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कश्मीर: “मां को वैक्सीन दिलवाने के लिए हम अस्पतालों में भटक रहे’’

कोरोना का दूसरी लहर से जम्मू-कश्मीर भी अछूता नहीं है, लेकिन, कश्मीर में वैक्सीन की कमी देखने को मिल रही है.

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“कोई आइडिया नहीं है कि वैक्सीन कब उपलब्ध होगी.”

मई से, हमें कश्मीर में अस्पताल स्टाफ और मेडिकल वर्कर्स से यही जवाब मिल रहा है. मैं और मेरा भाई अपनी मां को कोविड वैक्सीन लगवाना चाहते हैं.

कोरोना का दूसरी लहर से जम्मू-कश्मीर भी अछूता नहीं है. आवाजाही पर रोक के साथ-साथ, हम वैक्सीन के जरिये ही कोविड को हरा सकते हैं. लेकिन, कश्मीर में वैक्सीन की कमी है. कश्मीर न्यूज ऑब्जर्वर (KNO) के डेटा के मुताबिक, 16 मई को कश्मीर में कोई वैक्सीनेशन नहीं हुआ. NDTV ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि बीते हफ्ते कश्मीर को वैक्सीन का कोई कंसाइनमेंट नहीं मिला है. हमें नहीं मालूम कि ये इंतजार कितना लंबा चलेगा. KNO के मुताबिक, जम्मू में 8,750 लोगों को वैक्सीन लगी है.

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देश में कोरोना वायरस के बढ़ते केसों के बीच, वैक्सीन की कमी की खबरें और टेंशन दे रही हैं. मेरी मां के अलावा, कई ऐसे लोग होंगे जो वैक्सीन के इंतजार में हैं.

29 अप्रैल को, मेरे भाई ने हमारी 60 साल की मां के लिए CoWIN वेबसाइट पर स्लॉट बुक किया. काफी मशक्कत के बाद, हमें 5 मई का स्लॉट मिला, लेकिन, दिन आने पर मेरे भाई को मैसेज आया कि वैक्सीनेशन कैंसल हो गया है. इसके बाद से, हम हमारी मां को वैक्सीन लगवाने के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं.

हम अपॉइनमेंट की उम्मीद में दो सरकारी वैक्सीनेशन सेंटर भी गए. उन्होंने कुछ दिन तक हमें डेट्स दीं, लेकिन हम जब भी जाते, वो एक ही जवाब देते - “वैक्सीन अभी नहीं आई.”

17 मई को, मुझे एक वैक्सीनेशन सेंटर से कॉल आया, जिन्होंने बताया कि अभी वैक्सीन नहीं हैं. उन्होंने कहा कि वैक्सीन कब तक उपलब्ध होंगी, इसे लेकर भी कोई जानकारी नहीं है.

उम्मीद हार कर, मैं श्रीनगर के जवाहर नगर में एक सरकारी डिस्पेंसरी पहुंचा, लेकिन मुझे वहां भी यही जवाब मिला. उन्होंने कहा, “अब यहां लोगों को प्राइवेट अस्पतालों में दूसरे ब्रांड के शॉट लगेंगे.

इस परेशानी का सामना करने वाला मैं अकेला नहीं हूं. वैक्सीनेशन सेंटर पर लंबी कतारों में खड़े होने वाले कई लोगों को निराश वापस लौटना पड़ रहा है. मेरे पिता को वैक्सीन का एक डोज लग गया है, लेकिन मेरी मां को वैक्सीन लगवाने के लिए हमें काफी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है.

कोई वैक्सीन की कमी के लिए जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता. वहीं, प्रशासन का कहना है कि पर्याप्त वैक्सीन हैं. क्या डेटा और लोग, दोनों छूठ बोल रहे हैं?

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