ADVERTISEMENTREMOVE AD

दंतेवाड़ा हमला: तेज ब्लास्ट-धुआं, फायरिंग... काफिले में शामिल जवान ने क्या देखा?

जवानों का ये काफिला नक्सली विरोधी अभियान से लौट रहा था, जब ये नक्सलियों के हमले का शिकार बना.

Aa
Aa
Small
Aa
Medium
Aa
Large

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 26 अप्रैल को DRG जवानों पर हुआ नक्सली हमला सबसे घातक हमलों में से एक है. दंतेवाड़ा में माओवादियों द्वारा लगाए गए एक IED विस्फोट में 10 जवान समेत कुल 11 लोगों की जान चली गई. इस काफिले में शामिल एक जवान ने क्विंट हिंदी को बताया कि कैसे जवानों की गाड़ी IED की चपेट में आने के बाद धुआं-धुआं हो गई थी?

ADVERTISEMENTREMOVE AD
लगभग 70 जवानों की ये टुकड़ी 7 गाड़ियों में 26 अप्रैल को दोपहर 1:30 बजे लौट रही थी, जब नक्सलियों ने अरनपुर-जगरगुंडा रोड पर IED विस्फोट किया और जवानों को अपना निशाना बनाया.

चपेट में आई गाड़ी के ठीक पीछे चल रही गाड़ी में बैठे जवान ने क्विंट हिंदी को बताया कि कुल 7 गाड़ियों में पुलिस के जवान नक्सली विरोधी अभियान से लौट रहे थे. इसी दौरान आगे से तीसरे नंबर पर चल रही सुरक्षा बलों की गाड़ी IED ब्लास्ट की चपेट में आ गई.

जवान ने बताया कि उनकी गाड़ी में कुल 8 जवान बैठे थे. जैसे ही आगे की गाड़ी हमले का शिकार हुई, पीछे की सारी गाड़ियां रुक गई और जवान उतरे. हमले के बाद 150-200 मीटर दूर धुएं का गुबार दिख रहा था.

जवान द्वारा बनाए वीडियो भी सामने आए हैं, जिसमें एक पुलिसकर्मी पोजिशन लेते हुए दिख रहा है. इसके बाद नक्सलियों की तरफ फायर किया गया था, जिसके जवाब में उधर से भी 1-2 राउंड फायरिंग हुई और उसके बाद वो लोग भाग निकले.

सुरक्षा में चूक बनी हमले का कारण?

सूत्रों की मानें तो हमले के पीछे एक बड़ी लापरवाही सामने आ रही है, क्योंकि जिस जगह पर ब्लास्ट हुआ है, वो जगह दो सुरक्षाबलों के कैंप के बीच में पड़ती है. वहीं, उस जगह से अरनपुर पुलिस थाना महज एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

वहीं, सूत्रों ने क्विंट हिंदी को बताया कि रोड ओपनिंग पार्टी (ROP), जो सैनिकों की आवाजाही से पहले मार्ग को साफ करने में शामिल है, को सक्रिय नहीं किया गया था, इस प्रकार, माओवादियों को काफिले पर हमला करने का मौका मिल गया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

CM बघेल ने दिया शहीदों को कंधा

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 27 अप्रैल को दंतेवाड़ा में नक्सली हमले में जान गंवाने वाले DRG जवान के पार्थिव शरीर को कंधा दिया.

इससे पहले 26 अप्रैल को मीडिया से बात करते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, "मैं शहीद हुए जवानों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं. ये लड़ाई अपने अंतिम चरण में है. माओवादियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा और हम योजनाबद्ध तरीके से माओवाद का सफाया करेंगे."

Speaking truth to power requires allies like you.
Become a Member
Monthly
6-Monthly
Annual
Check Member Benefits
×
×