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आरे जंगल के आदिवासियों ने पूछा-पेड़ कटेंगे तो हम कैसे जिंदा रहेंगे

आदिवासियों की गुहार- “हम इमारतों में जिंदा नहीं रह सकते”

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वीडियो एडिटर: दीप्ति रामदास

मुंबई में मेट्रो कारशेड बनाने के लिए आरे के जंगल की कटाई के आदेश से आदिवासी डरे हुए हैं. पीढ़ियों से यहां बसे आदिवासी पलायन नहीं करना चाहते. छत के साथ-साथ रोजी-रोटी छिनने का डर भी इन्हें सता रहा है. BMC ने आरे कॉलोनी के 2700 पेड़ों को काटने के लिए हरी झंडी दिखा दी थी.

इसका भारी विरोध हो रहा है. विरोध प्रदर्शन में कई बड़ी हस्तियों ने भी हिस्सा लिया है.

आरे कॉलनी में रह रहीं एक ताई कहती हैं,

पहले कोई कुत्ता भी इधर नहीं आता था. हम लोग ही थे. अभी हम लोगों के बच्चे बड़े हो गए तो अलग-अलग घर बन गए. छोटे बच्चे बड़े होंगे फिर इनके बच्चे होंगे, किधर रहेंगे? इतनी सी खोली में रहेंगे? नहीं रह सकते. इसलिए हमें यही जगह चाहिए. हम लोगों को इमारत में नहीं रहना. हम लोग एक दिन भी रहेंगे तो मर जाएंगे.  

पर्यावरण संरक्षण और वन जीव के लिए काम करने वाले एक्टिविस्ट संजीव शमंतुल ने कहा कि आरे पशु-पक्षियों के अलावा पूरे मुंबईकर के लिए बहुत जरूरी है. पेड़ों की कटाई से पर्यावरण असंतुलन बढ़ेगा जिसका नुकसान हम सब को भुगतना पड़ेगा.

उन्होंने कहा कि हर दिन आरे की लड़ाई में लोगों की संख्या बढ़ रही है बावजूद इसके प्रशासन इस मुद्दे को लेकर गंभीर नहीं है.

(सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरिज सिटिजन रिपोर्टर द्वारा की जाती है जिसे क्विंट प्रस्तुत करता है. हालांकि, क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों / आरोपों की जांच करता है. रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त विचार सिटिजन रिपोर्टर के निजी विचार हैं. इसमें क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)

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