ADVERTISEMENTREMOVE AD

World Heart Day: भारतीय युवाओं को दिल की बीमारियों का खतरा ज्यादा: एक्सर्ट्स

World Heart Day 2023: युवा भारतीयों में हाल के दशकों में हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ा है.

Updated
Aa
Aa
Small
Aa
Medium
Aa
Large
ADVERTISEMENTREMOVE AD

World Heart Day 2023: हर साल 29 सितंबर को वर्ल्ड हार्ट डे मनाया जाता है. भारत में दिल से जुड़ी बीमारियों का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है. दुनिया के बाकी हिस्सों में रहने वाले लोगों की तुलना में भारतीयों को दिल से जुड़ी समस्याएं होने का खतरा ज्यादा है. इतना ही नहीं, कुछ स्टडीज के अनुसार बाकी दुनिया की तुलना में भारतीयों को दिल से जुड़ी समस्याएं लगभग दस साल या एक दशक पहले हो जाती हैं. इसकी वजह से दिल से जुड़ी बीमारियों के पैटर्न भी ज्यादा गंभीर होते हैं.

क्यों भारतीय युवाओं को दिल की बीमारियों का खतरा ज्यादा है? क्या हैं दिल के साइलेंट किलर? युवा लाइफस्टाइल को कैसे हेल्दी रख सकते हैं? क्या कोविड-19 ने भारत में दिल की बीमारी का खतरा बढ़ा दिया है? हार्ट हेल्थ से जुड़े जरुरी सवालों के जवाब जानते हैं दिल के डॉक्टरों से.

क्यों भारतीय युवाओं को दिल की बीमारियों का खतरा ज्यादा है?

"भारतीयों में दिल की बीमारियों का खतरा ज्यादा होने का प्रमुख कारण जेनेटिक है, जो हम अपने पूर्वजों से मिलता है. दिल की बीमारियों के अलावा, भारतीयों में डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर होने का खतरा भी ज्यादा होता है, जो कि दिल से जुड़ी समस्याओं को बढ़ा देते हैं."
डॉ. विवेक महाजन, कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, कल्याण
ग्रामीण भारत में हर चौथा और शहरी भारत में हर तीसरा व्यक्ति हाइपरटेंशन से पीड़ित है. ये सारी बातें, दिल की खराब सेहत की ओर इशारा करती हैं.

युवा भारतीयों में हाल के दशकों में हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ा है. लाइफस्‍टाइल में तेजी से बदलाव हुए हैं, जिनसे बहुत कुछ अच्‍छा हासिल हुआ है लेकिन साथ ही, काफी कुछ गलत प्रभाव और आदतें भी लोगों की जिंदगी में दाखिल हुई हैं.

"आज का युवा ज्‍यादातर सेडेन्‍ट्री लाइफस्‍टाइल का आदी बन चुका है और जीवन के हर क्षेत्र में कंपीटिशन बढ़ा है, जिससे युवाओं के जीवन में तनाव काफी बढ़ गया है. दोनों ही बातें दिल पर बुरा असर डालती हैं."
डॉ. नित्‍यानंद त्रिपाठी, डायरेक्‍टर एंड एचओडी – कार्डियोलॉजी एंड इलैक्‍ट्रोफिजियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्‍पीटल, शालीमार बाग

डॉ. नित्‍यानंद त्रिपाठी आगे कहते हैं कि खानपान की गलत आदतें भी जुड़ चुकी हैं, जिसमें पोषण कम और कैलोरी और नमक ज्‍यादा होता है. जंक फूड से शरीर को काफी नुकसान पहुंचता है और जरूरी पोषक तत्‍व नहीं मिल पाते. साथ ही, ऐसे फूड में कैलोरी की अधिक मात्रा की वजह से वजन बढ़ता है.

"एक बड़ा कारण तनाव का अधिक होना है, जो अक्सर युवाओं की चुनौतियों और मांगों के साथ होता है. यह तनाव कई स्रोतों जैसे शैक्षणिक दबाव, कैरियर की आकांक्षाओं या व्यक्तिगत संबंधों से उपजा हो सकता है और यह हार्ट हेल्थ पर हानिकारक प्रभाव डाल सकता है.
डॉ. रिपेन गुप्ता, सीनियर डायरेक्टर - कार्डियोलॉजी, मैक्स स्मार्ट सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल, साकेत

इसके अलावा, युवाओं में कुछ अन्हेल्थी आदतें भी घर कर चुकी हैं, जैसे स्‍मोकिंग, अल्‍कोहल का बहुत अधिक सेवन, अधिक मात्रा में फूड एडिटिव्‍स जैसे कैफीन और मेटाबोलिक स्‍टेरॉयड्स का सेवन. इन तत्‍वों की अधिकता से शरीर में नॉरएड्रेनलाइन और एड्रेनलाइन लेवल बढ़ता है, जिसकी वजह से हार्ट अटैक और अचानक मृत्‍यु का खतरा बढ़ जाता है.

"कई भारतीय शहर गंभीर वायु प्रदूषण से जूझ रहे हैं, जो दिल के दौरे के बढ़ते खतरे से जुड़ा हुआ है, खासकर उन लोगों में जो पहले से ही हृदय रोग से ग्रस्त हैं."
डॉ. मुकेश गोयल, सीनियर कंसलटेंट- कार्डियोथोरेसिक, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल

स्ट्रेस, नींद की कमी और खराब खानपान बन रहा साइलेंट किलर

डॉ. नित्‍यानंद त्रिपाठी फिट हिंदी से कहते हैं, "स्ट्रेस तो सदियों से रहा है लेकिन आपने महसूस किया होगा कि अब लोगों के जीवन में तनाव की इन्‍टेन्सिटी बहुत बढ़ गई है. परिवार टूट रहे हैं और शुरू में एक पारिवारिक इकाई से सभी को जो सपोर्ट मिला करता था, वह अब नहीं रहा है. इसके अलावा, अब पियर और सोशल प्रेशर भी बढ़ रहा है और छोटे बच्‍चे भी इसका शिकार बन रहे हैं जबकि दो-तीन दशक पहले तक ऐसा नहीं था".

हाल के समय में पर्सनल और प्रोफेशनल जिंदगी में संतुलन की कमी की वजह से तनाव बढ़ गया है.
"लोग काम के लिए सुबह घर से जल्दी निकलते हैं और देर रात घर पहुंचते हैं, जहां उनका ज्यादातर समय कंप्यूटर के आगे बैठे हुए बीतता है. इसका प्रभाव उनकी सेहत पर पड़ा है. शारीरिक गतिविधि कम होने और काम के दबाव के कारण काफी तनाव बढ़ा है, जो लोगों के कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है."
डॉ. विवेक महाजन, कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, कल्याण

कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन जैसे हाई स्ट्रेस हार्मोन से हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर और सूजन बढ़ सकती है, ये सभी हृदय रोग के जोखिम कारक हैं.

"हाल के दशकों में जीवन की गति में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है. काम, परिवार और टेक्नोलॉजी की मांगों ने 24/7 वाला कल्चर पैदा कर दिया है, जहां कई व्यक्ति लगातार ऑफिस से जुड़े रहते हैं और बेहतर काम के दबाव में रहते हैं. लंबे समय तक लगातार तनाव, जो हमारे तेज गति वाले समाज में आम है और जिसका बुरा असर हार्ट हेल्थ पर पड़ता है."
डॉ. मुकेश गोयल, सीनियर कंसलटेंट- कार्डियोथोरेसिक, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल
ADVERTISEMENTREMOVE AD

युवा लाइफस्टाइल को कैसे हेल्दी रख सकते हैं?

लंबे समय तक हार्ट हेल्थ को अच्छा बनाए रखने के लिए कम उम्र से ही अपने दिल की देखभाल करना शुरू कर देना चाहिए. यहां कुछ तरीके बताए गए हैं, जो युवा अपने दिल को स्वस्थ रखने के लिए अपना सकते हैं:

  • एक स्वस्थ आहार बनाए रखें: फल, सब्जियां, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और हेल्दी फैट से भरपूर एक संतुलित आहार आवश्यक है. प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ, सैचुरेटेड और ट्रांस फैट और अत्यधिक चीनी का सेवन सीमित करने से मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसे जोखिम कारकों के विकास को रोकने में मदद मिल सकती है. एंटीऑक्‍सीडेंट्स, विटामिन और मिनरल से भरपूर ये खाद्य सामग्री आपकी अच्‍छी सेहत के लिए काफी जरूरी हैं.

  • शारीरिक रूप से सक्रिय रहें: रेगुलर एक्सरसाइज करना दिल को अच्छे आकार में रखने का सबसे अच्छे तरीकों में से एक है. सप्ताह में दो या अधिक दिन मांसपेशियों को मजबूत करने वाली गतिविधियों के साथ-साथ हर सप्ताह कम से कम 150 मिनट तक मीडियम इंटेंसिटी वाली एरोबिक गतिविधि या 75 मिनट की हाई इंटेंसिटी वाली एरोबिक एक्टिविटी करने की कोशिश करें.

  • धूम्रपान न करें: धूम्रपान दिल की बीमारी के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है. हार्ट हेल्थ के लिए तंबाकू उत्पादों और धूम्रपान से बचना महत्वपूर्ण है.

  • शराब का सेवन सीमित करें: अत्यधिक शराब के सेवन से हाई ब्लड प्रेशर, कार्डियोमायोपैथी और अनियमित हार्ट रिथम हो सकती है.

  • तनाव को मैनेज करें: लंबे समय तक तनाव में रहना दिल पर नेगेटिव प्रभाव डाल सकता है. तनाव को प्रभावी ढंग से मैनेज करने के लिए तनाव कम करने की तकनीकें जैसे माइंडफुलनेस, ध्यान, योग या गहरी सांस लेने के व्यायाम अपनाएं.

  • स्वस्थ वजन बनाए रखें: मोटापा दिल की बीमारी के लिए एक बड़ा जोखिम कारक है. युवाओं को संतुलित आहार और नियमित शारीरिक गतिविधि के जरिए हेल्दी वजन बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए.

  • नियमित जांच: भले ही आप युवा हैं और स्वस्थ महसूस करते हैं पर हेल्थ केयर प्रोवाइडर से मिल नियमित जांच कराते रहना चाहिए. वे हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसे जोखिम कारकों का जल्द पता लगाने और उन्हें मैनेज करने में मदद कर सकते हैं.

  • अपने परिवार का इतिहास जानें: अपने परिवार के दिल की बीमारी के इतिहास को समझना आपके जोखिम का आकलन करने के लिए फायदेमंद हो सकता है. आपके परिवार में हृदय संबंधी समस्याओं का इतिहास है, तो हार्ट के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल बनाए रखना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है.

  • कैफीन और एनर्जी ड्रिंक को सीमित करें: अत्यधिक कैफीन का सेवन, जो अक्सर एनर्जी ड्रिंक में पाया जाता है, हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर में वृद्धि का कारण बन सकता है.

  • हाइड्रेटेड रहें: पानी नहीं पीना दिल पर दबाव डाल सकता है, इसलिए पूरे दिन पर्याप्त पानी पीकर पर्याप्त रूप से हाइड्रेटेड रहना महत्वपूर्ण है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या कोविड-19 ने भारत में दिल की बीमारी का खतरा बढ़ा दिया है?

इस सवाल के जवाब में डॉ. विवेक महाजन कहते हैं, "हार्ट और ब्रेन की रक्त वाहिकाओं में एक अंदरूनी लाइनिंग होती है, जिसे एन्डोथीलियम कहा जाता है. इस एन्डोथीलियम का मुख्य काम होता है रक्त वाहिकाओं में क्लॉटिंग को रोकना. जब किसी व्यक्ति को कोविड होता है, तो कई बार उनका एन्डोथीलियम प्रभावित हो जाता है. इस वजह से इन अंगों की धमनियों में क्लॉटिंग होने लगती है, ऐसी स्थिति में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.

"इसके अलावा, आमतौर पर कोविड के बाद अटैक का खतरा, एक से तीन महीने तक रहता है, इसके बाद वह जोखिम काफी कम हो जाता है."
डॉ. विवेक महाजन, कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, कल्याण

एक्सपर्ट आगे कहते हैं कि कोविड के प्रभावों को समझने के लिए डिटेल्ड स्टडी जरूरी है, क्योंकि निश्चित तौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि ऐसे मामलों में एन्डोथीलियम हमेशा के लिए क्षतिग्रस्त हो जाते हैं या नहीं.

"कोविड के दौर में यह देखा गया कि कोविड की वजह से खून का थक्‍का जमने (क्‍लॉट) का जोखिम बढ़ा जिसकी वजह से हार्ट अटैक और पल्‍मोनेरी एम्‍बॉलिज्‍़म बढ़ने की आशंका बढ़ गई. हालांकि कोविड के बाद युवाओं में हार्ट अटैक के मामले बढ़े हैं लेकिन यही इन रोगों के बढ़ने का एकमात्र कारण नहीं है."
डॉ. नित्‍यानंद त्रिपाठी, डायरेक्‍टर एंड एचओडी – कार्डियोलॉजी एंड इलैक्‍ट्रोफिजियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्‍पीटल, शालीमार बाग

डॉ. रिपेन गुप्ता के अनुसार, कोविड ने पूरी आबादी पर बहुत अधिक मानसिक तनाव डाला है और शारीरिक गतिविधि भी कम हो गई है, भोजन की आदतें खराब हो गई हैं और डॉक्टर-रोगी का संपर्क अनियमित हो गया. इस सभी ने कोविड युग में हृदय रोग को बढ़ाने में योगदान दिया.

Published: 
Speaking truth to power requires allies like you.
Become a Member
Monthly
6-Monthly
Annual
Check Member Benefits
×
×