ADVERTISEMENTREMOVE AD

PGII क्या है? G7 ग्रुप का ये प्रोजेक्ट क्या चीन के BRI का मुकाबला कर पाएगा?

G7 Group द्वारा लॉन्च की गई इस परियोजना को चीन की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ के काउंटर के रूप में देखा जा रहा है.

Updated
story-hero-img
i
Aa
Aa
Small
Aa
Medium
Aa
Large

G7 देशों ने 27 जून को जर्मनी में लीडर्स समिट के दौरान आधिकारिक तौर पर पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड इन्वेस्टमेंट (PGII) प्रोजेक्ट को लॉन्च किया. यह प्रोजेक्ट विकासशील देशों में इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को फंड देने के लिए एक संयुक्त पहल है, जिसे बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड (Build Back Better World) यानी B3W भी कहा जाता है. बता दें कि पिछले साल ब्रिटेन में G-7 देशों की बैठक के दौरान इस प्रोजेक्ट को लाने की योजना बनाई गई थी.

PGII क्या है? G7 ग्रुप का ये प्रोजेक्ट क्या चीन के BRI का मुकाबला कर पाएगा?

  1. 1. PGII क्या है?

    पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड इन्वेस्टमेंट (PGII) प्रोजेक्ट का ऐलान पहली बार जून 2021 में यूके में G7 शिखर सम्मेलन के दौरान हुआ था. उस समय अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसे बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड (B3W) फ्रेमवर्क कहा था. हालांकि उस वक्त योजना की समयावधि या फंडिंग स्रोत के बारे में जानकारियां स्पष्ट नही थीं.

    2013 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ लॉन्च किए जाने के बाद से पश्चिमी देशों को इस पर संदेह है, क्योंकि इसे एशिया और अन्य विकासशील देशों में भू-राजनीतिक प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन की बड़ी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.

    G7 देशों और यूरोपीय संघ ने ग्लोबल स्तर पर चीन द्वारा शुरू और वित्त पोषित की जा रही परियोजनाओं पर गौर किया है और इसके काउंटर में अपना अल्टर्नेटिव मकैनिज्म पेश करने का फैसला लिया है.

    PGII और BRI दोनों का घोषित उद्देश्य वैश्विक व्यापार और सहयोग को बढ़ाने के लिए सड़कों, बंदरगाहों, पुलों, संचार व्यवस्थाओं आदि जैसे महत्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए देशों के लिए सेक्योर फंडिंग में मदद करना है.

    अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यह भी कहा कि फंड का मतलब दान या सहायता नहीं है, बल्कि लोन है, जो दोनों देशों- उधार देने और प्राप्त करने वाले के लिए फायदेमंद होगा.
    Expand
  2. 2. PGII का उद्देश्य क्या है, इसके जरिए किस तरह के प्रोजेक्ट शुरू किए जाएंगे?

    • सभी PGII प्रोजेक्ट्स के जरिए G7 ग्रुप का उद्देश्य जलवायु संकट से निपटना और क्लीन एनर्जी सप्लाई चैन्स के जरिए ग्लोबल एनर्जी सेक्योरिटी सुनिश्चित करना है.

    • इसके जरिए ऐसे प्रोजेक्ट्स शुरू किए जाएंगे, जो डिजिटल इन्फॉर्मेशन एंड कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी (ICT) नेटवर्क को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करेंगी. यह 5जी और 6जी इंटरनेट कनेक्टिविटी और साइबर सेक्योरिटी जैसी तकनीकों को सुविधाजनक बनाती हैं.

    • प्रोजेक्ट्स का उद्देश्य समानता और लैंगिक समानता को आगे बढ़ाना है, इसके अलावा ग्लोबल हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करना है.

    जो बाइडेन ने पीजीआईआई के लिए उन प्रमुख प्रोजेक्ट्स का ऐलान किया है, जो या तो शुरू हो चुकी हैं या शुरू होने वाली हैं. यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (DFC) G7 देशों और EU के साथ Senegal में एक वैक्सीन फेसिलिटी के लिए 3.3 मिलियन डॉलर का तकनीकी सहायता अनुदान डिस्ट्रीब्यूट कर रहा है, जिसमें कोरोना वायरस की लाखों डोज के निर्माण की संभावित वार्षिक क्षमता है.

    भारत में, U.S. DFC, Omnivore Agritech और क्लाइमेट सस्टेनेबिलिटी फंड 3 में 30 मिलियन डॉलर तक का निवेश करेगा, जो भारत में कृषि, खाद्य प्रणालियों, जलवायु और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के भविष्य का निर्माण करने वाले एंटरप्रेन्योर्स में निवेश करता है.

    भारत के अलावा, पश्चिम अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया और दक्षिण अमेरिका के देशों में प्रोजेक्ट्स का ऐलान किया गया है.

    Expand
  3. 3. PGII Vs चीन का BRI

    बेल्ट एंड रोड परियोजना (BRI) को चीन की प्राचीन सिल्क रोड के साथ कनेक्टिविटी, व्यापार और बुनियादी ढांचे को पुनर्जीवित करने के लिए शुरू किया गया था. चीन ने जमीन पर सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट और 21वीं सदी के सिल्क रोड के निर्माण के लिए दोतरफा दृष्टिकोण का ऐलान किया था.

    इस प्रोजेक्ट का शुरू में दक्षिण पूर्व एशिया के साथ संपर्क को मजबूत करने का टारगेट था, लेकिन बाद में दक्षिण और मध्य एशिया, अफ्रीका, यूरोप और लैटिन अमेरिका में विस्तार किया गया. शी जिनपिंग ने अपने बयान में कहा कि यह प्रोजेक्ट एशियन कनेक्टिविटी में आने वाली बाधाओं को खत्म कर देगा.

    G7 ने विशेष रूप से PGII को एक वेल्यू-बेस्ड प्रोजेक्ट के रूप में बताया है, ताकि कम और मिडिल-इनकम वाले देशों को उनके इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिल सके.
    • PGII ने क्लाइमेट एक्शन और क्लीन एनर्जी पर ध्यान केंद्रित किया है जबकि चीन ने सौर, हाइड्रो और पवन ऊर्जा प्रोजेक्ट्स के साथ-साथ BRI के तहत कोयले से चलने वाले बड़े प्लांट बनाए हैं.

    • दूसरी ओर G7 ने 2027 तक 600 बिलियन डॉलर देने का वादा किया है. अमेरिका की फाइनेंसियल सर्विस कंपनी Morgan and Stanly का अनुमान है कि उस समय तक BRI के लिए चीन की कुल फंडिंग 1.2 से 1.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है, जबकि वास्तविक फंडिंग अधिक होगी.

    • PGII के तहत बड़ी निजी पूंजी भी जुटाई जाएगी जबकि चीन का BRI मुख्य रूप से स्टेट-फंडेड है.

    • इसके अलावा BRI को ऐसे समय में भी लॉन्च किया गया था, जब चीन के लोकल कॉन्स्ट्रक्शन फर्मों के पास विकसित चीनी प्रांतों में प्रोजेक्ट्स की कमी थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक बीआरआई प्रोजेक्ट्स में भाग लेने वाले 89% ठेकेदार चीनी हैं.

    • 2019 के दौरान Engineering News Record’s द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक विदेशी रेवेन्यू के आधार पर दुनिया के 10 सबसे बड़े कॉन्सट्रक्शन ठेकेदारों में से सात चीन के थे. बीआरआई प्रोजेक्ट्स में बड़ी संख्या में चीनी कामगार काम कर रहे हैं. 2019 के आखिरी तक अफ्रीका में 1.82 लाख लोग काम कर रहे थे.

    Expand
  4. 4. PGII के ऐलान के बाद चीन की क्या प्रतिक्रिया आई है?

    रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक PGII के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता Zhao Lijian ने कहा कि चीन ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास को बढ़ावा देने के लिए सभी पहलों का स्वागत करता है.

    हम मानते हैं कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस तरह की तमाम पहलें एक-दूसरे की जगह ले लेंगी. हम इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण या बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को धूमिल करने के बहाने जियो-पॉलिटिकल कैलकुलेशन को आगे बढ़ाने का विरोध कर रहे हैं.
    Expand
  5. 5. BRI क्या है?

    चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2013 में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) की शुरुआत की थी. इसका उद्देश्य यूरोप में रोम से पूर्वी एशिया तक चीन से आने-जाने वाले प्राचीन व्यापार मार्गों को पुनर्जीवित करना है.

    इसके तहत चीनी सरकार ने विभिन्न देशों को इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए लोन देने में मदद की और कई मामलों में चीनी कंपनियों को काम करने के लिए ठेके दिए गए. इससे चीन को वैश्विक स्तर पर अपना प्रभाव जमाने में मदद मिली.

    हालांकि, पश्चिमी और कुछ अन्य देशों में चीन की आलोचना उन देशों को अन-सस्टनेबल लोन प्रदान करने के लिए की गई थी, जो उन्हें चुकाने में असमर्थ होंगे.

    2019 में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि

    BRI के लॉन्च के बाद से चीन और BRI में शामिल होने वाले देशों के बीच व्यापार की मात्रा 6 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गई है, जिसमें 80 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का चीनी निवेश है.
    Expand
  6. 6. क्या BRI का मुकाबला कर पाएगा G7 का PGII?

    जी-7 ग्रुप द्वारा लॉन्च की गई परियोजना के बाद ये सवाल उठता है कि क्या ये चीन की बीआरआई परियोजना का मुकाबला कर पाएगा.

    बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ के प्रोफेसर प्रभाकर साहू का कहना है कि चीन का पूरा फोकस अपने एजेंडे पर है और वो अभी काफी आगे चल रहा है. BRI समिट, बोआओ फोरम फॉर एशिया, चाइना सेंट्रल एंड ईस्टर्न यूरोप (CEE) और बेल्ट एंड रोड फोरम जैसे मंचों के जरिये उसने ज्यादा से ज्यादा देशों को BRI के दायरे में लाने और इसकी स्वीकार्यता बढ़ाने की कोशिश की है.

    चीन के BRI के नकारात्मक पहलुओं का मुकाबला करने के लिए निश्चित तौर पर जी-7 द्वारा लाई गई पहल अच्छी है लेकिन ये देर से उठाया गया कदम है. इसमें एक ठोस सोच और योजना की कमी दिखती है. लेकिन देर से ही सही ये कदम सही दिशा में उठाया गया है, अब देखना ये होगा कि इसमें भारत की क्या भूमिका होगी क्योंकि यह शुरू से BRI का कट्टर विरोधी रहा है.
    Expand
  7. 7. G7 ग्रुप के कौन से देश BRI से संबंध रखते हैं?

    अमेरिका बीआरआई की आलोचना करता रहा है. जी-7 के अन्य देशों ने इस पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं.

    • साल 2019 के दौरान इटली BRI का हिस्सा बना, जो G7 ग्रुप का एक सदस्य है.

    • साल 2019 के दौरान ही चीन की इस पॉलिसी को एक विजन के रूप में बताया था, लेकिन ऑफिसियल तौर पर ब्रिटेन BRI का हिस्सा नहीं है.

    • जर्मनी और फ्रांस ने बीआरआई में सीधे तौर पर हिस्सा नहीं लेते हुए भी चीन के साथ रेल नेटवर्क और कनेक्टिविटी के लिए अन्य प्रोजेक्ट्स के निर्माण में भागीदारी की है.

    (इनपुट्स- रॉयटर्स, इंडियन एक्सप्रेस, द हिंदू, बीबीसी)

    Expand
जी-7 द्वारा लॉन्च की गई इस परियोजना को चीन की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ के काउंटर के रूप में देखा जा रहा है.

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने जी-7 की इस पहल का ऐलान करते हुए कहा कि इसमें सबका फायदा है.

अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने ट्वीट में कहा -

हमारा लक्ष्य सामूहिक रूप से 2027 तक G7 से लगभग 600 बिलियन डॉलर जुटाना है ताकि महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे में निवेश किया जा सके जो हमारे सभी लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में लाभ प्रदान करेगा.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

PGII क्या है?

पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड इन्वेस्टमेंट (PGII) प्रोजेक्ट का ऐलान पहली बार जून 2021 में यूके में G7 शिखर सम्मेलन के दौरान हुआ था. उस समय अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसे बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड (B3W) फ्रेमवर्क कहा था. हालांकि उस वक्त योजना की समयावधि या फंडिंग स्रोत के बारे में जानकारियां स्पष्ट नही थीं.

2013 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ लॉन्च किए जाने के बाद से पश्चिमी देशों को इस पर संदेह है, क्योंकि इसे एशिया और अन्य विकासशील देशों में भू-राजनीतिक प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन की बड़ी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.

G7 देशों और यूरोपीय संघ ने ग्लोबल स्तर पर चीन द्वारा शुरू और वित्त पोषित की जा रही परियोजनाओं पर गौर किया है और इसके काउंटर में अपना अल्टर्नेटिव मकैनिज्म पेश करने का फैसला लिया है.

PGII और BRI दोनों का घोषित उद्देश्य वैश्विक व्यापार और सहयोग को बढ़ाने के लिए सड़कों, बंदरगाहों, पुलों, संचार व्यवस्थाओं आदि जैसे महत्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए देशों के लिए सेक्योर फंडिंग में मदद करना है.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यह भी कहा कि फंड का मतलब दान या सहायता नहीं है, बल्कि लोन है, जो दोनों देशों- उधार देने और प्राप्त करने वाले के लिए फायदेमंद होगा.

PGII का उद्देश्य क्या है, इसके जरिए किस तरह के प्रोजेक्ट शुरू किए जाएंगे?

  • सभी PGII प्रोजेक्ट्स के जरिए G7 ग्रुप का उद्देश्य जलवायु संकट से निपटना और क्लीन एनर्जी सप्लाई चैन्स के जरिए ग्लोबल एनर्जी सेक्योरिटी सुनिश्चित करना है.

  • इसके जरिए ऐसे प्रोजेक्ट्स शुरू किए जाएंगे, जो डिजिटल इन्फॉर्मेशन एंड कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी (ICT) नेटवर्क को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करेंगी. यह 5जी और 6जी इंटरनेट कनेक्टिविटी और साइबर सेक्योरिटी जैसी तकनीकों को सुविधाजनक बनाती हैं.

  • प्रोजेक्ट्स का उद्देश्य समानता और लैंगिक समानता को आगे बढ़ाना है, इसके अलावा ग्लोबल हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करना है.

जो बाइडेन ने पीजीआईआई के लिए उन प्रमुख प्रोजेक्ट्स का ऐलान किया है, जो या तो शुरू हो चुकी हैं या शुरू होने वाली हैं. यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (DFC) G7 देशों और EU के साथ Senegal में एक वैक्सीन फेसिलिटी के लिए 3.3 मिलियन डॉलर का तकनीकी सहायता अनुदान डिस्ट्रीब्यूट कर रहा है, जिसमें कोरोना वायरस की लाखों डोज के निर्माण की संभावित वार्षिक क्षमता है.

भारत में, U.S. DFC, Omnivore Agritech और क्लाइमेट सस्टेनेबिलिटी फंड 3 में 30 मिलियन डॉलर तक का निवेश करेगा, जो भारत में कृषि, खाद्य प्रणालियों, जलवायु और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के भविष्य का निर्माण करने वाले एंटरप्रेन्योर्स में निवेश करता है.

भारत के अलावा, पश्चिम अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया और दक्षिण अमेरिका के देशों में प्रोजेक्ट्स का ऐलान किया गया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

PGII Vs चीन का BRI

बेल्ट एंड रोड परियोजना (BRI) को चीन की प्राचीन सिल्क रोड के साथ कनेक्टिविटी, व्यापार और बुनियादी ढांचे को पुनर्जीवित करने के लिए शुरू किया गया था. चीन ने जमीन पर सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट और 21वीं सदी के सिल्क रोड के निर्माण के लिए दोतरफा दृष्टिकोण का ऐलान किया था.

इस प्रोजेक्ट का शुरू में दक्षिण पूर्व एशिया के साथ संपर्क को मजबूत करने का टारगेट था, लेकिन बाद में दक्षिण और मध्य एशिया, अफ्रीका, यूरोप और लैटिन अमेरिका में विस्तार किया गया. शी जिनपिंग ने अपने बयान में कहा कि यह प्रोजेक्ट एशियन कनेक्टिविटी में आने वाली बाधाओं को खत्म कर देगा.

G7 ने विशेष रूप से PGII को एक वेल्यू-बेस्ड प्रोजेक्ट के रूप में बताया है, ताकि कम और मिडिल-इनकम वाले देशों को उनके इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिल सके.
  • PGII ने क्लाइमेट एक्शन और क्लीन एनर्जी पर ध्यान केंद्रित किया है जबकि चीन ने सौर, हाइड्रो और पवन ऊर्जा प्रोजेक्ट्स के साथ-साथ BRI के तहत कोयले से चलने वाले बड़े प्लांट बनाए हैं.

  • दूसरी ओर G7 ने 2027 तक 600 बिलियन डॉलर देने का वादा किया है. अमेरिका की फाइनेंसियल सर्विस कंपनी Morgan and Stanly का अनुमान है कि उस समय तक BRI के लिए चीन की कुल फंडिंग 1.2 से 1.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है, जबकि वास्तविक फंडिंग अधिक होगी.

  • PGII के तहत बड़ी निजी पूंजी भी जुटाई जाएगी जबकि चीन का BRI मुख्य रूप से स्टेट-फंडेड है.

  • इसके अलावा BRI को ऐसे समय में भी लॉन्च किया गया था, जब चीन के लोकल कॉन्स्ट्रक्शन फर्मों के पास विकसित चीनी प्रांतों में प्रोजेक्ट्स की कमी थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक बीआरआई प्रोजेक्ट्स में भाग लेने वाले 89% ठेकेदार चीनी हैं.

  • 2019 के दौरान Engineering News Record’s द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक विदेशी रेवेन्यू के आधार पर दुनिया के 10 सबसे बड़े कॉन्सट्रक्शन ठेकेदारों में से सात चीन के थे. बीआरआई प्रोजेक्ट्स में बड़ी संख्या में चीनी कामगार काम कर रहे हैं. 2019 के आखिरी तक अफ्रीका में 1.82 लाख लोग काम कर रहे थे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

PGII के ऐलान के बाद चीन की क्या प्रतिक्रिया आई है?

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक PGII के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता Zhao Lijian ने कहा कि चीन ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास को बढ़ावा देने के लिए सभी पहलों का स्वागत करता है.

हम मानते हैं कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस तरह की तमाम पहलें एक-दूसरे की जगह ले लेंगी. हम इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण या बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को धूमिल करने के बहाने जियो-पॉलिटिकल कैलकुलेशन को आगे बढ़ाने का विरोध कर रहे हैं.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

BRI क्या है?

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2013 में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) की शुरुआत की थी. इसका उद्देश्य यूरोप में रोम से पूर्वी एशिया तक चीन से आने-जाने वाले प्राचीन व्यापार मार्गों को पुनर्जीवित करना है.

इसके तहत चीनी सरकार ने विभिन्न देशों को इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए लोन देने में मदद की और कई मामलों में चीनी कंपनियों को काम करने के लिए ठेके दिए गए. इससे चीन को वैश्विक स्तर पर अपना प्रभाव जमाने में मदद मिली.

हालांकि, पश्चिमी और कुछ अन्य देशों में चीन की आलोचना उन देशों को अन-सस्टनेबल लोन प्रदान करने के लिए की गई थी, जो उन्हें चुकाने में असमर्थ होंगे.

2019 में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि

BRI के लॉन्च के बाद से चीन और BRI में शामिल होने वाले देशों के बीच व्यापार की मात्रा 6 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गई है, जिसमें 80 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का चीनी निवेश है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय के इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ के प्रोफेसर प्रभाकर साहू ने कहा कि चीन ने BRI प्रोजेक्ट्स से लगभग 100 से ज्यादा देशों को जोड़ लिया है. दुनिया भर में इसके 2600 प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं. इस परियोजना के तहत जिन देशों ने चीन से करार किया है, उनमें यह 770 अरब डॉलर से ज़्यादा इन्वेस्ट कर चुका है. आगे चल कर इससे जुड़ी परियोजनाओं में खरबों डॉलर का इन्वेस्टमेंट होगा.

भारत का रुख

भारत ने बीआरआई का विरोध किया क्योंकि इसमें चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कोरिडोर शामिल था, जो चीन में काशगर को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के माध्यम से पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह से जोड़ता था. 2021 के दौरान भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि कोई भी गंभीर संपर्क पहल पारदर्शी होनी चाहिए और संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान के सबसे बुनियादी सिद्धांत के मुताबिक होनी चाहिए.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या BRI का मुकाबला कर पाएगा G7 का PGII?

जी-7 ग्रुप द्वारा लॉन्च की गई परियोजना के बाद ये सवाल उठता है कि क्या ये चीन की बीआरआई परियोजना का मुकाबला कर पाएगा.

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ के प्रोफेसर प्रभाकर साहू का कहना है कि चीन का पूरा फोकस अपने एजेंडे पर है और वो अभी काफी आगे चल रहा है. BRI समिट, बोआओ फोरम फॉर एशिया, चाइना सेंट्रल एंड ईस्टर्न यूरोप (CEE) और बेल्ट एंड रोड फोरम जैसे मंचों के जरिये उसने ज्यादा से ज्यादा देशों को BRI के दायरे में लाने और इसकी स्वीकार्यता बढ़ाने की कोशिश की है.

चीन के BRI के नकारात्मक पहलुओं का मुकाबला करने के लिए निश्चित तौर पर जी-7 द्वारा लाई गई पहल अच्छी है लेकिन ये देर से उठाया गया कदम है. इसमें एक ठोस सोच और योजना की कमी दिखती है. लेकिन देर से ही सही ये कदम सही दिशा में उठाया गया है, अब देखना ये होगा कि इसमें भारत की क्या भूमिका होगी क्योंकि यह शुरू से BRI का कट्टर विरोधी रहा है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

G7 ग्रुप के कौन से देश BRI से संबंध रखते हैं?

अमेरिका बीआरआई की आलोचना करता रहा है. जी-7 के अन्य देशों ने इस पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं.

  • साल 2019 के दौरान इटली BRI का हिस्सा बना, जो G7 ग्रुप का एक सदस्य है.

  • साल 2019 के दौरान ही चीन की इस पॉलिसी को एक विजन के रूप में बताया था, लेकिन ऑफिसियल तौर पर ब्रिटेन BRI का हिस्सा नहीं है.

  • जर्मनी और फ्रांस ने बीआरआई में सीधे तौर पर हिस्सा नहीं लेते हुए भी चीन के साथ रेल नेटवर्क और कनेक्टिविटी के लिए अन्य प्रोजेक्ट्स के निर्माण में भागीदारी की है.

(इनपुट्स- रॉयटर्स, इंडियन एक्सप्रेस, द हिंदू, बीबीसी)

Published: 
Speaking truth to power requires allies like you.
Become a Member
Monthly
6-Monthly
Annual
Check Member Benefits
×
×