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चंद्रग्रहण: 27 जुलाई की ये घटना क्यों है बेहद खास? जानें हर बात

साल  2001 से लेकर साल 2100 तक का सबसे लंबा चंद्रग्रहण 27 जुलाई को है, ये घटना कब, क्यों, कैसे होगी हर  बात जानिए

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साल 2001 से लेकर साल 2100 तक का सबसे लंबा चंद्रग्रहण 27 जुलाई को होने जा रहा है. नॉर्थ अमेरिका को छोड़कर भारत समेत दुनिया के तकरीबन हर कोने में ये देखा जा सकेगा. करीब 1 घंटे 43 मिनट के इस चंद्रगहण के दौरान चांद गहरे लाल रंग का दिखेगा, इसलिए इसे ‘ब्लड मून’ भी कहा जा रहा है.

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भारत में कब, कहां कैसे दिखेगा?

timeanddate.com वेबसाइट के मुताबिक, अपने देश में ये रात के 10.44 बजे दिखेगा. लेकिन ये आंशिक चंद्रग्रहण होगा. पूर्ण चंद्रग्रहण रात के 1 बजे दिखाई देगा. इस दौरान चांद गहरे लाल रंग में दिखेगा. इस अद्भूत नजारे को देखने के लिए आप नासा के ऑफिशियल वेबसाइट या फेसबुक पेज पर भी जा सकते हैं.

दुनियाभर में ये कहां-कहां दिखेगा, नासा के इस चार्ट से समझिए

इस अद्भूत नजारे को देखने के लिए आप नासा के ऑफिशियल वेबसाइट या फेसबुक पेज पर भी जा सकते हैं. इस वीडियो में नासा का लाइव आप देख सकते हैं.

27 जुलाई का 'आकाश' इतना क्यों है खास?

27 जुलाई को 'ब्लड मून' यानी लाल चांद के अलावा लाल ग्रह 'मंगल' का भी अद्भूत नजारा देखने को मिलेगा. इस दिन मंगल ग्रह सूरज के तकरीबन उल्‍टे दिशा में होगा और धरती के सबसे करीब. ऐसे में इस लाल ग्रह का आकार भी बड़ा दिखाई देगा और आकाश लाल ग्रह, लाल चांद से गुलजार होगा.

खास बात ये है कि इस चंद्रग्रहण या किसी भी चंद्रग्रहण को देखने के लिए किसी तरह के उपकरण या खास सावधानी बरतने की जरूरत नहीं पड़ती है.
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चांद, सूरज, धरती के बीच की स्थिति क्या है?

क्या आपको पता है महीना जिसे अंग्रेजी में 'Month' कहा जाता है, इसका नाम कैसे पड़ा? चांद के पास अपनी कोई लाइट नहीं है. सूरज के प्रकाश के कारण ही ये हमें दिखता और चमकता है. अब चांद यानी Moon धरती के भी चक्कर लगाता है, पूरा एक चक्कर 29.5 दिन में पूरा होता है.

इस चक्कर की वजह से हर रोज सूरज और चांद की स्थिति बदलती है और चांद कभी पूरा (Full Moon), तो कभी कम होता दिखता है. Moon के इस 29.5 दिन में पृथ्वी का चक्कर पूरा करने पर ही Month का नाम पड़ा है.
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चांद पर ग्रहण कैसे लगता है?

कोई भी चंद्रग्रहण हमेशा पूर्णिमा यानी Full Moon के ही दिन होता है. ये सिर्फ और सिर्फ छाया का ही खेल है. ऐसा तब होता है जब चंद्रमा, धरती की छाया से होकर गुजरता है. दरअसल, चंद्रग्रहण के दौरान सूरज>धरती>चंद्रमा तीनों एक ही लाइन में होते हैं.

सूरज और चांद के बीचों-बीच धरती के आ जाने से सूरज का सीधा प्रकाश चांद पर नहीं पहुंच पाता और पृथ्वी की छाया उस पर पड़ती है. अब चंद्रग्रहण कितनी देर का होगा, ये इस बात पर निर्भर करता है कि

  • चांद की दूरी पृथ्वी से कितनी है
  • सूरज, चांद, पृथ्वी के केंद्र की स्थिति क्या है

27 जुलाई के चंद्रग्रहण में तीनों सूरज, चांद, पृथ्वी का केंद्र तकरीबन सीधी रेखा में है. साथ ही चांद भी करीब-करीब पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूरी पर है. ऐसे में वो दूर होने के कारण छोटा दिखेगा और उसे धरती की छाया से निकलने में ज्यादा समय लगेगा. यही कारण है कि इस बार का चंद्रग्रहण लंबे समय के लिए हो रहा है.

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चांद लाल क्यों दिखाई देता है? ब्लड मून क्या है?

पूर्ण चंद्रग्रहण के दिन चांद लाल दिखाई देता है, इसलिए इसे ब्लड मून भी कहा जाता है. इसके पीछे धरती के वायुमंडल का भी बड़ा हाथ है. दरअसल, पूर्ण चंद्रगहण के दिन चांद, धरती की छाया में ढका होता है. सूरज की सीधे किरणें चांद तक नहीं पहुंचती, लेकिन पृथ्वी के वायुमंडल से छनकर ये किरणें चांद तक पहुंचती हैं.

आपको मालूम होगा कि सूर्य की किरणें 7 रंगों से मिलकर बनी होती हैं, वायुमंडल से पास होते वक्त सूरज की किरणों का नीला रंग फिल्टर हो जाता है और लाल रंग वाली किरणें चांद पर पहुंचती हैं, इसी वजह से चांद लाल दिखाई देने लगता है.

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