उत्तर प्रदेश के आगरा में हुए गुलफान हत्याकांड के दो मुख्य आरोपियों सहित तीन लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. वहीं एक अन्य मुख्य आरोपी फरार है. बता दें कि 23 अप्रैल की रात को ताजगंज इलाके में स्थित बिरयानी दुकान में काम करने वाले 27 वर्षीय गुलफान की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जबकि उसका फुफेरा भाई सैफ हमले में घायल हुआ था.
वारदात के बाद आरोपियों ने एक वीडियो जारी कर इस हत्याकांड की जिम्मेदारी ली थी और इसे पहलगाम में हुए आतंकी हमले का बदला बताया था. हालांकि, पुलिस ने इसे खारिज किया है. इसके साथ ही पुलिस ने नाम या धर्म पूछकर गोली मारने की बात से भी इनकार किया है.
सोमवार, 28 अप्रैल को आगरा के पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि "शाहिद अली चिकन बिरयानी रेस्टोरेंट में खाने के पैसे को लेकर आरोपियों का एक-दो दिन पहले गुलफान के साथा विवाद हुआ था. जिसके बाद आरोपियों ने वारदात को अंजाम दिया है."
पुलिस के दावों पर परिवार ने क्या कहा?
पुलिस के दावों पर गुलफान के मौसेरे भाई और बिरयानी दुकान के संचालक शाहिद अली कहते हैं कि इस बात में कोई सच्चाई नहीं है. वो कहते हैं, "जहां तक पुलिस कह रही है, उसके बारे में मुझे मालूम नहीं है. लेकिन ऐसा कोई मामला नहीं हुआ था. मेरे होते हुए कोई विवाद नहीं हुआ था."
रुंधे गले से वो आगे कहते हैं,
"वो निर्दोष था. बहुत भोला भाला था. कोई भी आदमी बता दे पूरे आगरा में कि अगर उसकी कभी किसी से लड़ाई हुई हो. पूरी बस्ती में भी उसने किसी से ऊंची आवाज में बात तक नहीं की."
इसके साथ ही शाहिद कहते हैं, "दूसरी बात ये कि अगर हमारा यकीन नहीं है, तो हमारे पास सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. सीसीटीवी में सारा रिकॉर्ड है."
गुलफान के चाचा इस्लाम मंजर कहते हैं, "पुलिस का एक तरीका होता है कि सांप्रदायिक सौहार्द बना रहा रहे, बिगड़े नहीं. ये प्रशासन का काम है. हम वहां पर नहीं थे. लेकिन अगर कोई प्रकरण हुआ होता तो वो (गुलफान) हमें जरूर बताता."
वे आगे कहते हैं, "हमें बस न्याय मिल जाए. क्या हुआ-क्या नहीं हुआ, अब हमें उससे मतलब नहीं है. हमें बस इंसाफ चाहिए."
गुलफान अपने पीछे पत्नी औ तीन बच्चों को छोड़ गए हैं. सबसे बड़ी बेटी पांच साल की है और सबसे छोटा बेटा 8 महीने का है. परिवार के लोग अब इन बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं.
इस्लाम मंजर कहते हैं, "हमने प्रशासन से मांग रखी है. गुलफान के परिवार को आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए. इसके साथ ही उसके बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी सरकार को उठाना चाहिए."
हत्या में शामिल दो आरोपी गिरफ्तार, एक फरार
हत्या में शामिल आरोपियों की पहचान प्रियांश यादव, शिवम बघेल और पुष्पेंद्र बघेल के रूप में हुई है. पुलिस ने एनकाउंटर के बाद प्रियांश और शिवम को गिरफ्तार किया है. एनकाउंटर में एक पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं. वहीं पुष्पेंद्र बघेल अभी फरार है.
तीनों आरोपियों के खिलाफ ताजगंज थाने में 24 अप्रैल को BNS की धारा 103(1) [हत्या] और 109(1) [हत्या के प्रयास] के तहत मामला दर्ज किया गया था.
पुलिस के मुताबिक, हत्या की वारदात के बाद वायरल हुए वीडियो में दिख रहे दो शख्स- आरोपी पुष्पेंद्र और शिवम हैं. वहीं प्रियांश ने ये वीडियो रिकॉर्ड किया था.
पुलिस ने मौका-ए-वारदात के सीसीटीवी फुटेज और स्थानीय लोगों से पूछताछ कर आरोपियों की पहचान की है. वहीं हमले में घायल सैफ ने भी आरोपियों की शनाख्त की है. पुलिस के मुताबिक, फरार आरोपी पुष्पेंद्र ने पहली गोली चलाई थी, जबकि शिवम ने दूसरा फायर किया था.
इस्लाम मंजर कहते हैं, "सीसीटीवी फुटेज में हमने देखा है कि वो बंदा (गुलफान) दुकान बंद होने के बाद आखिरी कुर्सी उठा रहा था. इस दौरान वो लोग (आरोपी) आए और उसको गोली मार दी. जब सैफ ने हल्ला मचाया तो दूसरे आदमी ने इसको गोली मार दी."
वहीं अपनी इंस्टाग्राम आईडी से आरोपियों का वीडियो वायरल करने वाले मनोज चौधरी उर्फ मनोज चाहर को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है. मनोज के खिलाफ आगरा साइबर थाने में BNS की धारा 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) और IT एक्ट 2008 की धारा 66 के तहत दो मामला दर्ज हुआ है.
पहलगाम हमले से जोड़कर वीडियो वायरल करने पर पुलिस ने क्या कहा?
पहलगाम हमले के अगले दिन आरोपियों ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया था. वायरल वीडियो में आरोपी पुष्पेंद्र बघेल ने कहा था कि "क्षत्रिय गौ-रक्षा दल" इसकी जिम्मेदारी लेता है. साथ ही उसने "26 का बदला 2600 से लेने" की भी बात कही थी.
पुलिस ने बताया कि "ध्यान भटकाने और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के उद्देश्य से आरोपियों ने जानबूझकर ये वीडिया वायरल किया था."
"क्षत्रिय गौ-सेवा दल नाम का कोई संगठन ही नहीं है और न ही आरोपियों का क्षत्रिय जाति से कोई संबंध है. कुछ दिन पहले आगरा में तनाव पैदा करने की कोशिश हुई थी. आरोपी क्षत्रिय नाम लेकर बस इसी का फायदा उठाना चाहते थे."पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार
मृतक गुलफान के चाचा कहते हैं, "हम जहां रहते हैं, वहां दुनिया के सात अजूबों में से एक है. यहां बहुत से दाढ़ी और टोपी वाले पर्यटक आते हैं. अगर वहां हमला करता तो और फेमस हो जाता. एक मजदूर को मारकर उसे क्या हासिल हो गया. अगर उसे कश्मीर हमले का ही बदला लेना था तो ताजमहल पर जाकर हमला करना था."
मनोज चौधरी: हत्या का आरोपी, इंस्टाग्राम पर 12 हजार फॉलोअर्स
हत्याकांड के बाद आरोपी पुष्पेंद्र और शिवम का वीडियो वायरल करने वाले आरोपी मनोज चौधरी के इंस्टाग्राम पर करीब 12 हजार फॉलोअर्स हैं. पुलिस के मुताबिक, मनोज के खिलाफ साल 2017 में मालपुरा थाने में हत्या का मामला दर्ज हुआ था और वो जेल भी जा चुका है.
पुलिस कमिश्नर ने बताया कि "मनोज चौधरी आगरा का ही रहने वाला है और उसी ने अलग-अलग जगह पर वीडियो अपलोड किया था."
पुलिस पूछताछ में मनोज ने बताया कि वो पिछले तीन महीने से गौ-सेवा दल चला रहा था. जिसका वीडियो वो इस्टाग्राम पर भी शेयर करता था. पुलिस की ओर से जारी प्रेस रिलीज में बताए गए इंस्टाग्राम आईडी पर लोगों की पिटाई के भी कई वीडियो मौजूद हैं.
इस्लाम मंजर कहते हैं, "ये बात सही है कि कुछ अवांछित तत्वों का एक गैंग है जो गौरक्षा दल की आड़ में लोगों को गुमराह करता है."
इसके साथ ही वो कहते हैं,
"हमारा मुख्य पेशा गाय और भैंस पालन ही है. असली गौ-सेवक तो हम हैं. वो कहां से गौ-सेवक और गौ-क्षत्रीय दल हो गए. हमारे यहां आज भी गाय-भैंस पाले जाते हैं. हमारा परिवार उसी से चलता है."
पुलिस कमिश्नर ने कहा कि जो कोई लोग धर्म-जाति या फिर किसी आधार पर सामाज को बांटने का काम कर रहे हैं. हमारी उनपर नजर है. हम लगातार सोशल मीडिया कि मॉनिटरिंग कर रहे हैं और ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
(इनपुट: मानवेंद्र मल्होत्रा)