महाशिवरात्रि पर दिल्ली से लेकर झारखंड तक बवाल देखने को मिला. राष्ट्रीय राजधानी स्थित साउथ एशियन यूनिवर्सिटी (एसएयू) में महाशिवरात्रि पर मेस में नॉनवेज खाने को लेकर दो गुटों में विवाद के बाद झड़प हुई. छात्रों के दोनों गुटों ने एक दूसरे पर मारपीट का आरोप लगाया है. हालांकि, इस मामले में अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है.
वहीं हजारीबाग में बुधवार, 26 फरवरी को लाउडस्पीकर लगाने को लेकर दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प हुई. दोनों ओर से जमकर पथराव और आगजनी की गई. उपद्रवियों ने तीन बाइक और एक कार में भी आग लगा दी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिंसा में कई लोग घायल हुए हैं. हालांकि, पुलिस ने घायलों की संख्या की पुष्टि नहीं की है.
दिल्ली: SAU में नॉनवेज खाने पर विवाद
साउथ एशियन यूनिवर्सिटी (एसएयू) के मेस का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है, जिसमें छात्रों के बीच तीखी झड़प होती दिख रही है. वीडियो में छात्रों को आपस में धक्का-मुक्की करते हुए देखा जा सकता है. इस पूरे विवाद के बाद SFI और ABVP आमने-सामने हैं.
दरअसल, महाशिवरात्रि पर यूनिवर्सिटी के कुछ छात्रों ने उपवास रखा था और उन्होंने व्रत के अनुरुप यानी सात्विक भोजन की मांग की थी. लेकिन लंच के दौरान सात्विक भोजन के साथ नॉनवेज (फिश करी) खाना परोसने को लेकर विवाद हो गया.
ABVP ने अपने X अकाउंट पर यूनिवर्सिटी की छात्रा दिव्या उपाध्याय का वीडियो शेयर किया है, जिसमें वो कहती हैं, "दोपहर में जब हम लंच करने गए तब सात्विक खाने के बगल में नॉनवेज खाना भी रखा हुआ था. जिसे हमने मेस मैनेजर और मेस रिप्रेजेंटेटिव से हटवाने की मांग की. लेकिन उसे हटाया नहीं गया. हमने पीएचडी के एक सीनियर को बुलाया. लेकिन उनके कहने पर भी नॉनवेज खाना नहीं हटाया गया. इसके बाद वो लोग हमारे साथ गाली गलौज और हाथापाई करने लगे."
यूनिवर्सिटी कैंपस में क्या हुआ था?
एसएयू से पीएचडी कर रहे सुदीप्तो दास द क्विंट से बातचीत में बताते हैं, "कुछ छात्रों ने महाशिवरात्रि पर खाने की विशेष व्यवस्था की मांग की थी. जिसके लिए उन्होंने सिग्नेचर कैंपेन भी चलाया था. इसके साथ ही उन्होंने शिवरात्रि पर कैंपस में नॉनवेज खाना नहीं बनाने की भी मांग की थी. व्रत कर रहे छात्रों के लिए अगल भोजन की व्यवस्था की गई थी. लेकिन जिन छात्रों ने व्रत नहीं किया था, उनके लिए नॉर्मल भोजन बना था."
वो आगे बताते हैं,
"यूनिवर्सिटी में दो मेस है और दोनों मेस में वेज-नॉनवेज दोनों तरह का खाना परोसा जाता है. लंच के दौरान कुछ छात्रों ने मछली परोसने पर सवाल उठाया और मेस मैनेजर से बदतमीजी की. इसके बाद वो फिश करी फेंकने लगे, जब मेस सचिव यशदा ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उन लोगों ने उन्हें घेर लिया और उनके साथ बदतमीजी की."
सुदीप्तो और मेस सचिव यशदा ने पीएचडी छात्र रतन सिंह पर मारपीट का आरोप लगाया है.
यशदा, एसएयू से समाजशास्त्र में मास्टर्स कर रही हैं. द क्विंट से बातचीत में बुधवार की घटना को याद करते हुए बताती हैं,
"दोपहर डेढ़ बजे के करीब रतन सिंह ने मेस में आकर नॉनवेज खाने को लेकर हंगामा शुरू किया था. वो फिश करी फेंकने जा रहा था. इस दौरान जब मैंने उसे रोकने की कोशिश की तो उसने मुझे जोर से धक्का दिया. इसके बाद मेरे दोस्त सुदीप्तो ने बीच-बचाव की कोशिश तो रतन सिंह ने उसको मारना शुरू कर दिया. फिर जब मैं उसे रोकने लगी तो उसने मेरे साथ मारपीट और मुझे गलत तरीके से छुआ."
मेस सचिव यशदा के मुताबिक, हर बुधवार के दिन मेन्यू के हिसाब से मेस में फिश करी बनता है. इसलिए उस दिन भी बना था. जिन लोगों ने व्रत किया था उनके लिए लंच में साबूदाने की खिचड़ी बनी थी. वेज खाने वालों के लिए पनीर की व्यवस्था थी. बता दें कि एसएयू में मेस छात्रों द्वारा संचालित होता है.
आरोपों पर क्या बोले रतन सिंह?
द क्विंट से बीतचीत में रतन सिंह ने यशदा के आरोपों से इनकार किया है. बल्कि उन्होंने सुदीप्तो दास पर मारपीट का आरोप लगाया है. वो दावा करते हुए कहते हैं, "इस लकड़ी (यशदा) ने पहले से कह रखा था कि वो शिवरात्रि के दिन समस्या खड़ी करेगी."
वो कहते हैं, "जब मैं डेढ़ बजे लंच करने गया तो मैंने देखा कि व्रत कर रहे छात्र खाना नहीं खा रहे थे. पूछने पर पता चला कि सात्विक भोजन के साथ मछली रखी हुई थी. जब मैंने मेस मैनेजर से इस बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि मेस सचिव ने जबरदस्ती मुझे यहां मछली रखने के लिए कहा था. मैं उस लकड़ी से बात भी नहीं कर रहा था."
"मैंने फिश करी हटाने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने इसे हटवाने से मना कर दिया. फिर मैंने डीन को बुलाने के लिए कहा, जिसपर वो लोग चिढ़ गए. इस दौरान सुदीप्तो दास ने मेरे ऊपर हाथ उठा दिया. वहीं यशदा ने हम लोगों पर फिश करी फेंकना शुरु कर दिया. उन लोगों ने हमारे साथ मारपीट भी की है."
रतन बताते हैं कि उन्होंने पूरे मामले को लेकर यूनिवर्सिटी प्रशासन से शिकायत की है. हालांकि, उन्होंने पुलिस से कोई कंप्लेन नहीं की है. ABVP से जुड़े होने की बात को भी उन्होंने खारिज किया है.
यशदा के मुताबिक, उन्होंने कैटकॉलिंग के मामले में पहले भी रतन सिंह के खिलाफ यूनिवर्सिटी प्रशासन से शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. हालांकि, रतन सिंह का दावा है कि झूठी शिकायत करने पर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने यशदा को सस्पेंड किया था.
SFI और ABVP आमने-सामने
एबीवीपी ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा, "एबीवीपी परिसर में वैचारिक आतंकवाद का सामना कर रहे प्रत्येक छात्र के साथ खड़ी है!"
द क्विंट से बातचीत में एबीवीपी के प्रदेश सचिव सार्थक शर्मा ने कहा, "हमारा मानना है कि भारत में खाद्य विविधता है. सभी को अपने-अपने हिसाब से भोजन की स्वतंत्रता है. लेकिन शिवरात्रि जैसे महापर्व पर लेफ्ट के लोगों ने सात्विक भोजन के साथ नॉनवेज परोसने का काम किया है. जब स्टूडेंट्स ने अपनी आवाज उठाई तो उन्हें पीटा गया."
उन्होंने आगे कहा, "विद्यार्थी परिषद व्रत करने वाले एसएयू के सभी छात्रों के साथ है और लेफ्ट के लोगों के खिलाफ यूनिवर्सिटी प्रशासन से कार्रवाई की मांग करते हैं."
स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) ने एक बयान में एबीवीपी के सदस्यों पर हिंसा भड़काने और दूसरे छात्रों पर अपनी आहार संबंधी पसंद थोपने का आरोप लगाया है. बयान में कहा गया, "एबीवीपी के सदस्यों ने विश्वविद्यालय मेस में छात्रों पर इसलिए क्रूरतापूर्वक हमला किया क्योंकि उन्होंने महाशिवरात्रि पर मांसाहारी भोजन न परोसने की उनकी कठोर और अलोकतांत्रिक मांग को मानने से इनकार कर दिया."
SFI ने विश्वविद्यालय प्रशासन से कार्रवाई की मांग की है और इस घटना को धर्मनिरपेक्षता और छात्र अधिकारों पर हमला बताया है.
यूनिवर्सिटी और पुलिस ने क्या कहा?
यूनिवर्सिटी के पीआरओ ओपी यादव ने कहा, "यूनिवर्सिटी प्रशासन मामले की जांच कर रहा है. डीन ऑफ स्टूडेंट्स और प्रॉक्टर मामले को देख रहे हैं. बच्चों के बीच इस तरह की चीजें हो जाती हैं, लेकिन प्रशासन देख रहा है कि इसमें किसकी गलती है."
यशदा ने बताया कि उन्होंने मैदानगढ़ी पुलिस स्टेशन में शिकायत दी है. वहीं मैदानगढ़ी थाने के एसएचओ ने बताया कि "यूनिवर्सिटी प्रशासन अपने स्तर पर मामले की जांच कर रहा है. फिलहाल, कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है."
यशदा के मुताबिक, बुधवार को उन्होंने फोन कर पुलिस को बुलाया था. वो करीब दो घंटे तक थाने में थी. पुलिस ने उनका बयान दर्ज किया था. मेडिकल के लिए उन्हें एम्स ले जाया गया था.
हजारीबाग में क्या हुआ?
घटना इचाक प्रखंड के डुमरौन गांव की है. पुलिस के मुताबिक, महाशिवरात्रि पर उर्दू स्कूल के सामने लाउडस्पीकर लगाने को लेकर विवाद हुआ था. दरअसल, हिंदू पक्ष स्कूल के सामने स्थायी रूप से स्पीकर लगाने के लिए अड़ा हुआ था.
द क्विंट से बातचीत में इचाक थाना प्रभारी ने संतोष कुमार ने बताया, "लाउडस्पीकर लगाने के लिए अनुमति नहीं ली गई थी. हालांकि, महाशिवरात्रि के पर्व को देखते हुए एक-दो दिन के लिए स्पीकर लगाने के लिए कहा जा रहा था. लेकिन एक पक्ष की ओर से स्थायी रूप से स्पीकर लगाने की बात कही जा रही थी. लेकिन हमारा कहना था कि सरकारी जमीन पर बिना अनुमित के स्थायी तौर पर स्पीकर नहीं लगा सकते."
वो आगे बताते हैं, "हिंदू पक्ष से इसको लेकर बातचीत चल रही रही थी कि उर्दू स्कूल के पीछे से किसी ने ईंटा चला दिया. जिसके बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई."
पुलिस के मुताबिक, पथराव की घटना के बाद हिंदू पक्ष के लोगों ने तीन बाइक और एक कार में आग लगा दी. वहीं एक दुकान को भी जलाने की कोशिश की गई.
45 नामजद लोगों के खिलाफ FIR
पुलिस ने इस मामले में 45 नामजद और 200 अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR किया है. इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें से 2 हिंदू पक्ष के हैं.
पुलिस ने BNS की धारा 191 (1) (दंगा), 191 (2) (गैरकानूनी सभा में हिंसा), 190 (गैरकानूनी सभा), 132 (लोक सेवक को रोकना), 196 (समुदायों के बीच दुश्मनी बढ़ाना), 299 (जानबूझकर किसी धर्म व उससे जुड़ी चीजों को ठेस पहुंचाना), 296 (अश्लील गाना या बोलना), 326 (ए) (किसी व्यक्ति की संपत्ति को जान-बूझकर नुकसान पहुंचाना) के तहत मामला दर्ज किया गया है. इसके अलावा पुलिस ने BNS की धारा 326 (बी), 324 (5), 125 (ए), 125 (बी) और 61 भी लगाया है.
हिंसा की घटना पर झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने कहा, "एसपी को उन्हें निर्देश दिया है कि हजारीबाग में लोगों से चतुराई से निपटें. असामाजिक तत्व, आरएसएस मानसिकता और कट्टरपंथी विचारधारा के लोग नफरत फैला रहे हैं. केस दर्ज किया जाएगा और दोनों पक्षों के लोग जेल जाएंगे. इससे बीजेपी को फायदा होगा. जिन्होंने ऐसा किया है, हम उन्हें नहीं छोड़ेंगे. उन्होंने वहां के मुसलमानों को कमजोर समझा है."
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट किया, "झारखंड, विशेषकर हजारीबाग में हिंदुओं के पर्व त्योहार पर हिंसा का यह पहला मामला नहीं है. विगत कुछ सालों के दौरान रामनवमी, नवरात्रि, सरस्वती पूजा और महाशिवरात्रि के त्योहार में लगातार सुनियोजित साजिश के तहत समुदाय विशेष द्वारा हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है."