ADVERTISEMENTREMOVE AD

अहमदाबाद में 10,000 अवैध निर्माण ढहाए गए, सरकार बोली- आप्रवासियों पर कार्रवाई

चंडोला झील इलाके में डिमोलिशन ड्राइव ने उचित प्रक्रिया के अभाव और विस्थापितों के भविष्य पर तीखी बहस छेड़ दी है.

Published
story-hero-img
i
Aa
Aa
Small
Aa
Medium
Aa
Large

"मैंने 2005 से चंडोला को अपना घर कहा है," 50 वर्षीय एक व्यक्ति ने गुस्से से भरी आवाज में कहा. "पिछले 15-20 दिनों से उन्होंने हमारी बिजली और पानी काट दिया है. इसके बाद हमें 20 मई तक इस जगह को खाली करने की मौखिक चेतावनी दी गई. इससे पहले कि हम समझ पाते कि क्या हो रहा है, बुलडोजर आ गए. मैं चुपचाप अपने घर को गिरते हुए देखता रहा."

अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) ने दानिलिमडा में चंडोला झील के आसपास 10,000 से अधिक संरचनाओं को अवैध बताते हुए कार्रवाई की है. इस डिमोलिशन ड्राइव को गुजरात के सबसे बड़े अतिक्रमण विरोधी अभियानों में से एक कहा जा रहा है. एएमसी ने करीब 4 लाख वर्ग मीटर सरकारी जमीन को अपने कब्जे में लिया है.

29 अप्रैल और 20 मई को दो चरणों में चलाए गए ध्वस्तीकरण अभियान का उद्देश्य झील की इकोलॉजिकल इंटीग्रिटी (पारिस्थितिक अखंडता) को बहाल करना और अवैध बस्तियों से जुड़ी राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का समाधान करना था.

हालांकि, इस अभियान ने मानवाधिकारों के उल्लंघन, उचित प्रक्रिया की कमी और विस्थापित निवासियों के भविष्य पर तीखी बहस छेड़ दी है, जिनमें से कई भारतीय नागरिकता और लंबे समय से यहां रहने का दावा कर रहे हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

चंडोला झील और इतिहास

ब्रिटिशकालीन चंडोला झील अहमदाबाद के सबसे बड़े झीलों में से एक है, जो 109.6 हेक्टेयर में फैला है. कभी शहर की जल प्रबंधन प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहे इस क्षेत्र पर दशकों से अतिक्रमण है. इसके 11 लाख वर्ग मीटर क्षेत्र में से 4 लाख वर्ग मीटर पर अवैध निर्माण हैं, जिनमें झोपड़ियां, दुकानें, रिसॉर्ट और पार्किंग शामिल हैं. कचरा डालने से झील की हालत खराब हो गई, जिससे इसकी क्षमता कम हो गई और इसके कुछ हिस्से सूखी जमीन में तब्दील हो गए हैं.

सरकार ने पहले चरण को 'राष्ट्र-विरोधी तत्वों' के खिलाफ एक सख्त कदम बताया

पहले चरण में एएमसी ने चंडोला झील के पास 2,000 से अधिक अवैध संरचनाओं को हटाकर कर करीब एक लाख वर्ग मीटर सरकारी जमीन अतिक्रमण से मुक्त कराया है. यह अभियान 29 अप्रैल को शुरू हुआ और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच चलाया गया. अभियान में 2,000 से अधिक पुलिस कर्मी, 15 एसआरपी इकाइयां, 74 जेसीबी मशीनें, 200 ट्रक और बिजली विभाग की 20 टीमें शामिल थीं.

राज्य सरकार ने इस कार्रवाई को "राष्ट्र-विरोधी तत्वों" के खिलाफ एक कठोर कदम बताया और आरोप लगाया कि यह क्षेत्र अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों, अल-कायदा स्लीपर सेल, ड्रग रैकेट, वेश्यावृत्ति और फर्जी दस्तावेज नेटवर्क का घर है.

चंडोला झील इलाके में 26 अप्रैल की आधी रात को हुई छापेमारी से छपरा के लोगों में दहशत फैल गई. 890 लोगों को हिरासत में लिया गया, जिनमें 214 नाबालिग भी शामिल थे. यह कार्रवाई पहलगाम हमले के बाद कथित बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान करने के उद्देश्य से की गई थी.

हिरासत में लिए गए 300 लोगों को उनकी भारतीय नागरिकता की पुष्टि के बाद छोड़ दिया गया. हालांकि, दक्षिणी अहमदाबाद की इस झुग्गी बस्ती के लोग आज भी डरे हुए हैं.

अधिकारियों ने 143 लोगों की पुष्टि अवैध अप्रवासी के रूप में की है, जिनमें से 110 पर जाली पहचान पत्र रखने का आरोप है. अहमदाबाद के पुलिस आयुक्त ज्ञानेंद्र सिंह मलिक ने इस अभियान का बचाव करते हुए कहा कि "उस क्षेत्र में हर कोई भूमि हड़पने वाला है," इस टिप्पणी ने स्थानीय निवासियों के बीच बेचैनी को और बढ़ा दिया है.

इस ऑपरेशन का मेन टारगेट लल्ला पठान उर्फ ​​लल्लू बिहारी था, जिसे उसके बेटे के साथ गिरफ्तार किया गया है. कभी प्रवासियों का मददगार माने जाने वाले इस शख्स पर पिछले 20 सालों में आपराधिक नेटवर्क बनाने का आरोप है, जिसमें जमीन हड़पना, मानव तस्करी, जबरन वसूली और अवैध कारोबार शामिल है. उसका फार्महाउस सबसे पहले ध्वस्त किए जाने वाले फार्महाउसों में से एक था.

पुलिस का कहना है कि लल्ला पठान प्रवासी परिवारों को रहने की जगह देकर उनका फायदा उठाता था और डरा-धमका कर रखता था. उसकी गिरफ्तारी गुजरात पुलिस के "असामाजिक तत्वों" के खिलाफ व्यापक 100-दिवसीय अभियान का हिस्सा है, जो 13 मार्च को वस्त्राल में होली के दौरान हुई हिंसक घटना के बाद शुरू किया गया था.

गुजरात के डीजीपी विकास सहाय ने बताया कि अब तक की कार्रवाई में 7,157 लोगों की पहचान की गई है, 372 अवैध संरचनाओं को ध्वस्त किया गया है और राज्य भर में 1,046 बिजली कनेक्शन काटे गए हैं.

दूसरे चरण में 50 बुलडोजरों की मदद से 8,500 इमारतें ध्वस्त की गईं

दूसरे चरण में 20-21 मई को 8,500 संरचनाओं को ध्वस्त किया गया और दो दिनों में 2.5 लाख वर्ग मीटर क्षेत्र को मुक्त कराया गाय. 21 मई को एएमसी ने 3,000 से अधिक पुलिस कर्मियों और 50 बुलडोजरों की भारी सुरक्षा के बीच धार्मिक संरचनाओं सहित बची हुई संरचनाओं को हटाया.

इसके बाद एएमसी ने मलबा हटाने, झील को गहरा करने और पुनः अतिक्रमण रोकने के चारदीवारी का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है. इसके साथ ही पिराना सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से ट्रीट किए हुए 5,000-6,000 मिलियन लीटर पानी से झील को भरने की योजना पर काम चल रहा है, जिसका उद्देश्य इसके मूल स्वरूप को बहाल करना और इसे सार्वजनिक झील के रूप में विकसित करना है.

गुजरात हाईकोर्ट ने खारिज की याचिकाएं, लेकिन पुनर्वास की दी अनुमति

28 अप्रैल को चंडोला झील के पास सियासतनगर के निवासियों ने अधिवक्ता आनंद याग्निक के माध्यम से गुजरात हाईकोर्ट में एक तत्काल याचिका दायर की. जिसमें उन्होंने तर्क दिया कि एएमसी ने बिना किसी पूर्व सूचना के उनके घरों को ध्वस्त कर दिया, जो संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत उनके अधिकारों का उल्लंघन है. इसके साथ ही याचिकार्ताओं ने लंबे समय से निवास का हवाला देते हुए राज्य की 2010 और 2013 की पुनर्वास नीतियों के तहत पुनर्वास की मांग भी की है और बेदखली के मामलों में उचिक प्रक्रिया की जरूरत वाली सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का हवाला दिया है.

याग्निक ने ध्वस्तीकरण को अवैध और असंवैधानिक बताया और कहा कि सरकार नोटिस जारी करने या वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराने में विफल रही. उन्होंने निवासियों को अवैध अप्रवासी करार दिए जाने का भी विरोध किया और कहा कि कई लोग 2010 से पहले से ही वहां रह रहे हैं.

जवाब में, महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम के रूप में ध्वस्तीकरण का बचाव किया. उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र अवैध गतिविधियों से जुड़ा हुआ था और कई निवासी बिना दस्तावेज वाले अप्रवासी थे. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह कार्रवाई एक नियमित अतिक्रमण विरोधी अभियान नहीं था, बल्कि संवेदनशील खुफिया जानकारी के आधार पर एक लक्षित अभियान था.

29 अप्रैल को जस्टिस मौना भट्ट ने याचिका खारिज कर दी. 2024 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक भूमि, खास तौर पर जल निकायों पर अवैध निर्माण कानूनी संरक्षण के हकदार नहीं हैं.

अदालत ने जोर देकर कहा कि विध्वंस पर रोक लगाना अवैध कब्जे/निर्माण को जारी रखने के बराबर होगा, जो कानून के खिलाफ होगा. हालांकि, अदालत ने निवासियों को पुनर्वास के लिए व्यक्तिगत आवेदन प्रस्तुत करने की अनुमति दी, जिस पर मौजूदा कानूनों के तहत विचार किया जाएगा.

5 मई को, चंडोला झील के पास सी-वार्ड चापारा के 58 निवासियों ने गुजरात हाईकोर्ट में एक नई याचिका दायर की. याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता मिहिर जोशी ने अदालत में कहा कि सभी 58 निवासी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) से हैं और आजीविका की तलाश में शहर आए थे. उन्होंने डिमोलिशन ड्राइव पर रोक लगाने की मांग की.

किराए की छत या रहने की जगह का खर्च उठाने में असक्षम होने के कारण याचिकाकर्ताओं ने चंडोला झील के किनारे झोपड़ियां बना लीं और 60 सालों से अधिक समय से वहां रह रहे हैं.

लेकिन जस्टिस मौना भट्ट ने उनकी याचिका भी खारिज कर दी. हाईकोर्ट ने कहा कि हालांकि याचिकाकर्ता ईडब्ल्यूएस श्रेणी से आते हैं, लेकिन झील या सरकारी जमीन पर उनके अवैध और अनधिकृत निर्माण को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

आश्रय और आजीविका के अधिकार के संबंध में अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता उचित दस्तावेजों के साथ संबंधित प्राधिकारी को व्यक्तिगत रूप से आवेदन कर सकते हैं.

कोर्ट ने हाल ही में दिए गए सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि अवैध निर्माण को नियमित नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह कानून के खिलाफ है. हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता राज्य सरकार की पुनर्वास योजना के तहत वैकल्पिक आवास के लिए आवेदन कर सकते हैं. अगर वे पात्र हैं और आवश्यक दस्तावेज जमा करते हैं, तो अधिकारियों को कानून के अनुसार उनके आवेदनों पर विचार करना चाहिए.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

'मेरे बच्चे कोविड लॉकडाउन से भी ज्यादा डरे हुए थे': स्थानीय

चंडोला झील इलाके में ध्वस्तीकरण अभियान से कई निवासी और एक्टिविस्ट नाराज हैं. आधी रात को हुई छापेमारी के दौरान कई परिवारों को राउंडअप किया गया, सड़कों पर उनकी परेड करवाई गई और गायकवाड़ हवेली ले जाने से पहले कांकरिया फुटबॉल मैदान में रखा गया. इससे लोग खास डरे हुए और सदमे में हैं.

मध्य प्रदेश के एक निवासी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “मेरे बच्चे कोविड लॉकडाउन से भी ज्यादा डरे हुए थे.”

रहतन अधिकार मंच (RAM) की बीनाबेन जादव ने पहले चरण के दौरान हुई कार्रवाई पर कहती हैं, "लोग डरे हुए थे. कई लोगों को हिरासत में लिया गया था और महिलाओं को पता ही नहीं था कि उनके पति कहां हैं. कुछ ने कई दिनों तक न तो कुछ खाया और न ही नहाया. उनकी पीड़ा का असली अवैध स्थिति नहीं, बल्कि गरीबी है- अधिकांश चंडोला निवासी गरीब हैं.”

भीषण गर्मी में सैकड़ों लोग बेघर, आस-पास के इलाकों में बढ़ा किराया

आवास अधिकार समूह आरएएम ने एएमसी को लिखा कि चंडोला झील के कुछ निवासी 80 साल से ज्यादा समय से वहां रह रहे हैं. 2002 के दंगों में कई लोगों ने अपने घर खो दिए और उन्हें सरकारी कैंप कार्ड दिए गए.

पिछली कार्रवाई के बाद, 2009 में गुजरात हाई कोर्ट ने 172 परिवारों के लिए आवास का आदेश दिया था, लेकिन केवल 44 को ही पुनर्वासित किया गया है. अहमदाबाद का तापमान 43 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने के साथ, RAM ने बेदखल किए गए लोगों के लिए स्वच्छ पानी और अस्थायी आश्रयों सहित तत्काल मदद की मांग की है.

बेदखली के कारण पास के दानिलिमडा और इसानपुर में आवास संकट पैदा हो गया, जहां किराया 2,000-3,000 रुपये से बढ़कर 5,000-10,000 रुपये हो गया है. गलत तरीके से “बांग्लादेशी” कहे जाने के बाद से कई परिवारों को किराये के घर के लिए खासी दिक्कतों और भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है.

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास के लिए 3,600 फॉर्म वितरित करते हुए एएमसी अधिकारियों ने कहा कि जिन निवासियों के पास दिसंबर 2010 से पहले वहां रहने का प्रमाण होगा, उन्हें लॉटरी के बिना ही घर मिल जाएंगे, जो केवल इकाइयों के आवंटन के लिए है.

एएमसी ने लाभार्थियों से कहा है कि उन्हें घर खरीदने के लिए कुल 3 लाख रुपये देने होंगे, जिसमें 10 महीने तक प्रति महीने 30,000 रुपये का भुगतान करना होगा. इस पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं.

कांग्रेस विधायक शैलेश परमार ने गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को पत्र लिखा; विपक्ष के नेता शहजाद खान पठान ने एएमसी आयुक्त बंछानिधि पाणि को पत्र लिखकर मासिक किस्तों को घटाकर 5,000 रुपये करने का अनुरोध किया ताकि दैनिक मजदूरी करने वाले अत्यंत गरीब परिवार इसे वहन कर सकें.

वर्तमान में केवल 33 लोग भोजन, पानी और बिस्तर के साथ वासना शेल्टर में रह रहे हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हिरासत में लिए गए कई लोग बांग्लादेशी नहीं, बल्कि यूपी और बिहार से

हाई कोर्ट से याचिकाएं खारिज होने के बाद गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने "कांग्रेस समर्थकों" पर अवैध अप्रवासियों को बचाने की कोशिश करने का आरोप लगाया. संघवी ने दावा किया कि अदालत का फैसला एक जीत है क्योंकि इसने बांग्लादेशी और पाकिस्तानी प्रवासियों को बचाने के प्रयासों को विफल कर दिया है.

गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी (जीपीसीसी) के प्रवक्ता डॉ मनीष दोशी ने सत्तारूढ़ पार्टी की आलोचना करते हुए पूछा कि गुजरात में तीन दशक से अधिक समय तक सत्ता में रहने के बावजूद बीजेपी सरकार अवैध बस्तियों के मुद्दे पर विफल क्यों रही.

बीजेपी के नैरेटिव को भ्रामक बताते हुए दोशी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-1 और 2 के दौरान 82,000 बांग्लादेशियों को डिपोर्ट किया गया था, जबकि मोदी सरकार के तहत 11 साल में सिर्फ 18,000 निर्वासन हुए हैं.

हिरासत में लिए गए भारतीय नागरिकों की रिहाई के लिए एक्टिविस्ट काम कर रहे हैं. इंडियन एक्सप्रेस से बात करने वाले अधिवक्ता शमशाद पठान ने बताया कि अभियान के दौरान हिरासत में लिए गए कई लोग बिहार, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सहित भारत के विभिन्न हिस्सों से थे और उन्हें गलती से अवैध अप्रवासी समझ लिया गया था.

बिहार में स्थानीय अधिकारियों ने कुछ बंदियों की पहचान की पुष्टि की, जिसके बाद उन्हें रिहा कर दिया गया. सोशल मीडिया पर चिंता जताते हुए बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की महिला विंग की प्रदेश अध्यक्ष रितु जायसवाल ने बताया कि इस अभियान में बिहार के कई युवा पकड़े गए हैं.

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वे भारतीय नागरिक हैं और अवैध अप्रवासी नहीं.

चंडोला झील अभियान राष्ट्रीय सुरक्षा, पारिस्थितिकी बहाली और मानवाधिकारों के जटिल अंतर्संबंध को रेखांकित करता है. जबकि एएमसी का लक्ष्य झील को पुनर्जीवित करना और अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाना है, लेकिन पूर्व सूचना का अभाव, सीमित तत्काल पुनर्वास और हजारों लोगों के विस्थापन की आलोचना की गई है.

अहमदाबाद में चंडोला झील के पुनर्विकास की दिशा में कदम बढ़ाए जाने के साथ ही, चुनौती सार्वजनिक हित और कमजोर समुदायों के अधिकारों के बीच संतुलन बनाने की है, जिनमें से कई लोग अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं.

Speaking truth to power requires allies like you.
Become a Member
Monthly
6-Monthly
Annual
Check Member Benefits
×
×