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'हम मजदूर ही रहेंगे': MP पटवारी परीक्षा में धांधली के आरोप, नियुक्ति पर लगी रोक

MP Patwari Pariksha: निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर कई अभ्यर्थियों ने इंदौर कलेक्टोरेट के सामने धरना दिया

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मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) कर्मचारी चयन बोर्ड (एमपीईएसबी) द्वारा आयोजित पटवारी परीक्षा के परिणामों में कथित अनियमितताओं को लेकर राज्य भर में विरोध प्रदर्शन हो रहा है. इस बीच, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पटवारी परीक्षा को लेकर होने वाली सारी नियुक्तियों पर रोक लगा दी है. उन्होंने कहा है कि परिणाम की फिर से जांच की जाएगी.

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वहीं, गुरुवार (13 जुलाई) को द क्विंट ने राजगढ़ जिले के बकानी गांव की निवासी नीतू राजपूत से बात की. नीतू ने कहा, "जो लोग पात्र नहीं हैं उन्हें नौकरी मिल रही है. इस बीच, हम मजदूर बनकर रहेंगे."

मैं 21 मार्च को पटवारी परीक्षा के लिए उपस्थित हुई. जैसा कि कंप्यूटर स्क्रीन पर दिख रहा था, मैंने 157 अंक (200 में से) हासिल किए. लेकिन मेरा अंतिम परिणाम 86.1 था. मेरे सारे अंक कहां गए?
नीतू राजपूत, अभ्यर्थी

नीतू पिछले चार वर्षों से पटवारी परीक्षा की तैयारी कर रही हैं. उन्होंने कहा कि उनके पिता किसान हैं और वो सबसे बड़ी बेटी हैं.

बता दें कि पटवारी वह व्यक्ति होता है, जो ग्राम रजिस्ट्रार या लेखाकार के पद पर कार्य करता है.

लेकिन नीतू अकेली नहीं हैं. वह उन हजारों छात्रों में शामिल हैं, जिन्होंने ग्रेड 2, सब-ग्रेड 4 और पटवारी रिक्तियों के अंतिम परिणामों में अनियमितता के आरोप लगाए हैं.

उन्होंने नतीजों को रद्द करने और मामले की जांच की मांग को लेकर गुरुवार को इंदौर कलेक्टोरेट के सामने धरना दिया.

CM शिवराज ने नियुक्तियों पर लगाई रोक

पटवारी परीक्षा को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा, "कर्मचारी चयन मंडल द्वारा समूह-2, उप समूह-4 एवं पटवारी भर्ती परीक्षा के परीक्षा परिणाम में एक सेन्टर के परिणाम पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है. इस परीक्षा के आधार पर की जाने वाली नियुक्तियां अभी रोक रहा हूं. सेंटर के परिणाम का पुनः परीक्षण किया जाएगा."

क्या है पूरा मामला?

भर्ती प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार राज्य निकाय को लगभग 6,000 रिक्तियों के लिए 12.34 लाख आवेदन प्राप्त हुए.

पटवारी परीक्षा 15 मार्च से 26 अप्रैल 2023 के बीच ऑनलाइन आयोजित की गई थी. इसमें 9.74 लाख उम्मीदवार उपस्थित हुए. एमपीईएसबी (MPESB) की परीक्षा का आयोजित बेंगलुरु स्थित कंपनी एडुक्विटी करियर टेक्नो प्राइवेट लिमिटेड ने किया था.

30 जून को परिणाम घोषित होने के बाद, छात्रों ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि उन्हें सामान्यीकरण/जनरलाइजेशन के बाद कम अंक मिले हैं.

जैसे ही छात्रों ने अंतिम परीक्षा परिणामों पर अपनी नाराजगी व्यक्त करना शुरू किया, कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने कथित घोटाले की हाई लेवल जांच की मांग की.

कांग्रेस ने क्या कहा?

बुधवार, 12 जुलाई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, अरुण यादव ने आरोप लगाया कि 10 में से सात टॉपर्स ने एक ही सेंटर पर परीक्षा दी, जिसका नाम ग्वालियर में एनआरआई कॉलेज है, जो कथित तौर पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) विधायक संजीव कुशवाह का है.

कांग्रेस नेता ने यह भी आरोप लगाया कि हिंदी में हस्ताक्षर करने वाले टॉपर्स ने अंग्रेजी में पूरे अंक (25/25) हासिल किए थे.

10 में से सात टॉपर ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से हैं, जो 2021 में कृषि अधिकारी भर्ती परीक्षा घोटाले के समान है, जिसमें सभी टॉपर न केवल एक ही क्षेत्र के थे, बल्कि उनकी जाति, उनके कॉलेज और शैक्षणिक प्रदर्शन भी समान थे. उन्होंने परीक्षा में भी इसी तरह की गलतियां कीं, जिसे जांच के बाद कैंसिल कर दिया गया.
अरुण यादव, कांग्रेस नेता
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पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने बीजेपी पर लाखों छात्रों का भविष्य बर्बाद करने और आर्थिक लाभ के लिए कुछ छात्रों को दूसरों से ज्यादा तरजीह देने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो वह यह सुनिश्चित करने के लिए एक सख्त कानून का मसौदा तैयार करेगी कि भर्ती अभियान में ऐसे 'घोटाले' दोबारा न हों.

छात्रों ने निष्पक्ष जांच की मांग की

इंदौर कलेक्टरेट के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों में से एक शुभांगी पाटिल ने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की और परीक्षा में टॉप करने वाले छात्रों से "बाहर आकर मीडिया का सामना करने" के लिए कहा.

10 टॉपर्स में से सात एक ही कॉलेज से हैं और जो छात्र अंग्रेजी में साइन नहीं कर सके, उन्होंने विषय में पूरे अंक प्राप्त किए हैं. बोर्ड द्वारा सही प्रश्न छोड़ दिये गये. यदि जिन्होंने टॉप किया वे वास्तव में इसके हकदार हैं, तो वे कहां हैं, वे बाहर क्यों नहीं आ रहे हैं? हम मामले की निष्पक्ष जांच चाहते हैं क्योंकि यह हमारे भविष्य का मामला है.
शुभांगी पाटिल, अभ्यर्थी

विवादों से MPESB का पुराना नाता

MPESB, जिसे पहले व्यापम के नाम से जाना जाता था, का एक विवादास्पद इतिहास रहा है.

इसने 2015 और 2022 के बीच 106 परीक्षाएं आयोजित की थीं और इनमें से 24 परीक्षाओं में अनियमितताएं पाई गईं, जिसके कारण अधिकारियों और व्यक्तियों के खिलाफ 1,000 से अधिक एफआईआर हुईं.

एमपीईएसबी ने 2014-15 से आवेदन शुल्क में 607 करोड़ रुपये से अधिक एकत्र किया है.

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व्यापम पर 2013-14 में मेडिकल कॉलेजों की प्रवेश परीक्षाओं में धांधली का आरोप लगाया गया था और इस घोटाले में व्यापक भ्रष्टाचार उजागर हुआ था, जिसमें उम्मीदवारों को अनुकूल परिणाम के लिए रिश्वत देनी पड़ी थी. इसमें बीजेपी के वरिष्ठ नेता भी शामिल थे.

हालांकि, हालिया आरोपों से बीजेपी नेता और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इनकार किया है.

परिणाम मई और जून में घोषित किए गए थे. लेकिन किसी ने शिकायत नहीं की. जब विधानसभा सत्र चल रहा है तो कांग्रेस हंगामा कर रही है. जो लोग ट्वीट कर रहे हैं वे भी कांग्रेस से जुड़े हुए हैं.
नरोत्तम मिश्रा, गृह मंत्री, एमपी

बीजेपी ने कांग्रेस पर उठाये सवाल

भर्ती परीक्षाओं में अनियमितता की किसी भी संभावना से इनकार करते हुए, नरोत्तम मिश्रा ने कहा, "कुल 114 प्रतिभागियों ने उस विशेष केंद्र (ग्वालियर कॉलेज) में पटवारी परीक्षा उत्तीर्ण की है, फिर केवल सात टॉपर्स के बारे में सवाल क्यों उठाया जा रहा है?"

'जांच की मांग करना मजाक'

उनके बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए, मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने कहा, "व्यापमं, नर्सिंग, कांस्टेबल भर्ती, कृषि अधिकारी और अन्य घोटाले शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश सरकार के हस्ताक्षर बन गए हैं. जांच की मांग करना भी इसके लिए एक मजाक है." सरकार अंततः सरगना को बचा रही है. मैं एक स्वतंत्र एजेंसी से जांच की मांग करता हूं."

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