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शाकाहार की वो 5 चीजें जिन्हें आपकी डाइट में जरूर मिलनी चाहिए जगह

इन पांच हेल्दी वेजीटेरियन फूड आइटम के फायदे जानते हैं आप?

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शाकाहारी लोग आमतौर पर मीट, अंडे, मछली, चिकन या किसी भी मांसाहार को खाने से बचते हैं. हालांकि वे उनसे मिलने वाले दूध और दूसरे उत्पाद लेते हैं. इस परिभाषा के साथ, आइए देखते हैं कि उनके खाने का पैटर्न हकीकत में सेहत के लिए कितना फायदेमंद है.

हेल्दी फूड क्या है?

"अमेरिकन डायटेटिक एसोसिएशन (एडीए) का मानना है कि सभी फूड एक स्वस्थ भोजन शैली में फिट हो सकते हैं. एडीए किसी एक फूड या डाइट को तवज्जो देने की बजाए स्वास्थ्यप्रद खाने पर जोर देता है, जिसमें टोटल डाइट या खाने के समग्र पैटर्न पर ध्यान दिया जाता है. अगर उचित मात्रा में संयमित भोजन के साथ नियमित रूप से फिजिकल एक्टिविटी की जाती है, तो सभी फूड एक हेल्दी डाइट में शुमार हो सकते हैं.”

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इस व्यापक दृष्टिकोण के अनुसार स्पष्ट है कि ऐसा कोई फूड विकल्प नहीं है, जो सेहतमंद नहीं करता है, शर्त बस इतनी है कि यह एक समग्र स्वस्थ लाइफस्टाइल के हिस्से के रूप में हमारे शरीर के लिए आवश्यक मात्रा में लिया जाता हो.

हालांकि कई शोध में शाकाहारी स्रोतों से प्राप्त फूड के कई स्वास्थ्य लाभों का जिक्र किया गया है. जब हम किसी भी फल, सब्जी, फलिया, साबुत अनाज के बारे में पढ़ते हैं, तो हम पाते हैं कि वे आज की कई स्वास्थ्य चिंताओं के जोखिम को कम करने में कारगर हो सकते हैं.

यहां कुछ ऐसी ही चीजों के बारे में बताया जा रहा है:

साबुत अनाज

साबुत अनाज सेहत का खजाना है.

ये फाइबर का स्रोत हैं, जो ब्लड में शुगर के स्थिर स्तर को बनाए रखते हैं. फाइबर कोलेस्ट्रॉल कम करता है, यह आंत को स्वस्थ रखता है और ब्लड क्लॉटिंग (रक्त का थक्का) से भी बचाव करता है. 

इसके अलावा, साबुत अनाज फाइटोकेमिकल्स का बहुत अच्छा स्रोत हैं और इसमें जरूरी खनिज जैसे मैग्नीशियम, सेलेनियम और तांबा पाए जाते हैं, जो कैंसर के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रदान करते हैं. साबुत अनाज में शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट विटामिन ई भी होता है.

अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और स्कैंडिनेवियाई देशों में (जिसमें 7.86 लाख से अधिक व्यक्तियों से जुटाई गई स्वास्थ्य जानकारी शामिल है) किए गए अध्ययन के परिणामों को मिलाकर किए गए विश्लेषण में पाया गया कि जो लोग रोजाना 70 ग्राम साबुत अनाज खाते हैं, वो इससे कम या कोई साबुत अनाज नहीं खाने वालों की तुलना में- उनमें कुल मृत्यु दर का जोखिम 22% कम, कार्डियोवैस्कुलर बीमारी से मृत्यु दर का जोखिम 23% कम और कैंसर से मृत्यु दर का जोखिम 20% कम था.

फलिया और दालें

शाकाहारी लोगों के लिए ये प्रोटीन का अहम स्रोत हैं. इसके अलावा ये फाइबर से भरपूर होते हैं और सेहत के लिए नुकसान दायक सैचुरेटेड फैट और कोलेस्ट्रॉल से मुक्त होने के साथ-साथ आयरन, जिंक, तांबा, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम विटामिन और फोलेट के अच्छे स्रोत होते हैं. अधिकांश दालों और फलिया का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है और इसलिए इनसे ब्लड शुगर में तेजी से वृद्धि नहीं होती है.

शोध में पाया गया है कि रोजाना फलिया खाने से ग्लाइसेमिक लोड और लिपिड प्रोफाइल दोनों कम होता है.

फलिया में भरपूर पोटेशियम, मैग्नीशियम और फाइबर होने से इनका ब्लड प्रेशर को कम करने में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. दालों के फाइबर और प्रोटीन भी शीघ्र तृप्ति से जुड़े होते हैं और वजन को मेंटेन रखते हैं, ये वजन कम करने में सहायक होते हैं. सामान्य भारतीय आहार जो आमतौर पर शाकाहारी होता है, उनमें भी दालों और फलिया की पर्याप्त मात्रा नहीं होती है.

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सब्जियां

जो लोग सेहतमंद लाइफस्टाइल अपनाते हुए ज्यादा सब्जियां खाते हैं, उनके क्रोनिक बीमारियों के जोखिम से सुरक्षित रहने की संभावना अधिक होती है. ज्यादातर सब्जियों में कैलोरी और फैट कम होता है और स्वाभाविक रूप से कोलेस्ट्रॉल फ्री होते हैं.

सब्जियां हमारे दैनिक भोजन में फाइबर- घुलनशील और अघुलनशील, जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व जोड़ती हैं, जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने और पाचन व आंत की सेहत में मदद करने के साथ लिपिड को कम करने में मददगार होते हैं. 

सब्जियों में कई विटामिन भरपूर मात्रा में होते हैं. जैसे विटामिन A, जो हमारी आंखों और स्किन को हेल्दी रखने के साथ इम्यूनिटी भी बढ़ाता है. विटामिन C, जो किसी बीमारी को ठीक करने, मसूड़ों को स्वस्थ रखता है, आयरन अवशोषण में मदद करता है और हमारे शरीर को फ्री रैडिकल्स और फोलेट्स से सुरक्षित रखता है, जो कि भ्रूण के विकास के दौरान महत्वपूर्ण न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स, स्पाइना बाइफिडा और एन्सेफली की रोकथाम और लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण के लिए जरूरी है. शोध रिपोर्टों के अनुसार कुछ सब्जियों में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट फाइटोन्यूट्रिएंट्स और पॉलीफेनॉल्स कैंसर से बचाते हैं.

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फल

दुनिया भर में हुए अनगिनत अध्ययनों में पाया गया है कि फल हेल्दी डाइट का हिस्सा हैं. फलों में मौजूद पोषक तत्वों के कारण इनको खाने की सलाह दी जाती है. इनमें विटामिन C और A; मिनरल्स, इलेक्ट्रोलाइट्स और हाल ही में खोजे गए फाइटोकेमिकल्स, खासकर एंटीऑक्सिडेंट्स और फाइबर होते हैं.

इसके अलावा रंग-बिरंगे फल हमारे शरीर को पावरफुल एंटीऑक्सिडेंट देने के साथ हमारी रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं और हमारे शरीर की रक्षा करते हैं.

मैंने कहीं पढ़ा था कि इंद्रधनुष के अंत में सोने का कटोरा है. इस कहावत का स्वास्थ्य के संदर्भ में मतलब यह है कि आप इंद्रधनुष के रंग खाएं, जो सोने से अधिक कीमती है.

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मेवे और बीज

मेवे और बीज प्रोटीन की अच्छी मात्रा के साथ हेल्दी मोनो अनसैचुरेटेड फैट और पॉली अनसैचुरेटेड फैट प्रदान करते हैं. इसके अलावा ये डाइटरी फाइबर के अच्छे स्रोत हैं और विटामिन बी समूह के (फोलेट सहित) कई विटामिन, विटामिन ई, कैल्शियम, आयरन, जिंक, पोटेशियम और मैग्नीशियम जैसे मिनरल्स, एंटीऑक्सिडेंट मिनरल्स (सेलेनियम, मैंगनीज और कॉपर) सहित कई आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं. साथ ही इनमें एंटीऑक्सिडेंट कंपाउंड (फ्लैवोनॉयड्स और रिजर्वेटरॉल) और प्लांट स्टेरोल जैसे अन्य फाइटोकेमिकल्स भी मिलते हैं. आपको नट्स खाने के लिए और अधिक वजहों की जरूरत है? लेकिन इनकी मात्रा करीब 30 ग्राम रोजाना रखें.

आंकड़ों के अनुसार मेवे दिल की बीमारी के जोखिम को 30-50 % तक कम करने और दिल की बीमारी से मौत के जोखिम को लगभग 20% तक कम कर देते हैं.  

1998 में “ब्रिटिश मेडिकल जर्नल” में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि हफ्ते में पांच बार मेवे खाने वाले व्यक्तियों में दिल की बीमारी के जोखिम में 35% की कमी आई थी. मेवे डायबिटीज के मरीज के लिए फायदेमंद होते हैं क्योंकि वे डाइट के समग्र ग्लाइसेमिक प्रभाव को कम करते हैं. जब आप वजन कम करना चाहते हैं, तो मेवे से भूख को नियंत्रित करने में मदद मिलती है. इसके अलावा मेवे और बीज में मौजूद खनिज- मैग्नीशियम, जिंक, कैल्शियम और फास्फोरस- हड्डी के विकास, रोग प्रतिरक्षा और एनर्जी के लिए जरूरी हैं.

तो क्या हम सबको शाकाहारी हो जाना चाहिए? हालांकि विशेषज्ञों द्वारा सुझाई गई मेडिटेरनियन डाइट और DASH डाइट समेत सभी “हेल्दी डाइट” शाकाहारी नहीं हैं, लेकिन शाकाहारी विकल्पों का एक बड़ा घटक इनमें शामिल है और यह केवल मीट या फैट या आलू तक सीमित नहीं हैं.

तो शाकाहारी मत बनें, बस सिर्फ अपनी प्लेट को सब्जी और फलों से भरें. साबुत अनाज चुनें, दिन में कम से कम एक बार दालें और फलिया खाएं और हफ्ते में एक या दो बार ज्यादा फैट वाले मीट के बदले मेवे और बीज अपनाएं. इसके नतीजे जरूर अच्छे निकलेंगे.

(रुपाली दत्ता एक क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट हैं, जिन्होंने कॉरपोरेट हॉस्पिटल्स में टीमों का नेतृत्व किया है. इन्हें वेलनेस और बीमारी दोनों में हेल्थकेयर, फूड और न्यूट्रिशन की गहरी जानकारी है.)

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