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Kim Jong Un: भुखमरी का शिकार नॉर्थ कोरिया मिसाइलों के लिए कहां से लाता है पैसा?

North Korea Missile Test: पिछले महीने नॉर्थ कोरिया ने एक इंटरकॉन्टिनेंटल बेलेस्टिक मिसाइल का टेस्ट किया.

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पिछले दो तीन हफ्तों से नॉर्थ कोरिया(North Korea) फिर से लगातार खबरों में है. वजह है, एक के बाद एक बड़े पैमाने पर हो रहे मिसाइल टेस्ट(North Korea Missile Tests). वहीं दूसरी तरफ कुछ महीनों पहले की, ये हेडलाइंस देखिए.

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नॉर्थ कोरिया की गरीबी, वहां के लोगों की दुर्दशा की खबरें आती रहती हैं लेकिन साथ में ये सुर्खियां भी जब तब आती रहती हैं कि नॉर्थ कोरिया ने मिसाइल टेस्ट किया. अभी भी नॉर्थ कोरिया पिछले दो महीनों से लगातार बड़े पैमाने पर छोटी-बड़ी मिसाइलों के टेस्ट कर रहा है.

तो सवाल ये है कि आखिर ऐसा देश जो खाद्य संकट से अभी तक उबर नहीं पाया है वो क्यों और कैसे लगातार महंगी मिसाइलों के परीक्षण करता रहता है?

किम जोंग(Kim Jong Un) की निगरानी में नॉर्थ कोरिया में मिसाइल परीक्षण कोई नई बात नहीं है लेकिन इस बार जो हो रहा उसे एक्सपर्ट अभूतपूर्व बता रहे हैं. नॉर्थ कोरिया कई तरह की बैलेस्टिक मिसाइल टेस्ट कर रहा है. जिनमें छोटी दूरी से हजारों किलोमीटर दूर तक वार करने वाली मिसाइलें शामिल हैं. पिछले महीने ही नॉर्थ कोरिया ने एक इंटरकॉन्टिनेंटल बेलेस्टिक मिसाइल का टेस्ट किया. जिसके लिए माना जाता है कि ये मिसाइल परमाणु बमों को ले जाने के लिए इस्तेमाल होती हैं. यही मिसाइल जापान के ऊपर से गुजरी थी और प्रशांत महासागर में गिरी थी.

जिसके बाद अमेरिका और नॉर्थ कोरिया में फिर से तनाव बढ़ गया. लगातार जारी मिसाइलों की टेस्टिंग से ये खतरा पैदा हो गया है कि कहीं नॉर्थ कोरिया न्यूक्लियर टेस्ट की तैयारी तो नहीं कर रहा है?

एक मिसाइल टेस्ट की कीमत

अमेरिका में मौजूद RAND (रिसर्च एंड एनालिसिस) Corporation की सू किम कहती हैं कि नॉर्थ कोरिया के एक सिंगल टेस्ट की लागत कुछ मिलियन डॉलर से 10 मिलियन डॉलर तक हो सकती है. 10 मिलियन डॉलर को अगर रुपयों में बदलेंगे तो 80 करोड़ रुपये.

जानकारों का कहना है कि कोविड महामारी, UN प्रतिबंध, फूड क्राइसिस के बाद भी नॉर्थ कोरिया के लिए इतने बड़े पैमाने पर सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करना असंभव लगता है.

नॉर्थ कोरिया की कौन कर रहा फंडिंग?

ये कहावत तो आपने सुनी होगी- “दुश्मन का दुश्मन आपका दोस्त”

दुनिया जानती है कि अमेरिका के 2 सबसे बड़े विरोधी हैं चीन और रूस. माना जा रहा है यही दोनों इस समय नॉर्थ कोरिया को मदद दे रहे हैं

चीन नॉर्थ कोरिया का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है. जो नॉर्थ कोरिया की इकनॉमी और मिलिट्री के विकास के लिए करोड़ों देता है.

कोरिया डिफेन्स नेटवर्क के एक्सपर्ट ली वू मानते हैं कि दो बातें हो सकती हैं या तो नॉर्थ कोरिया खुद मिसाइल बना रहा है या चीन उसे बेहद सस्ते दाम पर मिसाइल दे रहा है.

कई एक्सपर्ट्स ने ये भी दावा किया है कि रूस ने यूक्रेन के साथ जंग शुरू होने के बाद नॉर्थ कोरिया से कई डिफेन्स डील की हैं. जिनमें टैंक में इस्तेमाल होने वाले तोपगोलों की खरीद और एडवांस टेक्नोलॉजी के ट्रान्सफर की बातें शामिल हैं.

चीन और रूस की मदद के अलावा भी कुछ और चीजें हैं जो नॉर्थ कोरिया के लिए मददगार साबित होती है.

RAND की रिसर्चर सू किम कहती हैं-

"नॉर्थ कोरिया में अविश्वसनीय रूप से बेहद अनुशासित लेबर है और ये लेबर दुसरे देशों के मुकाबले काफी सस्ता है. ये देश इसका इस्तेमाल अपने कई सैन्य कार्यक्रमों और मिसाइल के निर्माण में करता है”

इसके आलावा सिओल, मतलब साउथ कोरिया में मौजूद संस्था ‘नॉर्थ कोरिया रिसोर्स इंस्टिट्यूट’ की 2013 की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि नॉर्थ कोरिया में खनिज संसाधनों का भंडार है. जिसकी कीमत करीब 6 ट्रिलियन डॉलर होगी.

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नॉर्थ कोरिया इन मिसाइल टेस्ट्स से क्या बताना चाहता है?

आमतौर पर नॉर्थ कोरिया यूएन की पाबंदियों का उल्लंघन करने के लिए ऐसा करता रहता है. लेकिन इतने कम समय में इतनी बड़ी संख्या में टेस्ट कभी नहीं किए हैं. इसलिए इन्हें अभूतपूर्व माना जा रहा है. तो आखिर इसकी वजह क्या है?

दरअसल ये सब टेस्ट हाल ही में हुई अमेरिका और साउथ कोरिया के साझा सैन्य अभ्यास के बाद शुरू हुए. नॉर्थ कोरिया का मत है कि वो इस अभ्यास को हमले के खतरे के तौर पर देखता है.

सिओल के ASAN इंस्टिट्यूट ऑफ पॉलिसी स्टडीज के डॉ. गो म्योंग हुन कहते हैं -

"नॉर्थ कोरिया के पास 1000 तरह की चौंका देने वाली बेलेस्टिक मिसाइलें हैं. जिनका इस्तेमाल वो वाशिंगटन पर दबाव बनाने के लिए और अपने ऊपर लगी पाबंदियों में राहत पाने के लिए करता है."

डॉ. गो म्योंग आगे कहते हैं कि नॉर्थ कोरिया 2024 में होने जा रहे अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों से पहले ये दिखाना चाहता है कि उसका परमाणु हथियारों का जखीरा अब काफी एडवांस हो चुका है. क्योंकि 1950 के कोरियाई युद्ध में नॉर्थ कोरिया को सबसे ज्यादा नुकसान अमेरिका की दूर तक वार करने वाली मिसाइलों ने पहुंचाया था.

जानकारों का ये भी मानना है कि ये टेस्ट किम जोंग उन की क्रूर छवि बनाए रखने और आंतरिक राजनीति के लिए भी हो रहे हैं.

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