ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स (Netflix) पर 25 नवंबर को रिलीज हुई खाकी द बिहार चैप्टर (Khaki: The Bihar Chapter) वेब सीरीज विवादों में घिर चुकी है. इसकी रिलीज के बाद सीनियर आईपीएस ऑफिसर अमित लोढ़ा (Amit Lodha) पर एफआईआर दर्ज हुई है और उन पर कई तरह के आरोप लगाए गए हैं. आइएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक आईपीएस ऑफिसर को निलंबित कर दिया गया है.
क्या है पूरा मामला?
रिपोर्ट के मुताबिक नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई फिल्म ‘द बिहार चैप्टर’ एक किताब पर आधारित है, जिसको आईपीएस अमित लोढ़ा ने लिखा है.
ईओयू के एडीजीपी नय्यर हसनैन खान के मुताबिक एक प्रोडक्शन कंपनी ने अमित लोढ़ा की किताब पर आधारित खाकी नाम से एक वेब सीरीज बनाई है और उनकी पत्नी के बैंक खाते में पैसा आया है.
पुलिस महानिरीक्षक लोढ़ा पर संघ लोक सेवा आयोग कानून की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. साथ ही लोढ़ा ने किताब लिखने से पहले पुलिस मुख्यालय से अनुमति नहीं ली थी और इसके कंटेंट को वेब सीरीज में इस्तेमाल किया गया.
बिहार पुलिस की आर्थिक विशेष यूनिट ने अमित लोढ़ा के खिलाफ कथित तौर पर एक फिल्म निर्माण कंपनी से पैसे लेने का आरोप लगाया है. एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी.
एफआईआर में क्या है?
अमित लोढ़ा पर हुए एफआईआर में कहा गया है कि "अवैध रूप से अर्जित धन के लेन-देन" को सुविधाजनक बनाने के लिए फर्म और कौमिडी के बीच एक समझौता हुआ था.
आरोपों पर क्या बोले अमित लोढ़ा?
अमित लोढ़ा ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा कि कभी-कभी जीवन आपको सबसे कठिन चुनौतियों का सामना कर सकता है, खासकर जब आप सही होते हैं. इस दौरान आपके चरित्र की ताकत दिखाई देती है. विजयी होने के लिए आपकी प्रार्थना और समर्थन की आवश्यकता है."
उन्होंने क्विंट से बात करते हुए कहा कि जिसका एक अच्छा करिअर रिकॉर्ड रहा है. कई मेडल्स मिले हैं, उत्कर्ष सेवा मेडल मिले, इंटर्नल सेक्योरिटीज मेडल मिले...कभी जिंदगी में कुछ गलत काम नहीं किया है तो कैसे अब गलत काम कर दूंगा. मैं इस पर कुछ बोलना नहीं चाहता, मैंने कुछ गलत नहीं किया है, मुझे खुद और सिस्टम पर पूरा भरोसा है.
“भ्रष्टाचार का मामला”
पूर्व आईपीएस ऑफिसर अमिताभ दास ने क्विंट से बात करते हुए कहा कि जितने भी सरकारी अधिकारी होते हैं चाहे वो आईपीएस हों, आईएएस हों या कोई और हों...उनके कुछ सेवा नियम होते हैं, उसमें एक नियम ये है कि ऑफिसर सेवा में रहते हुए किसी भी प्राईवेट कंपनी से भुगतान नहीं ले सकता है.
उन्होंने आगे कहा कि एफआईआर कॉपी में भुगतान की पूरी जानकारी तारीख के साथ दी गई है. इससे ये एक गंभीर केस है और इसमें भ्रष्टाचार का मामला बनता है.
इसमें गिरफ्तारी हो सकती है और कई साल की सजा सुनाई जा सकती है क्योंकि यहां पर सिर्फ किताब नहीं लिखी गई है बल्कि उस पर फिल्म बनी और एक प्राईवेट कंपनी के जरिए ऑनलाइन ट्रांजैक्शन हुआ है जोकि गलत है.अमिताभ दास, पूर्व आईपीएस ऑफिसर
कौन हैं अमित लोढ़ा?
आईपीएस अमित लोढ़ा का जन्म जयपुर में हुआ था और दिल्ली IIT में पहले ही प्रयास में एंट्रेंस एग्जाम क्रैक कर लिया था. हालांकि, आईआईटी का अनुभव अच्छा नहीं था, उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि वह आईआईटी में एक हीन भावना से पीड़ित होने लगे. और उन्हें इसमें फिट होना काफी मुश्किल लगता था.
अमित ने आईआईटी छोड़ा और 1998 में आईपीएस बने. लोगों से जुड़ाव की वजह से अमित लोढ़ा एक नामी ऑफिसर बन गए. अमित लोढ़ा को उनके अब तक के करियर में कई ऑपरेशनों के लिए प्रतिष्ठित राष्ट्रपति के पुलिस पदक, वीरता के लिए पुलिस पदक और आंतरिक सुरक्षा पदक से सम्मानित किया गया.
अमित लोढ़ा की किताब बिहार डायरीज में उन्होंने गिरोह का पीछा किया. यह किताब नेटफ्लिक्स सीरीज़, खाकी द बिहार चैप्टर की प्रेरणा है. वर्तमान में, 48 वर्षीय आईपीएस अधिकारी बिहार के आईजीपी (पुलिस महानिरीक्षक) हैं.