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‘हम जनता की सेवा करते हैं लेकिन कोई हम पर ध्यान नहीं देता ’

मामूली तनख्वाह में MCD कर्मचारी आजीविका चलाने को मजबूर  

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वीडियो एडिटर: वरुण शर्मा

कैमरा: आकांक्षा कुमार

मैं हूं रामनाथ, पूर्वी दिल्ली के गांधी नगर और कैलाश नगर में MCD कर्मचारी के तौर पर काम करता हूं, मैंने 1997 में काम शुरू किया था, मुझे यहीं काम करते हुए 23 साल बीत चुके हैं, मेरे बच्चे शादी की उम्र के हो गए हैं. मेरी तनख्वाह 7 हजार रुपये प्रति माह है. हमारी जिंदगी में कुछ खास बदलाव नहीं हुए हैं.

जो भी सत्ता में होता है उसने हम पर कभी ध्यान नहीं दिया, केजरीवाल हों या पीएम मोदी, किसी ने भी नहीं. 8 फरवरी को दिल्ली में चुनाव है, मैं और मेरे जैसे कई लोग उसे ही वोट करेंगे जो हमारे बारे में सोचेगा, हमें सुविधाएं देगा. क्या हमें अपनी जरूरतें पूरी करने का हक नहीं है?

हमारी (MCD कर्मचारी) तनख्वाह बहुत वक्त से बढ़ाई नहीं गई है, जितनी तनख्वाह मिलती है, उसमें मेरे और मेरी पत्नी का गुजारा हो सकता है? मेरे बच्चे बड़े हो रहे हैं, उनकी शादी कैसे करूंगा? हमें 6-7 हजार रुपये ही मिलते हैं, हम इतने में अपना पेट भरें या अपने बच्चों का? मेरे 5 बच्चे हैं- 3 लड़कियां और 2 लड़के. मेरी बीवी प्राइवेट स्कूल में काम करती है, वहां से थोड़े पैसे आ जाते हैं, इतने कम पैसों में हम अपनी जीविका कैसे चलाएं?  

सैनिक सरहद पर रहकर देश की सेवा करते हैं. हम यहां लोगों की सेवा करते हैं. कोई हम पर ध्यान नहीं देता, दिल्ली सरकार को हम पर भी ध्यान देना चाहिए.

(सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरिज सिटिजन रिपोर्टर द्वारा की जाती है जिसे क्विंट प्रस्तुत करता है. हालांकि, क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों / आरोपों की जांच करता है. रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त विचार सिटिजन रिपोर्टर के निजी विचार हैं. इसमें क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)

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