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'जब सब चले जाएंगे तो परिवार का क्या होगा': MP पेशाब कांड का पीड़ित क्यों डरा है?

MP Urination Case: दशमत और उनकी पत्नी आशा दोनों ने भविष्य में अपनी सुरक्षा के बारे में चिंता व्यक्त की.

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मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सीधी जिले के कुबरी गांव में दिहाड़ी मजदूर दशमत रावत (35 वर्ध) के कच्चे मकान के बाहर लोगों की भीड़ लगी थी. वो एक कोने पर खड़ा होकर लोगों को देख रहा था. इस दौरान 'द क्विंट' से बात करते हुए दशमत ने कहा, "आज सरकार ने हमें न्याय सुनिश्चित किया है, लेकिन एक बार जब सारा ध्यान हट जाएगा, तो हमारा क्या होगा? मुझे अपने भविष्य का डर है."

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बीजेपी कार्यकर्ता प्रवेश शुक्ला द्वारा कथित तौर पर उन पर पेशाब करने का वीडियो वायरल होने के कुछ दिनों बाद गुरुवार, 6 जुलाई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात के बाद से दशमत आधे खुश और आधे डरे हुए हैं.

मुख्यमंत्री से मुलाकात से पहले दो दिन तक वह सीधी प्रशासन के साथ थे, जबकि उनकी पत्नी आशा बीमार होने के कारण चिंतित थीं कि वह कहां हैं.

जैसे ही उन्होंने द क्विंट से बात करने के लिए कुर्सी खींची, दशमत के घर पर ग्रामीणों, पुलिस अधिकारियों, आशा कार्यकर्ताओं, पंचायत स्तर के अधिकारियों और पत्रकारों की भीड़ उमड़ पड़ी.

घटना 2020 की है. रात के करीब 10 बजे थे और मैं एक दुकान के बाहर सीढ़ियों पर बैठा था, तभी वह (प्रवेश शुक्ला) आया और मेरे ऊपर पेशाब कर दिया. मैंने ऊपर देखा ही नहीं. मैंने उस वक्त उसका चेहरा भी नहीं देखा था. और मैंने इस बारे में किसी से बात नहीं की.
दशमत रावत

दशमत की पत्नी आशा, जो पहले तो रिपोर्टर से बात करने से झिझक रही थीं, ने द क्विंट को बताया कि उन्हें घटना के बारे में तब पता चला जब उनके पति 3 जुलाई की रात को वापस नहीं लौटे.

वीडियो देखने के बाद मुझे लगा कि मेरे पति को क्या हो रहा है? वह एक आम आदमी हैं जो प्रतिदिन 100-200 रुपये कमाता हैं. वह कभी किसी को काम के लिए 'ना' नहीं कहते और उनका कोई दुश्मन भी नहीं है. उनके साथ जो कुछ भी हुआ वह गलत है. ऐसा किसी के साथ नहीं होना चाहिए.
आशा, दशमत रावत की पत्नी

'सुरक्षा को लेकर चिंतित, सामान्य स्थिति चाहते हैं'

दशमत और आशा दोनों ने भविष्य में अपनी सुरक्षा के बारे में चिंता व्यक्त की, भले ही वे सामान्य स्थिति के लिए तरस रहे हों.

सरकार ने हमें न्याय सुनिश्चित किया है. हम उनकी मदद से आरोपियों तक पहुंचे, लेकिन गांव में हम बराबर के नहीं हैं. हम कभी नहीं होंगे, और इसलिए मैं अपने भविष्य, अपने पति और अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हूं.
आशा, दशमत रावत की पत्नी

मुख्यमंत्री द्वारा उनकी सुरक्षा के बारे में आश्वस्त किये जाने के बावजूद दशमत के परिवार की चिंताएं बरकरार हैं.

दशमत ने पूछा, "जब सुरक्ष बल चले जाएगे, तो हमें पीटे जाने का खतरा होगा. मेरे तीन बच्चे हैं. उनके साथ क्या होगा?"

एक ग्रामीण, जो दशमत के घर उसके साथ एकजुटता दिखाने के लिए आया था, ने द क्विंट को बताया कि जातिवाद उनके गांव में जीवन का तरीका है- और यह घटना "सिर्फ एक उच्च जाति के व्यक्ति द्वारा अपनी सामाजिक स्थिति का दिखावा करने के कारण हुई थी". दशमत कोल जनजाति का सदस्य हैं, जो राज्य के विंध्य क्षेत्र का सबसे बड़ा आदिवासी समुदाय है.

हर कोई सोच रहा है कि न्याय की जीत हुई है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हमारे साथ दोयम दर्जे के नागरिक जैसा व्यवहार सदियों से हमारे जीवन का हिस्सा रहा है. हमारे समाज का तरीका जातिवादी है और हमारे क्षेत्र में उच्च जाति के पुरुष और महिलाएं भगवान हैं, जबकि हमारे जैसे निम्न वर्ग के लोग उनके सेवक हैं.
ग्रामीण

आशा ने आगे कहा कि वह चाहती हैं कि सभी चीजें वैसी ही हो जाएं जैसी इस वीडियो के वायरल होने से पहले थीं और उन्होंने सामान्य स्थिति का अनुरोध किया.

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हम लिए गए एक्शन से खुश हैं. हम चाहते हैं कि देश में अब शांति हो और सब कुछ सामान्य स्थिति में आ जाए.
आशा, दशमत रावत की पत्नी

आरोपी के परिवार, स्थानीय लोगों ने बुलडोजर एक्शन की निंदा की

द क्विंट ने आरोपी प्रवेश शुक्ला के परिवार से भी बात की, जिनका घर वायरल वीडियो के मद्देनजर तोड़ दिया गया था.

शुक्ला, जो कथित तौर पर बीजेपी विधायक केदारनाथ शुक्ला के सहयोगी हैं, को 4 जुलाई की रात को गिरफ्तार किया गया था, और एससी/एसटी अधिनियम और कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत आरोप लगाए गए थे.

द क्विंट को प्रवेश के पिता रमाकांत शुक्ला ने बुलडोजर एक्शन की वैधता पर सवाल उठाते हुए कहा:

अगर मेरा बेटा दोषी है, तो आप उसे फांसी पर लटका दीजिए, कानूनी दायरे में जो भी इजाजत हो वो कीजिए, लेकिन हमें कष्ट क्यों पहुंचाएं? यह मेरी मेहनत की कमाई से बनाया गया घर था, जमीन मेरी पुश्तैनी जमीन है. प्रवेश ने इस घर में एक पैसा भी निवेश नहीं किया था, फिर भी इसे तोड़ दिया गया. मेरे परिवार के सभी सदस्य सदमे में हैं, बच्चे डरे हुए हैं, क्या यह न्याय है?

5 जुलाई को "अवैध निर्माण" का हवाला देते हुए घर का लगभग एक-तिहाई हिस्सा ध्वस्त कर दिया गया, रमाकांत ने आरोप लगाया कि उनके दरवाजे पर बुलडोजर आने से पहले उन्हें 24 घंटे का नोटिस दिया गया था.

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उन्होंने 4 जुलाई की रात प्रवेश को गिरफ्तार कर लिया. अगली सुबह मुझे एक नोटिस थमाया गया जिसमें कहा गया कि मैंने अवैध रूप से अपना घर बनाया है और मेरे पास अवैध निर्माण हटाने के लिए 24 घंटे का समय है. कुछ ही घंटों में मेरा घर ध्वस्त कर दिया गया. यह मेरे परिवार के साथ घोर अन्याय है. प्रवेश के मामले में हमें सजा नहीं मिलनी चाहिए, हमने कुछ भी गलत नहीं किया.
रमाकांत शुक्ला, प्रवेश के पिता

द क्विंट ने सीधी में विभिन्न समुदायों के कई लोगों से बात की और पीड़ित परिवार और अन्य आदिवासियों सहित सभी ने आरोपी के परिवार के घर को ध्वस्त करने की निंदा की.

कोल समुदाय के एक आदिवासी सदस्य ने नाम न बताने का अनुरोध करते हुए कहा:

हम प्रवेश के लिए कड़ी से कड़ी सजा चाहते हैं, लेकिन उसके परिवार के लिए कुछ नहीं. उनका घर उजाड़ना गलत है. यह एक और अपराध है. बारिश का मौसम है. हम यहां एक पक्षी का घोंसला भी नहीं तोड़ते और हम बात कर रहे हैं इंसानों के एक पूरे परिवार की, जिसका घर टूट गया है. मैं फिर कहूंगा, अपराधी को सजा दो, अपराध को नहीं.
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