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जामिया में PM पर BBC डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग टली, हिरासत में लिए गए कई छात्र

BBC Documentary on PM Modi: Jamia कैंपस के चारों ओर भारी सुरक्षा तैनात, छात्रों को कैंपस खाली करने के लिए कहा गया

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दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) में बुधवार, 25 जनवरी को पीएम मोदी पर BBC की डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' (BBC's documentary India: The Modi Question) की स्क्रीनिंग को लेकर बवाल मचा. डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का आयोजन जामिया की स्टूडेंटस फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) की यूनिट द्वारा शाम 6 बजे तय किया गया था. लेकिन स्क्रीनिंग से घंटों पहले पहले कैंपस के चारों ओर भारी सुरक्षा तैनात की गई और और कई छात्रों को हिरासत में ले लिया गया. ऐसे में BBC डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग टाल दी गयी.

दिल्ली पुलिस ने कहा है कि

"जामिया के छात्रों के एक समूह द्वारा आज यूनिवर्सिटी के अंदर बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का आयोजन किया जाना था, जिसे यूनिवर्सिटी के प्रशासन द्वारा अनुमति नहीं दी गई थी. यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पुलिस को सूचित किया कि कुछ छात्र सड़कों पर हंगामा कर रहे थे और इसलिए इलाके में शांति सुनिश्चित करने के लिए शाम 4 बजे के आसपास कुल 13 छात्रों को हिरासत में लिया गया."

बुधवार की दोपहर को जब द क्विंट ने जामिया कैंपस का दौरा किया, तो कैंपस में एंट्री गेट को बंद कर दिया गया था और कैंपस के अंदर की सभी कैंटीनों को बंद कर दिया गया.

जामिया में MA कन्वर्जेंट जर्नलिज्म के फर्स्ट ईयर की छात्रा शाबा मंजूर ने द क्विंट को बताया, “आज हमारी रेगुलर क्लास थी. हम लंच के लिए बाहर गए क्योंकि सभी कैंटीन बंद थीं लेकिन जब हम लौटे तो गेट भी बंद थे. हमें अंदर नहीं जाने दिया गया."
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शाबा मंजूर ने आगे द क्विंट से कहा, "हमने गार्ड के साथ बातचीत करने की कोशिश की कि हमारी अटेंडेंस प्रभावित होगी लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं मानी. हमारे प्रोफेसर इस समय कुछ छात्रों के साथ क्लास ले रहे हैं लेकिन हम अंदर नहीं जा पा रहे हैं. गार्ड बिना उचित कारण बताए हमें जाने के लिए कह रहे हैं."

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    (फोटो- द क्विंट)

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    (फोटो- द क्विंट)

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    (फोटो- द क्विंट)

बिना परमिशन के स्क्रीनिंग नहीं होगी- जामिया प्रशासन

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रशासन ने नोटिस जारी कर कहा है, "यूनिवर्सिटी ने दोहराया है कि बिना अनुमति के कैंपस में छात्रों की मीटिंग या किसी भी फिल्म की स्क्रीनिंग की अनुमति नहीं दी जाएगी. निहित स्वार्थ वाले लोगों/संगठनों को शांतिपूर्ण शैक्षणिक माहौल को खराब करने से रोकने के लिए यूनिवर्सिटी सभी उपाय कर रही है."

पहले JNU में हुआ था बवाल, स्क्रीनिंग से पहले लाइट कटी, पथराव के आरोप 

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में एक दिन पहले स्टूडेंट यूनियन द्वारा आयोजित इसी तरह की स्क्रीनिंग के पहले बिजली कटने और इंटरनेट बंद होने की खबर आई. हालांकि इसके बावजूद भी छात्र अपने फोन स्क्रीन और लैपटॉप पर इस डॉक्यूमेंट्री को देखते रहे. हालांकि कुछ छात्रों ने आरोप लगाया कि स्क्रीनिंग वाले वेन्यू पर दूसरे गुट ने पथराव किये थे.

जेएनयू प्रशासन ने डॉक्यूमेंट्री दिखाए जाने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी थी, यह कहते हुए कि इस कदम से परिसर में शांति और सद्भाव भंग हो सकता है.

सरकार ने डॉक्यूमेंट्री को कहा है 'प्रोपेगेंडा पीस'

इस डॉक्यूमेंट्री को भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा "ऐसा प्रोपेगेंडा पीस जिसमें निष्पक्षता का अभाव था और औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है" के रूप में करार दिया गया था.

हालांकि इसके जवाब में बीबीसी ने लिखा कि वह "दुनिया भर से महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर करने के लिए प्रतिबद्ध" है और इस पर "गंभीरता से रिसर्च" किया गया था और "अलग-अलग तरह की आवाजों, गवाहों और विशेषज्ञों से संपर्क किया गया था, और हमने बीजेपी से जुड़े लोगों की प्रतिक्रियाओं सहित कई तरह की राय पेश की है".

साथ ही केंद्र सरकार ने शुक्रवार को यूट्यूब और ट्विटर को पीएम मोदी पर जारी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' को शेयर करने वाले यूट्यूब वीडियो और ट्वीट्स को हटाने का आदेश दिया था. सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सीनियर एडवाइजर कंचन गुप्ता ने ट्विटर पर खुद इसकी पुष्टि की थी.

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