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मुजफ्फरनगर: "बीमारी नहीं, कांवड़ियों की पिटाई से मौत", पुलिस के दावों पर परिवार का आरोप

पुलिस के मुताबिक, "23 जुलाई को कांवड़ियों ने मोहित को पीटा था"

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"हम चाहते हैं कि इंसाफ मिल जाए. पुलिस झूठ बोलती है कि उसकी मौत बीमारी की वजह से हुई है."

"पुलिस ने हमसे लिखा-पढ़ी कराई थी. पता नहीं जी... जैसा उन्होंने कहा, हमने तो वैसा ही लिख दिया. हमें तो और पता नहीं कि ये अपना बचाव कर रहे हैं या क्या कर रहे हैं."

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) में एक दलित ई-रिक्शा ड्राइवर की मौत का मामला गर्मा गया है. परिजनों का आरोप है कि रायपुर नंगली निवासी ई-रिक्शा ड्राइवर की मौत कांवड़ियों की पिटाई की वजह से लगी चोट से हुई है.

इससे पहले मुजफ्फरनगर पुलिस ने कांवड़ियों की पिटाई से मौत की बात का खंडन करते हुए एक बयान जारी किया था और दावा किया था कि शख्स की मौत बीमारी की वजह से हुई है.

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"मार-पिटाई की वजह से छाती में बहुत ज्यादा दर्द था"

पुलिस की ओर से जारी बयान के मुताबिक, "23 जुलाई को ई-रिक्शा चालक मोहित का ई-रिक्शा कांवड़ियों से टकरा गया था. जिसके बाद उसने मौके से भागने की कोशिश की और उसका ई-रिक्शा अनियंत्रित होकर पलट गया. इसके बाद कांवड़ियों ने उसके साथ मारपीट की."

पुलिस के मुताबिक, "ई-रिक्शा चालक मोहित को मामूली चोटें आई थी, अस्पताल से प्राथमिक उपचार के बाद वह घर चला गया था."

इस घटना के करीब 6 दिन बाद यानी 28 जुलाई को मोहित की मौत हो गई.

मोहित के बड़े भाई वकील कुमार ने कहा, "पुलिस ने पहले से ही उसका ट्रीटमेंट करा दिया था. उसको पहले से ही पट्टी वगैरह बंधी हुई थी. पुलिस ने हमसे पूछा था कि क्या आप अपनी मर्जी से लेकर जा रहे हो. तो हमने कहा कि हम अपनी मर्जी से लेकर जा रहे हैं."

उन्होंने आगे बताया,

"जब हम उसे घर लेकर आए, तो हमने देखा कि उसके पैर में पट्टी बंधी हुई थी. हमने सोचा कि हल्की फुल्की चोट होगी. बाद में पता चला कि मार-पिटाई की वजह से उसकी छाती में बहुत ज्यादा दर्द था. उसकी कमर भी लाल हुई पड़ी थी."

क्विंट से बातचीत में सीओ खतौली राम आशीष यादव ने बताया कि "उस दिन वो नशे की हालात में ई रिक्शा चला रहा था. इस दौरान उसने किसी को टक्कर मार दी. लोगों ने जब हल्ला किया तो वो तेजी से भागने लगा. इस दौरान रिक्शा पलट गया और वो गिर गया. रिक्शे से चोट लगने की वजह से उसका पैर जख्मी हो गया था और हल्की-फुल्की चोट लगी थी. इसके बाद घरवाले उसे अपने साथ ले गए थे."

कांवड़ियों द्वारा मारपीट के सवाल पर उन्होंने कहा कि "हाथ लगाने की कोशिश कर ही रहे थे कि पुलिस और अन्य लोग पहुंच गए थे और उसे उठाकर ले गए."

पुलिस का दावा- बीमारी से हुई मौत

मोहित की मौत कैसे हुई इसको लेकर पुलिस और परिजनों के अपने-अपने दावे हैं. पुलिस का कहना है कि मोहित की मौत बीमारी की वजह से हुई है. "28 जुलाई की रात को मोहित के सीने में तेज दर्द हुआ, परिजन इलाज के लिए अस्पताल लेकर गए, जहां डॉक्टरों ने मोहित को मृत घोषित कर दिया."

इसके साथ ही पुलिस ने कहा,

"परिजनों द्वारा यह बताया गया कि मोहित की मौत पहले से चल रही बीमारी के कारण हुई है, किसी प्रकार की कोई कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है."
हालांकि, पुलिस के दावों से इतर मृतक की बहन नीलम ने कहा, "डॉक्टर को दिखाया था. हमें तो बस पैर की ही चोट दिखाई दे रही थी. चोट तो उसके छाती में भी थी. गुर्दो में भी थी. लात-मुक्के मारे. चार-पांच दिन उसका इलाज चला. घर से हम उसे दिखाने ले जा रहे थे, उधर से वो मरा हुआ आया."

"हमसे तो जैसा पुलिस ने लिखवाया, हमने तो वैसा ही लिख दिया"

पुलिस के दावों को खारिज करते हुए नीलम ने आगे कहा, "उसे कोई बीमारी नहीं थी. वो अच्छा-खासा जवान लड़का था. आप पूछताछ कर सकते हो, जहां उसकी पिटाई की गई थी. मौत का तो ये ही कारण है, वो तो सबको पता है. भोलों ने मारपीट की थी."

"पुलिस ने हमसे लिखा-पढ़ी कराई थी. पता नहीं जी... जैसा उन्होंने कहा, हमने तो वैसा ही लिख दिया. हमें तो और पता नहीं कि ये अपना बचाव कर रहे हैं या क्या कर रहे हैं. हम तो घबरा रहे थे. हम तो अपने मरीज को लेकर घर जाना चाह रहे थे. हमसे तो जैसा पुलिस ने लिखवाया, हमने तो वैसा ही लिख दिया. हमें पढ़ना नहीं आता."

वकील कुमार कहते हैं, "मैं और मेरी पत्नी तो गंगाजल लेने गए थे. हमारे पास अचानक फोन आया कि ऐसी-ऐसी बात हो गई. मौत की खबर सुनकर हम रुड़की से भागकर आए."

उन्होंने आगे कहा, "हम चाहते हैं कि हमें इंसाफ मिले. पुलिस झूठ बोलती है कि उसकी मौत बीमारी की वजह से हुई है."

"हम पोस्टमॉर्टम से डरते हैं"

पोस्टमॉर्टम नहीं कराने के सवाल पर मृतक के भाई वकील ने कहा, "पुलिस जब पोस्टमॉर्टम के लिए ले जा रही थी तो उस वक्त मैं वहां नहीं था, मेरी बहन थी. हम अनपढ़ हैं. जैसा उन्होंने कहा, वैसा ही लिखवा दिया. ये सब पोस्टमॉर्टम नहीं चाह रहे थे. पुलिस ने तो अपनी फॉर्मेलिटी की होगी अपने बचाव के लिए. हम इंसाफ चाहते हैं."

इसके साथ ही उन्होंने कहा,

"पोस्टमॉर्टम हमने इसलिए नहीं कराया, क्योंकि पहले हमारा एक भतीजा भी मर गया था. हमारी मां भी बाईपास पर मर गई थी. उन पर कम से कम एक लाख 20 हजार रुपये लगाए थे. हमें कुछ नहीं मिला. हम पोस्टमार्टम से डरते थे."

नीलम ने कहा, "पोस्टमॉर्टम हमने इसलिए नहीं कराया, क्योंकि हम अनपढ़ आदमी हैं. हम पढ़े-लिखे नहीं हैं. बाईपास पर हमारे पहले भी दो डेथ हो चुकी है. हमें उतना नहीं पता था कि हमें क्लेम मिल जाएगा. हम तो बस ये चाह रहे थे कि इसका पोस्टमॉर्टम न होवे. हमें पता होता तो हम पोस्टमॉर्टम करा देते. उसकी मौत भोलों (कावड़ियों) की पिटाई के कारण ही हुई है."

वहीं सीओ खतौली राम आशीष यादव ने कहा, "परिवार की ओर से कोई शिकायत नहीं दी गई. हम खुद ही पोस्टमॉर्टम करवाना चाह रहे थे ताकि कल को कोई प्रश्न न उठे."

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मुजफ्फरनगर में कावंड़ियों से जुड़े कई मामले आए सामने

  • 25 जुलाई 2024: मुजफ्फरनगर के मीनाक्षी चौक पर कांवड़ियों के एक समूह ने कथित तौर पर एक मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति की पिटाई की और उसे घायल कर दिया.

  • 24 जुलाई 2024: मंसूरपुर पेट्रोल पंप पर सिगरेट पीने से मना करने पर कथित तौर पर कांवड़ियों ने तोड़फोड़ और कर्मचारियों से मारपीट की थी. एक कर्मचारी अस्पताल के आईसीयू में है. कई फ्रैक्चर और सिर में चोट आई है. 25 टांके लगे हैं.

  • 21 जुलाई 2024: जिले श्री लक्ष्मी फूड प्लाजा के पास कांवड़ियों ने एक कार पर टक्कर मारने और उससे कांवड़ खंडित होने का आरोप लगाते हुए कार में तोड़फोड़ और चालक से मारपीट की. वहीं कार सवार जान बचाने के लिए एक ढ़ाबे में जा घुसा तो कांवड़ियों ने ढाबे में भी हंगामा और तोड़फोड़ किया.

  • 19 जुलाई 2024: दिल्ली-देहरादून हाईवे पर स्थित ताउ होक्के वाले ढाबे पर कांवड़ियों ने खाने में लहसुन और प्याज का तड़का लगाने का आरोप लगाते हुए खूब हंगामा किया. आक्रोशित कांवडियों ने ढाबे की कुर्सियां और शीशे तोड़ दिए. 

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