ADVERTISEMENTREMOVE AD

नमाज पढ़ने की जगह और पुलिस की गिरफ्तारियां, नए-पुराने केस क्या पैटर्न बता रहे?

उत्तर प्रदेश के बरेली में चार मुस्लिम व्यक्तियों को पुलिस ने बिना अनुमति नमाज पढ़ने के लिए गिरफ्तार किया.

Published
story-hero-img
i
Aa
Aa
Small
Aa
Medium
Aa
Large

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के एक गांव में चार मुस्लिम व्यक्तियों को पुलिस ने 19 जनवरी को गिरफ्तार किया. उनपर आरोप यह है कि उन्होंने एक टीनशेड डाले चारदीवारी के अंदर नमाज पढ़कर  "शांति भंग करने" की कोशिश की. उन्होंने नमाज पढ़ने से पहले पुलिस की कोई इजाजत नहीं ली.

खास बात यह है कि जिस प्रॉपर्टी पर नमाज पढ़ी गई वो न तो सार्वजनिक संपत्ति है और न ही किसी की निजी संपत्ति. बल्कि यह मस्जिद बनाने के लिए वक्फ के नाम दान की गई जमीन है.

पुलिस की यह कार्रवाई एक हिंदू संगठन- हिंदू जागरण मंच द्वारा सोशल मीडिया पर उस स्थान का एक वीडियो शेयर करने के बाद हुई.

मामले में दर्ज एफआईआर में कुल 7 लोगों का नाम लिया गया है जिसमें गांव के प्रधान मोहम्मद आरिफ भी शामिल हैं. पुलिस ने मामले में कुल 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया- अकील अहमद, मोहम्मद शाहिद, मोहम्मद आरिफ और छोटे. चारों ही अब जमानत पर जेल से बाहर आ चुके हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

बंद चारदीवारी में नमाज पढ़ने से हो रही "शांति भंग"?

हिंदू जागरण मंच की युवा शाखा के बरेली जिला अध्यक्ष हिमांशु पटेल ने सबसे पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड किया था. ड्रोन से लिए गए इस वीडियो में बरेली के जाम सावंत गांव में कुछ नमाजी एक टीन शेड डाले प्रॉपर्टी पर नमाज पढ़ते दिख रहे हैं.

हिमांशु पटेल ने क्विंट हिंदी से कहा कि “गांव में न तो कोई मस्जिद है और न ही कोई मंदिर. निवासियों को प्रार्थना करने के लिए पास के गांव में जाना पड़ता है... मैंने वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किया और पुलिस और जिला प्रशासन दोनों को मामले की जानकारी दी.''

पुलिस पूछताछ करने वाले सब-इंस्पेक्टर अहमद अली की तहरीर पर एफआईआर दर्ज की गई है. इसमें लिखा है कि 18 जनवरी 2025 को एक्स प्लेटफॉर्म के हैंडल @himanshupatelrs (हिमांशू पटेल) से किए गए ट्वीट के संबंध में मेरे द्वारा गांव में जांच की गई तो यह जानकारी हुई कि ग्राम जाम सावंत में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने चाहरदीवारी के अंदर नमाज पढ़ा है, जिसके ऊपर टीन शेड पड़ा है और वहां पर कोई मस्जिद नहीं है. करीब 20-25 लोगों द्वारा शुक्रवार को जुमे की नमाज पढ़ी गई. यह भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 223 का स्पष्ट उल्लंधन है.

BNS की धारा 223 शांति बनाए रखने से संबंधित है. यह उन लोगों पर लागू होती है जो जानते हुए भी किसी पब्लिक सर्वेंट द्वारा दिए गए कानूनी आदेश का उल्लंघन करते हैं.

एफआईआर में 7 लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया. इनमें से चार लोगों को "शांति भंग करने" के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. बाद में ये जमानत पर बाहर आए.

पुलिस के बयान में एकरूपता नहीं?

क्विंट हिंदी ने बहेड़ी थाना के थाना प्रभारी संजय तोमर से बात की. उन्होंने बताया कि यह जमीन किसी की प्राइवेट जमीन न होकर वक्फ की संपत्ति है. यह मस्जिद बनाने के लिए ली गई थी और मस्जिद बनाने की अनुमति मिले बिना यहां नमाज पढ़ी गई. हालांकि इससे पहले बरेली पुलिस के ट्विटर हैंडल से 19 जनवरी को डाले गए एक वीडियो में सर्कल ऑफिसर अरूण कुमार सिंह साफ-साफ कह रहे हैं कि प्राइवेट प्रॉपर्टी पर नमाज पढ़ी गई थी.

“कल दिनांक 18 जनवरी को थाना बहेड़ी पर सूचना प्राप्त हुई कि जाम सावंत गांव में कुछ लोगों द्वारा सामुहिक रूप से एक प्राइवेट स्थान पर जुमे की नमाज पढ़ी गई. सूचना पर तुरंत पुलिस ने मौके पर जाकर जांच की. यह पाया गया कि गांव में कदीर अहमद नाम के व्यक्ति की अपनी जमीन पर चारदीवारी बनाकर और टीन शेड डालकर सामूहिक रूप से नमाज पढ़ी जा रही थी. यह नियम के खिलाफ था. इसके संबंध में बहेड़ी थाने में मामला दर्ज करके 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. मौके पर शांति कायम है और पुलिस की तैनाती कर दी गई है.”
अरूण कुमार सिंह, सर्कल ऑफिसर

क्विंट हिंदी ने इस मामले में गिरफ्तार होने वाले ग्राम प्रधान मोहम्मद आरिफ से बात की जो अब बेल पर जेल से बाहर आ चुके हैं. उन्होंने बताया कि जमीन वक्फ के नाम पर ही ली गई है.

“हम कोई छुपकर नमाज नहीं पढ़ रहे थे, सबको पता था”

क्विंट हिंदी ने इस मामले में नामजद करीद अहमद से भी बात की जिनका नाम जमीन से जोड़ा जा रहा है. उन्होंने भी यह साफ किया कि मस्जिद बनाने के लिए इस जमीन को वक्फ किया गया था. आसान भाषा में दान किया गया था. उन्हें (करीद अहमद) को केवल मुतवल्ली बनाया गया है, यानी वह व्यक्ति को वक्फ की जमीन का प्रबंधक होता है, जो मैनेजमेंट देखता है.

उन्होंने यह साफ कहा कि 2019 में जमीन का वक्फनामा कराए जाने के बाद से लगातार इसमें नमाज पढ़ी जा रहा थी लेकिन किसी को कोई परेशानी नहीं होती थी.

“हिमांशू पटेल ने ड्रोन से यह वीडियो बनाया लेकिन हम कोई छुपकर नमाज थोड़ी पढ़ रहे थे. पूरे गांव को पता था कि हम यहां नमाज पढ़ते हैं. हमारे सभी हिंदू भाईयों को भी पता था और मुस्लिम भाईयों को भी.”
क्विंट हिंदी से करीद अहमद

करीद अहमद का कहना है कि आज से पहले कभी भी गांव में हिंदू-मुस्लिम समुदाय के बीच कोई विवाद नहीं हुआ. इस मामले के बाद भी गांव में कुछ नहीं बदला है. हम सब साथ बैठ रहे हैं, भले मीडिया मामले को कितना भी हवा दे. हमने भी हिंदू भाईयों से कहा है कि मंदिर बनाने का प्लान हो तो बताओ आप सब, उसमें हम भी सहयोग करेंगे.

वहीं जब क्विंट हिंदी ने हिमांशू पटेल से बात की तो उन्होंने आरोप लगाया कि गांव में हिंदुओं के मंदिर बनाने पर एतराज जताया जा रहा था.

उन्होंने दावा किया, "जाम सावंत गांव में 70% प्रतिशत आबादी मुस्लिम समुदाय की है और 30% हिंदू की. गांव में दोनों ही समुदाय का कोई धार्मिक स्थल नहीं है, दोनों ही पूजा-नमाज के लिए बाहर जाते थे. इससे पहले जब हिंदू पक्ष ने मंदिर बनाने की बात की थी तो मुस्लिम पक्ष ने एतराज जताया था. बाद में किसी ने यह जमीन दान (वक्फ) में दी थी लेकिन वो नमाज के लिए थोड़ी दी थी. ये लोग टीन शेड डालकर चोरी छुप्पे नमाज पढ़ने लगे. हिंदू पक्ष का कहना है कि अगर हम मंदिर नहीं बना सकते तो ये भी गांव में ऐसे नमाज नहीं पढ़ सकते."

ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्राइवेट या पब्लिक, नमाज पढ़ने पर बार-बार एक्शन

बरेली में सामने आया यह मामला ऐसा अकेला मामला नहीं है. प्राइवेट प्रॉपर्टी से लेकर पब्लिक प्लेस पर नमाज पढ़ने पर मुसलमानों को गिरफ्तार किए जाने के कई मामले सामने आए हैं.

17 जून 2024- उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में सरकारी जमीन पर नमाज अदा करने का वीडियो वायरल होने के बाद 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तार होने वालों में नौ मुस्लिम पुरुष और दो हिंदू पुरुष शामिल थे.

8 मार्च 2024- दिल्ली पुलिस के सब-इंस्पेक्टर मनोज कुमार तोमर को उत्तरी दिल्ली के इंद्रलोक इलाके में सड़क पर शुक्रवार की नमाज पढ़ रहे नमाजियों को लात मारते देखा गया था.

23 मार्च 2023- मुरादाबाद में एक निजी गोदाम में तरावीह की नमाज पढ़ने पर हिंदू संगठनों के विरोध के बाद पुलिस ने मुस्लिम पक्ष को 5–5 लाख का नोटिस थमा दिया.

14 जुलाई 2022- लखनऊ के लूलू मॉल में आठ लोगों को नमाज पढ़ने के आरोप में गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तार लोगों के परिजनों ने यह दावा किया था कि उन्होंने नमाज पढ़ने से पहले सिक्योरिटी गार्ड से परमिशन मांगी थी.

21 जुलाई 2022- हरिद्वार में सार्वजनिक रूप से नमाज पढ़ने के आरोप में आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया. कुछ घंटों बाद उन्हें जमानत दे दी गई.

25 मई 2022- आगरा में ताज महल परिसर में स्थित मस्जिद में नमाज पढ़ने के आरोप में चार पर्यटकों को गिरफ्तार किया गया. ताज महल में केवल शुक्रवार को आस-पास के इलाकों में रहने वाले मुस्लिम कार्डहोल्डर्स को नमाज अदा करने के लिए प्रवेश की अनुमति है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार, ताज महल मस्जिद में किसी अन्य दिन नमाज पढ़ने की अनुमति नहीं है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

“नमाज पढ़ना कोई अपराध नहीं है”

लीगल एक्सपर्ट्स का कहना है कि निजी या सार्वजनिक रूप से नमाज अदा करना अपने आप में कोई अपराध नहीं है. अपराध करार देने के लिए जरूरी है कि यह इस इरादे से किया जा रहा हो कि समुदायों के बीच नफरत पैदा हो, जो इन मामलों में स्पष्ट नहीं है. इसके अलावा, सार्वजनिक पूजा तो प्रतिदिन होते हैं और राज्य अधिकारी उन्हें नहीं रोकते हैं. इसलिए, केवल कुछ धर्म को टारगेट करना भेदभावपूर्ण है.

स्कूल ऑफ लॉ, जामिया हमदर्द, नई दिल्ली में कानूनी और संवैधानिक सिद्धांत पढ़ाने वाले बुरहान मजीद कहते हैं कि कानून में ऐसा कुछ भी नहीं है जो सार्वजनिक स्थान पर नमाज पढ़ने पर स्पष्ट रूप से रोक लगाता हो. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25 इस पर स्पष्ट है - प्रतिबंधों के अधीन धर्म को मानने, अभ्यास करने और प्रचार करने के अधिकार की गारंटी.

“इस प्रकार सार्वजनिक स्थान पर नमाज पढ़ना अपने आप में कोई अपराध नहीं है. केवल अगर किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने या समूहों के बीच दुश्मनी पैदा करने का इरादा है, तो पुलिस-प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए. सिर्फ खास परिस्थितियों में और सीमित आधार पर, सार्वजनिक स्थानों पर प्रार्थना करने पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है.”
बुरहान मजीद

वहीं इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकील अरीब अहमद का कहना है कि चूंकि यह जमीन वक्फ की है और मुतवल्ली को नमाज से कोई परेशानी नहीं है तो नमाज के लिए किसी और इजाजत की जरूरत क्यों है?

उनका कहना है कि यह जमीन न तो सार्वजनिक है और न ही किसी ऐसे व्यक्ति की निजी जमीन है, जिसपर अवैध कब्जा करके नमाज पढ़ा जा रहा हो. उन्होंने इस बात पर सवाल उठाया कि BNS की धारा 223 के अंतर्गत मामला दर्ज करने के बावजूद 4 लोगों को गिरफ्तार क्यों किया गया जबकि इसमें अधिकतम सजा ही 6 महीने की होती है. उन्होंने अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र किया जिसके अनुसार उन मामलों में गिरफ्तारी एक अपवाद होनी चाहिए, जहां सजा सात साल से कम समय के लिए कारावास है.

Speaking truth to power requires allies like you.
Become a Member
Monthly
6-Monthly
Annual
Check Member Benefits
×
×