जब आप भारत के सबसे गरीब राज्यों में से एक से आते हैं, जहां के प्राइवेट सेक्टर में रोजगार और स्थायी आजीविका के सीमित अवसर हैं, वहां आपके पास केवल दो विकल्प बचते हैं- या तो आप पलायन कर जाएं या फिर सरकारी नौकरी के लिए तैयारी करें.
मैंने दूसरा विकल्प चुना- मेहनत से पढ़ाई करना और सरकारी नौकरी हासिल करना, ताकि मैं अपने परिवार के करीब रह सकूं और उनकी मदद कर सकूं. लेकिन, मुझे डर है कि कहीं मेरा ये सपना भी अधूरा न रह जाए. मैं ऐसा सिर्फ इसलिए नहीं कह रहा क्योंकि मेरा लाखों अन्य अभ्यर्थियों के साथ कॉम्पिटिशन है, बल्कि इसलिए कह रहा हूं क्योंकि यह परीक्षा खुद एक के बाद एक विवादों में घिर जाती है.
आप समझ ही गए होंगे- यह बिहार (Bihar) और इसकी परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था, बिहार लोक सेवा आयोग यानी बीपीएससी की कहानी रही है.
13 दिसंबर को, जब मैं सहरसा में 70वीं बीपीएससी संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा (सीसीई) की प्रारंभिक परीक्षा में शामिल हुआ, उसके बाद पटना के बापू सभागार केंद्र से कथित पेपर लीक की खबर सामने आई.
हालांकि आयोग ने शुरू में आरोपों से इनकार किया था, लेकिन बाद में उसने उक्त केंद्र पर 'पेपर लीक की अफवाह' का हवाला देते हुए केवल उन छात्रों के लिए पुनः परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया, जो 4 जनवरी को उक्त केंद्र पर उपस्थित हुए थे.
19 दिसंबर 2024 की अधिसूचना में कहा गया है, "छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए, आयोग ने जल्द से जल्द पुनः परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया है."
आयोग से मेरा सवाल है कि केवल एक केंद्र के लिए पुनः परीक्षा का आदेश क्यों दिया गया, जबकि हम सभी जानते हैं कि इस डिजिटल युग में अगर एक केंद्र से प्रश्नपत्र लीक होता है, तो वह केवल एक क्लिक से बिहार के 911 केंद्रों में फैल सकता है?
'क्या आप अपने छात्रों के साथ ऐसा व्यवहार करते हैं?'
और आप छात्रों की मांगों से कैसे निपट रहे हैं? थप्पड़, लाठीचार्ज और पानी की बौछारों से?
परीक्षा के दिन पटना के एक सेंटर पर जब एक छात्र दोबारा परीक्षा की मांग कर रहा था, तब जिला मजिस्ट्रेट चंद्रशेखर सिंह ने उसे थप्पड़ जड़ दिया- यह वाक्या कैमरे में कैद हो गया.
29 दिसंबर को जब हम इस मुद्दे को लेकर पटना के गांधी मैदान में शांतिपूर्वक धरने पर बैठे थे, तब पुलिस की बर्बरता चरम पर पहुंच गई. कड़ाके की ठंड के बीच उस शाम को हम पर लाठियां और पानी की बौछारें बरसाई गई.
पहले तो आप परीक्षा ठीक से आयोजित करने में विफल रहे और फिर सवाल उठाने वाले छात्रों की पिटाई करने लगे, क्या यह सही है?
'क्या हम इसी लायक हैं?'
यह पहली बार नहीं है जब बीपीएससी सुचारू रूप से परीक्षा आयोजित करने में विफल रहा है.
27 दिसंबर 2020 को औरंगाबाद के एक केंद्र पर 66वीं बीपीएससी सीसीई के दौरान भी ऐसी ही घटना हुई थी. विसंगति को स्वीकार करते हुए आयोग ने 14 फरवरी 2021 को दोबारा परीक्षा आयोजित की.
9 मई 2022 को, 67वीं बीपीएससी सीसीई को रद्द कर दिया गया था, क्योंकि परीक्षा से कुछ मिनट पहले प्रश्नपत्र लीक हो गया था और बड़े पैमाने पर व्हाट्सएप और टेलीग्राम ग्रुप्स पर शेयर हुआ था.
15 मार्च 2024 को आयोजित बीपीएससी शिक्षक भर्ती परीक्षा (टीआरई-3) को भी एक और पेपर लीक के कारण रद्द कर दिया गया था, जिसके कारण 19 जुलाई से 22 जुलाई 2024 के बीच दोबारा परीक्षा आयोजित की गई.
मैं आपको कई और परीक्षाओं के नाम गिना सकता हूं, जिन्हें BPSC ठीक से आयोजित करने में विफल रहा. क्या बिहार के छात्रों को यही मिलना चाहिए?
'परीक्षा का बोझ'
हममें से कई ऐसे परिवारों से आते हैं जो इन परीक्षाओं में बैठने का खर्च भी वहन करने में कठिनाई महसूस करते हैं. ज्यादातर मामलों में परीक्षा सेंटर हमारे गृह जिलों से बाहर होते हैं, जिसके लिए हमें एक दिन पहले ट्रेन या बस से यात्रा करनी पड़ती है, साथ ही रहने की व्यवस्था भी करनी पड़ती है.
कई बार, छात्र होटल में एक कमरा लेने तक के लिए भी सक्षम नहीं होते हैं और उन्हें रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड पर रात गुजारने के लिए मजबूर होना पड़ता है.
मैंने 2021 में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा से गणित (ऑनर्स) में बीएससी की डिग्री हासिल की. कैंपस प्लेसमेंट न होने के कारण मेरे पास दो ही विकल्प बचे थे: या तो दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु आदि जैसे बड़े शहरों में नौकरी की तलाश करूं या सरकारी परीक्षाओं की तैयारी करूं.
पिछले 3-4 सालों से मैं अलग-अलग प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा हूं, लेकिन सफल नहीं हो पाया हूं. पोस्ट सीमित हैं, जबकि प्रत्येक परीक्षा के लिए आवेदकों की संख्या लाखों में है.
इस पृष्ठभूमि में, जब हमें आयोग द्वारा सुचारू और निष्पक्ष परीक्षाएं आयोजित करने में बार-बार विफलताओं को सहना पड़ता है, तो हम ठगे जाने जैसा महसूस करते हैं।
ऐसे में जब आयोग लगातार सुचारू और निष्पक्ष रूप से परीक्षाएं आयोजित नहीं करवा पाता है तो हम ठगा सा महसूस करते हैं.
हम क्या करें? हम कहां जाएं? हमारे पास एक आजीविका हासिल करने के सीमित अवसर हैं, ऐसे में भी परीक्षा आयोजित करने वाली संस्थाएं सही से, बिना किसी विसंगती के परीक्षा आयोजित नहीं करवा पाती हैं.
बीपीएससी को यह समझना चाहिए कि छात्र होने के नाते हम पर आजीविका, करियर और कई पारिवारिक जिम्मेदारियों का बहुत दबाव रहता है. उसे हमें परीक्षा में दोबारा बैठने का अवसर देना चाहिए, जो विसंगतियों से मुक्त हो, जिससे हमें समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने का उचित मौका मिले.
पटना पुलिस ने क्या कहा?
29 दिसंबर 2024 को पटना सिटी एसपी ने मीडिया से बात करते हुए कहा:
"हमने प्रदर्शन कर रहे छात्रों से जगह खाली करने का अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी. हमने यह भी कहा कि वे अपनी मांगें रख सकते हैं और हम उनकी बात सुनने के लिए तैयार हैं. उन्होंने हमारे साथ धक्का-मुक्की भी की, जिसके बाद हमने उन पर वाटर कैनन का इस्तेमाल किया."स्वीटी सहरावत, सिटी एसपी, पटना
(क्विंट ने छात्रों के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में पटना पुलिस से संपर्क किया है. उनके जवाब का इंतजार है, और जवाब मिलने के बाद स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.)
(क्विंट ने छात्रों द्वारा उठाए गए मुद्दों के बारे में बीपीएससी से भी संपर्क किया है. उनकी ओर से जवाब मिलने पर स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.)
(सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरीज सिटीजन जर्नलिस्ट द्वारा क्विंट को भेजी जाती हैं. हालांकि क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों/आरोपों की जांच करता है, लेकिन रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त किए गए विचार सिटीजन जर्नलिस्ट के अपने हैं. क्विंट न तो इसका समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)