200 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है.
FIR संख्या 305/24 में आरोप लगाया गया है कि "दोपहर 12:35 पर 150-200 लोगों की भीड़ ने हॉकी स्टिक, डंडों और पत्थरों से पुलिस पर जानलेवा हमला किया." इस दौरान भीड़ ने "नखासा चौहारे पर लगा सीसीटीवी कैमरा भी तोड़ दिया."
उपनिरीक्षक ने FIR में कहा कि "भीड़ ने नखासा तिराहे पर खड़ी उनकी बुलेट बाइक और सरकारी लेपर्ड अपाचे बाइक में आग दी. लोगों ने उनकी सरकारी पिस्टल भी छीनने की असफल कोशिश की, लेकिन मैगजीन छीनने में कामयाब रहे."
मृतकों के परिजनों ने दर्ज करवाया FIR
हिंसा में 4 युवकों की मौत हुई है. इस मामले में मृतकों के परिजनों की तहरीर पर केस दर्ज कर लिया गया है.
एसपी केके बिश्नोई ने बताया, "चारों मृतकों के परिजनों के तरफ से तहरीर दी गई है. चारों तहरीर के आधार पर अभियोग पंजीकृत किया गया है. तीन तहरीर कोतवाली संभल और एक नखासा में दी गई है. मेरिट के आधार पर कार्रवाई होगी."
मुरादाबाद कमिश्नर ने कहा, "चार व्यक्तियों की मृत्यु बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. परिवार का दुख हम समझ सकते हैं... मैं भरोसा दिलाता हूं कि हर एक चीज की साबूतों के आधार पर जांच होगी और सबूतों के आधार पर ही कार्रवाई होगी."
गौरतलब है कि रविवार, 24 नवंबर को संभल जामा मस्जिद की दूसरी बार सर्वे के दौरान हिंसा भड़क गई थी. इससे पहले 19 नवंबर को हिंदू पक्ष ने मस्जिद के स्थान पर श्री हरिहर मंदिर होने का दावा करते हुए सिविल कोर्ट में याचिका दायर की थी. कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए उसी दिन सर्वे का आदेश दिया था. एडवोकेट कमिश्नर के नेतृत्व में शाम में करीब दो घंटे तक सर्वे हुआ था. इस दौरान सर्वे टीम ने मस्जिद परिसर की वीडियोग्राफी की थी.
अब इस मामले में अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी. उसी दिन एडवोकेट कमिश्नर सर्वे रिपोर्ट भी पेश करेंगे.
(इनपुट: जकी-उर-रहमान और शारिक सिद्दीकी)